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महाराष्ट्र: उद्धव ठाकरे की सरकार पर छाए संकट के बादल, क्या गिर जाएगी सरकार

महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की जमीन खिसकती नजर आ रही है। पहले राज्यसभा और अब एमएलसी चुनाव में झटके के बाद महाविकास अधाड़ी सरकार पर संकट के बादल गहराने लगे हैं। खासकर शिवसेना को यहां बड़ा झटका लगता नजर आ रहा है। पार्टी के वरिष्ठ नेता एकनाथ शिंदे के साथ शिवसेना के दो दर्जन विधायक संपर्क में नहीं हैं। सूत्रों के मुताबिक, ये विधायक गुजरात के सूरत के किसी होटल में हैं। ऐसे में राजनीतिक संकट के बीच उद्धव ठाकरे ने सभी विधायकों की बैठक बुला ली है। कहां से शुरू हुआ खेल
महाराष्ट्र में सियासी खेल राज्यसभा चुनावों से शुरू हुआ। यहां हुए राज्यसभा चुनावों में 113 विधायकों के समर्थन वाली भाजपा को 123 वोट पड़े थे। इसके बाद एमएलसी चुनावों में उसकी ताकत और बढ़ती दिखाई दी। सोमवार को हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा को 134 विधायकों का समर्थन हासिल हुआ और भाजपा यहां विधान परिषद के अपने पांचों उम्मीदवारों को जिताने में कामयाब रही। इसके उलट शिवसेना को अपने 55 विधायकों व समर्थक निर्दलीय विधायकों के बावजूद सिर्फ 52 वोट मिले।

क्या है आंकड़ों का गणित
महाराष्ट्र विधानसभा में सीटों की संख्या 288 है। यहां सरकार बनाने के लिए किसी भी दल को 145 विधायकों का समर्थन चाहिए। 2019 में हुए चुनावों में 105 सीटें जीतने के बावजूद भाजपा बहुमत से दूर रह गई। इसके बाद 57 सीटों वाली शिवसेना, 53 सीटों वाली एनसीपी और 44 सीटों वाली कांग्रेस ने यहां गठबंधन की सरकार बनाई। तीनों दलों के पास अपने 154 थे। इसके अलावा अन्य दलों व निर्दलीय विधायकों के साथ सरकार को कुल 169 विधायकों का समर्थन प्राप्त था।
अब कैसे बदल रहा समीकरण
विधानपरिषद चुनावों के बाद यह तो स्पष्ट हो गया है कि महाराष्ट्र में भाजपा को अब 134 विधायकों का समर्थन प्राप्त है। यानी बहुमत हासिल करने के लिए उसे अब 11 विधायक और चाहिए। उधर, शिवसेना के वरिष्ठ नेता एकनाथ शिंदे समेत शिवसेना के दो दर्जन विधायक उद्धव ठाकरे के संपर्क में नहीं हैं। माना जा रहा है ये विधायक भाजपा के संपर्क में हैं। इसके अलावा सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस और एनसीपी के भी कुछ विधायक भाजपा के पाले में जा सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो महाराष्ट्र में उद्धव सरकार के लिए नया संकट खड़ा हो सकता है।
इसलिए गिर सकती है सरकार
288 सदस्यीय महाराष्ट्र विधानसभा में बहुमत के लिए 145 विधायक चाहिए। कुछ सीटें रिक्त हैं तो कुछ विधायक जेल में हैं, इसलिए प्रभावी संख्या 285 है। ऐसे में बहुमत के लिए 143 सदस्यों का समर्थन चाहिए। उद्धव ठाकरे सरकार के पास 153 विधायकों का समर्थन है। यदि शिवसेना में फूट पड़ती है तो कांग्रेस के भी कुछ विधायक टूट कर भाजपा का दामन थाम सकते हैं। भाजपा पहले से सबसे बड़ी पार्टी है। भाजपा के 106 विधायक हैं तो राजग के मिलाकर 113 विधायक हैं। इसलिए वह दावा पेश कर इनका समर्थन हासिल कर सकती है।