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जान बचाने की नहीं, मरते हुए की अंगदान की गुजारिश

Harish2बेंगलुरु। बेंगलुरु का एक नौजवान मरते-मरते भी इंसानियत की एक बहुत बड़ी सीख दे गया। वाकिया है बेंगलुरु के पास से गुजरने वाले एनएच-4 का, जहां चीनी की बोरियों से लदे एक ट्रक ने बाइक सवार हरीश नंजप्पा (23 साल) को कुचल दिया और उसके शरीर के दो टुकड़े हो गए। मौत से जूझते हुए हरीश ने बचाने वालों और डॉक्टरों से अपनी जान बचाने की गुजारिश करने के बजाय अंगदान की याचना की।
आखिरी वक्त हरीश की यही इल्तजा थी कि उसके अंगों को किसी जरूरतमंद को दान कर दिया जाए। टुमाकुरु जिले के गुब्बी में अपने घर से बेंगलुरु वापस आने के दौरान हरीश के साथ यह हादसा हुआ। हरीश पंचायत चुनाव में वोट देने के लिए अपने गांव गया था। दुर्घटना मंगलवार सुबह करीबन 8.30 बजे की है।

नेलामंगला पुलिस ने जानकारी दी कि ट्रक ने हरीश की पल्सर को टक्कर मारी, जिस वजह से हरीश ट्रक के पहियों के नीचे आ गया और कुचलकर दो हिस्सों में कट गया। शरीर का निचला हिस्सा कई फीट दूर जाकर गिरा और अपने आधे शरीर के साथ हाथ उठाकर वह मदद मांगने लगा। कुछ असंवेदनशील लोगों ने मदद के लिए आगे बढ़ने के बजाय दुर्घटना का विडियो बनाना जरूरी समझा, लेकिन अंततः कुछ लोग बचाव के लिए आगे आए और नेलामंगला पुलिस को घटना की जानकारी दी। पुलिस ने ही ऐम्बुलेंस बुलवाई लेकिन उससे पहले ही हाई-वे एक हिस्से का प्रबंधन देखने वाली जस टोल रोड कंपनी ने मौके पर अपनी ऐम्बुलेंस भेज दी।

जानकारी मिलने के 7 से 8 मिनट के भीतर ही दोनों ऐंबुलेंस मौके पर पहुंच गईं और हरीश को तत्काल अस्पताल ले जाया गया। डीएसपी राजेन्द्र कुमार ने बताया कि अस्पताल ले जाने के कुछ मिनटों बाद ही हरीश की मौत हो गई। ऐम्बुलेंस स्टाफ और डॉक्टरों ने बताया कि हरीश ने उनसे अंगदान की इच्छा जताई थी। हरीश की आंखे नारायण नेत्रालय को दान कर दी गई हैं।


नेलामंगला ग्रामीण पुलिस स्टेशन में ट्रक ड्राइवर वरदराज के खिलाफ लापरवाह ड्राइविंग के चलते जान लेने का केस दर्ज किया गया है।

हरीश एसएसएमएस प्राइवेट लिमिटेड के लिए काम करता था। हरीश के परिवार में अब उसके माता-पिता और एक भाई बचे हैं। परिजन हरीश के शरीर को अंतिम संस्कार के गुब्बी ले गए हैं।

डॉ. अजीत बेनेडिक्ट रायन ने बताया कि हरीश को क्रश इंजरी हुई थी, जिसमें आदमी की हड्डियां, ब्लड वेसेल्स और चमड़ी सब शरीर से अलग हो जाते हैं। उन्होंने दुर्घटना को देखकर गुजर जाने वाले लोगों के व्यवहार को अमानवीय ठहराया। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने दुर्घटना में घायलों की मदद करने वालों को तमाम सुविधाओं का आश्वासन दिया था, इसके बावजूद भी बहुत से लोगों ने मदद के लिए हाथ नहीं बढ़ाए।

डॉ. अजीत ने जानकारी दी कि ऐसे केसों में भी घायल की जान बचाई जा सकती है, अगर उसे वक्त पर इलाज मिल जाए। आम तौर पर घायल बहुत ज्यादा खून बह जाने और फलस्वरूप कई अंगों के निष्क्रिय हो जाने की वजह से मर जाता है। सर पर चोट न लगने पर ऐसी हालत में भी घायल बोलने में सक्षम होता है।