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बड़ा झटका, अभी जेल में रहेंगे सीएम केजरीवाल, नहीं मिली जमानत

दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को बड़ा झटका देते हुए निचली अदालत द्वारा उनको जमानत दिये जाने के फैसले पर रोक लगा दी। हम आपको बता दें कि उच्च न्यायालय ने प्रवर्तन निदेशालय की उस याचिका पर अपना फैसला सुनाया है जिसमें कथित आबकारी घोटाले से जुड़े धनशोधन मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जमानत देने के निचली अदालत के आदेश पर रोक लगाने का अनुरोध किया गया था। अदालत ने इस मामले पर सुनवाई के बाद पिछले सप्ताह अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। न्यायमूर्ति सुधीर कुमार जैन की अवकाशकालीन पीठ ने निचली अदालत के फैसले को ईडी द्वारा चुनौती दिये जाने के बाद 21 जून को आदेश सुरक्षित रख लिया था। उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाये जाने तक निचली अदालत के फैसले के क्रियान्वयन पर रोक भी लगा दी थी।

दूसरी ओर, केजरीवाल ने सोमवार को दायर अपनी लिखित दलील में जमानत आदेश का बचाव करते हुए कहा था कि यदि उन्हें इस समय रिहा किया जाता है तो ईडी पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं होगा, क्योंकि यदि उच्च न्यायालय बाद में आदेश को रद्द करने का फैसला करता है तो उन्हें वापस हिरासत में भेजा जा सकता है। हम आपको याद दिला दें कि आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक केजरीवाल को 21 मार्च को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गिरफ्तार किया था। निचली अदालत ने 20 जून को केजरीवाल को जमानत दे दी थी और एक लाख रुपये के निजी मुचलके पर रिहा करने का आदेश दिया था। निचली अदालत ने साथ ही कुछ शर्तें भी लगाई थीं, जिसमें यह भी शामिल था कि वह जांच में बाधा डालने या गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश नहीं करेंगे। हालांकि ईडी ने दलील दी है कि निचली अदालत का आदेश “विकृत”, “एकतरफा” और “गलत” था तथा निष्कर्ष अप्रासंगिक तथ्यों पर आधारित थे। जमानत आदेश पर रोक लगाने की याचिका के संबंध में सोमवार को दायर एक नोट में ईडी ने कहा था कि निर्णय में कथित आबकारी घोटाले से जुड़े धनशोधन के अपराध में केजरीवाल की “गहरी संलिप्तता” को प्रदर्शित करने वाली सामग्री पर गौर नहीं किया गया।

हालांकि केजरीवाल ने अपनी लिखित दलील में कहा कि ईडी के दावे ‘‘स्पष्ट रूप से गलत, भ्रामक और छल-कपट और गलत बयानी के समान हैं।’’ उन्होंने कहा, “ईडी का बार-बार यह दावा कि उसे सुनवाई का उचित अवसर नहीं दिया गया और/या उसके सभी दलीलों पर विचार नहीं किया गया, शुरू में ही खारिज कर देने योग्य है।” केजरीवाल ने कहा कि यह कोई विकृत मामला नहीं है, जैसा कि रिकॉर्ड से पता चलता है। उन्होंने कहा कि यह तथ्य उनके खिलाफ झूठा मामला बनाने और उन्हें कानून की उचित प्रक्रिया से वंचित करने का आधार नहीं हो सकता कि वह एक राजनीतिक व्यक्ति हैं, जो केंद्र की व्यवस्था के खिलाफ हैं। उन्होंने कहा, “प्रतिवादी (केजरीवाल) अपने जमानत आदेश पर रोक लगाने के आदेश से बहुत व्यथित हैं, जिसने न्याय को एक आपदा बना दिया है और इसे अब एक पल के लिए भी जारी नहीं रखा जाना चाहिए।”