महिला आरक्षण विधेयक जिसे नारी शक्ति वंदन विधेयक का नाम दिया गया है। उस पर आज लोकसभा में चर्चा हो रही है। नए संसद भवन में पेश होने वाला एक पहला विधायक बना है। वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए इस का दावा किया जा रहा है यह संसद के दोनों सदनों में पास हो जाएगा। महिला आरक्षण विधेयक को लेकर इंतजार लगभग 27 सालों का है। इसी को लेकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपनी पहली प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इस क्रांतिकारी कदम बताया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि महिलाओं के लिए विधानसभा और लोकसभा में 33% आरक्षण सुनिश्चित कराने का प्रस्ताव अब संसद में आकार ले रहा है। यह लैंगिक न्याय के लिए हमारे समय की सबसे परिवर्तनकारी पहल होगी।
क्या है विधेयक
विधि एवं न्याय मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुनराम मेघवाल ने विपक्ष के शोर-शराबे के विपक्ष संविधान (एक सौ अट्ठाईसवां संशोधन) विधेयक, 2023 पेश किया। नये संसद भवन में पेश होने वाला यह पहला विधेयक है। मेघवाल ने विधेयक पेश करते हुए कहा कि यह विधेयक महिला सशक्तीकरण से संबंधित विधेयक है और इसके कानून बन जाने के बाद 543 सदस्यों वाली लोकसभा में महिला सदस्यों की मौजूदा संख्या (82) बढ़कर 181 हो जाएगी। इसके पारित होने के बाद विधानसभाओं में भी महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीट आरक्षित हो जाएंगी। उन्होंने कहा कि विधेयक में फिलहाल 15 साल के लिए आरक्षण का प्रावधान किया गया है और संसद को इसे बढ़ाने का अधिकार होगा। मेघवाल ने 2010 में महिला आरक्षण विधेयक राज्यसभा में पारित होने के बाद उसे लोकसभा से पारित न कराने को लेकर तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार की मंशा पर संदेह व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि राज्यसभा में पारित होने के बावजूद महिला आरक्षण विधेयक लोकसभा में पारित नहीं कराया जा सका, यह तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार की नाकामी को दर्शाता है।