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दुनिया इस बात को नहीं भूले कि अफगानिस्तान की स्थिति क्या है: जयशंकर

विदेश मंत्री ने कहा कि लावरोव के साथ चर्चा के दौरान अफगानिस्तान का मुद्दा भी उठा और इस बात पर जोर दिया गया कि अफगानिस्तान के पड़ोसी देशों को यह सुनिश्चित करने के लिये काम करना चाहिए कि उस देश से आतंकवाद का कोई खतरा नहीं हो। उन्होंने कहा, ‘‘ यह जरूरी है कि दुनिया इस बात को नहीं भूले कि अफगानिस्तान की स्थिति क्या है क्योंकि मुझे आज लगता है कि जितना ध्यान उस पर दिया जाना चाहिए, उतना नहीं दिया जा रहा है।’’ जयशंकर ने कहा कि उस देश में मानवीय संकट की स्थिति उत्पन्न हो गई है और भारत, अफगानिस्तान के लोगों को खाद्यान्न, दवा, कोविड रोधी टीके की आपूर्ति कर रहा है क्योंकि वे कठिन स्थिति का सामना कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के पास आतंकवाद और अफगानिस्तान से संचालित आतंकवाद को लेकर चिंता का उचित कारण है। उन्होंने कहा कि इस बारे में प्रतिबद्धता व्यक्त की गई थी और यह उचित होगा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय, खासकर उसके पड़ोसी देश यह सुनिश्चित करें कि अफगानिस्तान से किसी तरह का आतंकी खतरा नहीं हो। जयशंकर ने इस बारे में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 2593 के तहत की गई प्रतिबद्धता का पूरी तरह से पालन करने की जरूरत रेखांकित की।

गौरतलब है कि पिछले वर्ष 30 अगस्त को इस वैश्विक निकाय की भारत की अध्यक्षता के दौरान यह प्रस्ताव अंगीकार किया गया था। जयशंकर ने कहा कि अफगानिस्तान के मुद्दे पर वार्ता के विभिन्न प्रारूपों में भारत और रूस सम्पर्क बनाये हुए हैं। ईरान परमाणु करार के बारे में एक सवाल के जवाब में जयशंकर ने कहा कि वैश्विक शांति, सुरक्षा और अप्रसार को ध्यान में रखते हुए कोई रास्ता निकाला जाना चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘ मुझे उम्मीद है कि आगामी सत्र में ईरान की संयुक्त समग्र कार्य योजना (जेसीपीओए) के बारे में चर्चा हो सकेगी क्योंकि भारत का मानना हैकिवैश्विक शांति, सुरक्षा और अप्रसार को ध्यान में रखते हुए कोई रास्ता निकाला जाना चाहिए। ’’ उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार के साथ, सुधारयुक्त बहुस्तरीय व्यवस्था से इंकार करना कठिन हो गया है और इस संबंध में हम रूस के भारत को समर्थन का स्वागत करते हैं।