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सीबीआई के दांव से विरोधियों को निपटा रहे मोदी 

राजेश श्रीवास्तव
कभी कहा जाता था कि कांग्रेस सीबीआई का दुरुपयोग करती है। लेकिन इन दिनों जिस तरह सीबीआई का दुरुपयोग केंद्र मंे काबिज मोदी सरकार कर रही है उतना कांग्रेस बीते साठ सालों में कभी नहीं कर पायी। मनमोहन सिंह के कार्यकाल में सीबीआई को तोता कहा गया, यह उस समय भले ही न साबित हो पाया हो लेकिन अब साबित हो गया है कि सीबीआई उसी की होती है जिसके हाथ में सत्ता की लाठी होती है। केंद्र ने मायावती, मुलायम को ही नहीं इसके बूते वश में रखा बल्कि केजरीवाल के करीबियों के यहां सीबीआई के छापे और ममता बनर्जी के मंत्रियों को भी इसी हथियार से न केवल निपटाया गया बल्कि केजरीवाल और ममता बनर्जी पर अंकुश लगाने की रणनीति पर भी अमल हुआ। केवल इतना ही नहीं एक मामूली सी डिबेट से भाजपा प्रबक्ता संबित पात्रा को हटाने पर चैनल के सीईओ के यहां सीबीअआई ने कार्रवाई कर दी। अभी यह मामले थमे नहीं थ्ो कि लालू प्रसाद यादव के परिवार के यहां भी सीबीआई ने जिस तरह कार्रवाई की उससे साफ हो गया है कि सीबीआई केंद्र का हथियार बन गया है। कभी मुलायम सिंह ने कहा था कि उनको सीबीआई से डर लगता है, शायद वह बात गलत नहीं थी।
केवल इतना ही नहीं कभी सीबीआई के निदेशक रहे रंजीत सिंह और एपी सिंह आज खुद ही सीबीआई के कठघरे में फंसे हैं। अब केंद्र ने सीबीआइ के एडिशनल डायरेक्टर के रूप में राकेश अस्थाना को लाकर जिस तरह अपनी मनमर्जी शुरू कर दी है उससे अस्थाना और मोदी की निकटता संदेह के घ्ोरे में आ गयी है। मालुम हो कि अस्थाना 1984 के बैच के गुजरात कैडर के अफसर हैं और आस्थाना ही चारा घोटाला में मुख्य जांच अधिकारी थे और 1997 में चारा घोटाला में लालू की गिरफ्तारी की थी । लेकिन चारा घोटाले के बाद दिल्ली में वाजपेयी सरकार आने के बाद अस्थाना गुजरात कैडर वापस चले गए और मनमोहन सिह सरकार आने के बाद लालू यादव को लगा की अस्थाना रूपी बेताल का पीछा उनसे छूटा। लेकिन होनी को तो कुछ और ही मंजूर था और आज सीबीआई ने उन्ही की अगुवाई में लालू कुनबे के ठिकानो पर पर छापा मारा । दरअसल आस्थाना को मोदी सरकार के करीब इसलिये माना जाता है क्योकि साल 2०15 में ही राकेश अस्थाना को मोदी सरकार सीबीआई में एडिशनल डायरेक्टर के रूप में लेकर आई थी। सीबीआई के पूर्व निदेशक अनिल सिन्हा के पिछले साल 2 दिसंबर को रिटायर होने से ठीक पहले राकेश अस्थाना को सीबीआई का इंचार्ज डायरेक्टर बना दिया गया था। मोदी सरकार ने 1 दिसंबर 2०16 की रात को एक चौंकाने वाला निर्णय करते हुए सीबीआई में नंबर 2 रहे स्पेशल डायरेक्टर रूपक कुमार दत्ता को गृमंत्रालय में ट्रांसफर कर दिया था और सीबीआई में ही एडिशनल डायरेक्टर के रूप में काम कर रहे नंबर तीन आईपीएस अधिकारी राकेश अस्थाना को इंचार्च डायरेक्टर बना दिया था। जिसको लेकर काफी बवाल मचा था। राकेश अस्थाना के जिम्मे कई राजनेताओं की जांच की जिम्मेदारी है। मसलन मुलायम सिह यादव, मायावती, ममता बनर्जी और अब लालू प्रसाद यादव और उनके पत्नी और बेटे. गुजरात कैडर के आईपीएस अधिकारी राकेश अस्थाना के पास इस समय सीबीआई के कई केस हैं, जिसमें से अगस्टा वेस्टलैंड डील और विजय माल्या केस भी मुख्यरूप से शामिल है। सीबीआई का चरित्र न तो सत्ता के लिए बदला है, न विपक्ष के लिए। लेकिन हर सत्ता ने सीबीआई रूपी रेनकोट कुछ इस तरह से पहना है कि उसका दाग रेनकोट तले छिप जाता है। फिर इस प्रभाव से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कैसे बच सकते हैं। नरेंद्र मोदी भी सीबीआई रूपी तोते का अपनी मनमर्जी से दुरुपयोग कर रहे हैं।