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‘सनातन धर्म’ टिप्पणी के संबंध में उदयनिधि स्टालिन ने कहा, स्पष्टीकरण मांगने के लिए SC से अभी तक कोई नोटिस नहीं मिला है।

तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने कहा कि उन्हें अभी तक सुप्रीम कोर्ट से नोटिस नहीं मिला है, जिसमें शनिवार को ‘सनातन धर्म’ टिप्पणी के संबंध में उनसे स्पष्टीकरण मांगा गया है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को तमिलनाडु सरकार और उदयनिधि स्टालिन को नोटिस जारी कर इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण देने का आदेश दिया था। अपनी ‘सनातन धर्म’ टिप्पणी पर SC के नोटिस पर तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने कहा, मैंने मीडिया में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बारे में देखा। स्पष्टीकरण मांगने के लिए SC से अभी तक कोई नोटिस नहीं मिला है।

शीर्ष अदालत ने तमिलनाडु सरकार के अलावा एमपी ए राजा, एमपी थिरुमावलवन, एमपी सु वेंकटेशन, तमिलनाडु के डीजीपी ग्रेटर चेन्नई पुलिस आयुक्त, केंद्रीय गृह मंत्रालय, हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग के मंत्री पीके शेखर बाबू, तमिलनाडु राज्य अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष पीटर अल्फोंस और अन्य को भी नोटिस जारी करने का आदेश दिया। न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी की पीठ ने बी. जगन्नाथ नामक व्यक्ति की याचिका पर नोटिस जारी किए, जिसमें स्टालिन के खिलाफ इस आधार पर प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की गई कि टिप्पणियां नफरती भाषण के समान हैं और शीर्ष अदालत ने इस तरह के मामलों में प्राथमिकी दर्ज करने समेत कई निर्देश पारित किए थे।

याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील दामा शेषाद्री नायडू ने कहा कि मंत्री ने कथित तौर पर स्कूली छात्रों से कहा कि यह धर्म अच्छा नहीं है और दूसरा धर्म अच्छा है। नायडू ने कहा, “इस अदालत ने ऐसे मामलों पर ध्यान दिया है, जिनमें किसी व्यक्ति ने दूसरे धर्म के खिलाफ ऐसा बयान दिया था, लेकिन इस मामले में बयान एक मंत्री ने दिया है। यहां एक राज्य की बात है, जो स्कूली छात्रों को बता रहा है कि अमुक धर्म गलत है।” पीठ ने नायडू से पूछा कि वह अदालत से क्या चाह रहे हैं, जिस पर उन्होंने कहा कि वह चाहते हैं कि अदालत मंत्री (स्टालिन) को ऐसा कोई भी बयान देने से रोके और उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जाए।