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PNB महाघोटाला: क्या माल्या की तरह देश छोड़ गए नीरव मोदी? ED ने मारे छापे

नई दिल्ली। दुनिया भर में डायमंड किंग के नाम से महशूर नीरव मोदी अब देश का सबसे बड़ा चोर बन गया है। नीरव मोदी इस वक्‍त देश में मौजूद नहीं है। बताया जा रहा है कि 11 हजार 300 करोड़ रुपए का महाघोटाला करने वाला डायमंड किंग चोर नीरव मोदी देश छोड़कर भाग गया है। इस बीच नीरव के खिलाफ कार्रवाई शुरु हो गई है। गुरुवार को प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने नीरव मोदी के कुल नौ ठिकानों पर छापेमारी की। प्रवर्तन निदेशालय ने नीरव के मुंबई स्थित घर पर भी छापा मारा। इसके अलावा उसके दिल्‍ली और सूरत के ठिकानों पर भी छापेमारी की गई। प्रवर्तन निदेशालय ने नीरव के ठिकानों से कई महत्‍वपूर्ण दस्‍तावेज बरामद किए हैं। प्रवर्तन निेदेशालय के साथ-साथ इस केस की जांच सीबीआई भी कर रही है। सीबीआई का कहना है कि पीएनबी महाघोटाले के केस में जल्‍द ही कुछ गिरफ्तारियां भी हो सकती हैं।

प्रवर्तन निदेशालय के सूत्रों से मिली जानकारी के मु‍ताबिक ईडी ने मुंबई में नीरव मोदी के चार ठिकानों पर छापेमारी की। इसके अलावा सूरत के तीन ठिकाने और दिल्‍ली के दो ठिकानों पर छापेमारी की गई। ईडी और सीबीआई इस केस में तह तक जाना चाहती है और इस महाघोटाले में जड़ से पर्दाफाश करना चाहती है। इस महाघोटाले की जांच में देश की कई बड़ी आभूषण कंपनियां भी ईडी और सीबीआई के राडार पर आ गई हैं। जिसमें गीतांजलि, गिन्नी और नक्षत्र के भी नाम शामिल हैं। हालांकि इन कंपनियों की ओर से अब तक कोई भी प्रतिक्रिया नहीं दी गई है। इस महाघोटाले पर वित्‍त मंत्रालय की भी निगाहें टिकी हुईं हैं। वित्‍त मंत्रालय ने इस केस में साफ तौर पर निर्देश दिया है कि पीएनबी महाघोटाले में शामिल एक भी बड़ी मछली बचनी नही चाहिए। सब पर कड़ी कार्रवाई की जाए। बैंकिंग सेक्‍टर में इस घोटाले को अब तक का सबसे बड़ा घोटाला बताया जा रहा है।

11 हजार 300 करोड़ के इस महाघोटाले को मुंबई की पंजाब नेशनल बैंक की ब्रेडी हाउस ब्रांच से अंजाम दिया गया। इस महाघोटाले का जब खुलासा हुआ तो बैंक की की ओर से इस केस में नीरव मोदी, उनकी पत्नी, भाई और बिजनेस पार्टनर के खिलाफ सीबीआई में दो शिकायतें दर्ज कराई गई थीं। नीरव और उनके परिवार वालों के खिलाफ ये शिकायत 31 जनवरी को दर्ज कराई गई थी। जिसके बाद सीबीआई ने इस केस में अपनी जांच शुरु कर दी थी। सीबीआई की एफआईआर के आधार पर ही प्रवर्तन निदेशालय ने इस केस में मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया। इस बीच इस महाघोटाले के आरोप में पंजाब नेशनल बैंक ने भी अपने दस अफसरों और कर्मचारियों पर गाज गिराते हुए उन्‍हें सस्‍पेंड कर दिया है। दरसअल, नीरव मोदी ने इस पूरे फर्जीवाड़े को पंजाब नेशनल बैंक के कुछ अफसरों की मिलीभगत से अंजाम दिया। बैंक के ही कुछ अफसरों ने गलत तरीके से नीरव को लेटर ऑफ अंडरटेकिंग यानी LOU दी।

इसी लेटर आफ अंडरटेकिंग के आधार पर नीरव मोदी और उसके सहयोगियों ने दूसरे बैंकों से विदेश में कर्ज ले लिया। दरअसल, लेटर आफ अंडरटेकिंग एक तरह से बैंक गारंटी होती है। इसी के आधार पर विदेशी बैंक या भारतीय बैंक की विदेशी ब्रांच कर्ज देती है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इसी लेटर आफ अंडरटेकिंग के जरिए यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, इलाहाबाद बैंक और एक्सिस बैंक ने नीरव और उससे जुड़ी कंपनियों को कर्ज दिया। LOU जारी होने के बाद अगर कर्जदार पैसा लेकर भाग जाता है या डिफाल्‍टर हो जाता है तो ऐसे में अंतिम देनदारी बैंक की ही बनती है। सबसे बड़ी बात ये है कि ये महाघोटाला साल 2011 से ही चल रहा था लेकिन, पकड़ में अब आया है। ऐसे में सवाल ये भी उठ रहे हैं कि आखिर इन छह सालों में इस घोटाले की भनक किसी को कैसे नहीं लगी। डायमंड किंग नीरव मोदी के इस महाघोटाले का खुलासा भी सरकार की सख्‍ती के बाद ही हुआ है।