Breaking News

मन की बात में बोले पीएम मोदी, कहा-भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र, हम भारतीयों को इस पर गर्व

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज मन की बात कार्यक्रम के दौरान देश की जनता को न्यू इंडिया के बार में बताया। उन्होंने देश के विकास के लिए किए जा रहे विकासों के संबंध में भी बात की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गणतंत्र दिवस समारोह का जिक्र करते हुए कहा कि समारोह के अनेक पहलुओं की काफी प्रशंसा हो रही है। जैसलमेर से पुल्कित ने मुझे लिखा है कि 26 जनवरी की परेड के दौरान कर्तव्य पथ का निर्माण करने वाले श्रमिकों को देखकर बहुत अच्छा लगा।

उन्होंने जनजातिय समुदाय के लिए काम करने वाले और पद्म पुरस्कार पाने वालो का जिक्र करते हुए कहा कि जनजातीय समुदायों से जुड़ी चीजों के संरक्षण और उन पर रिसर्च के प्रयास भी होते हैं। टोटो, हो, कुई, कुवी और मांडा जैसी आदिवासी भाषाओं पर काम करने वाली कई महान हस्तियों को पद्म पुरस्कार मिल चुके हैं। सिद्दी, जारवा और ओंगे जनजाति के साथ काम करने वाले लोगों को भी इस बार पुरस्कृत किया गया है।

पद्म पुरस्कार विजेताओं की एक बड़ी संख्या आदिवासी समुदायों और आदिवासी समाज से जुड़े लोगों से आती है। आदिवासी जीवन शहर के जीवन से अलग है, इसकी अपनी चुनौतियाँ भी हैं। इन सबके बावजूद आदिवासी समाज अपनी परंपराओं को बचाने के लिए हमेशा उत्सुक रहता है।

अन्य पद्म पुरस्कार विजेता मोहम्मद जाज के बारे में भी उन्होंने जिक्र किया है। उन्होंने कहा कि इस बार पद्म पुरस्कार पाने वालों में वे लोग हैं जिन्हें संतूर, बम्हुम, द्वीतारा जैसे हमारे पारंपरिक वाद्य यंत्रों की धुन फैलाने में महारत हासिल है। चारों तरफ गुलाम मोहम्मद जाज, मोआ सु-पोंग, री-सिंहबोर कुर्का-लॉन्ग, मुनि-वेंकटप्पा और मंगल कांति राय की चर्चा हो रही है।

लोकतंत्र पर सभी को गर्व है
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र बताया और कहा कि हम भारतीयों को इस बात का गर्व भी है कि हमारा देश ‘मदर ऑफ डेमोक्रेसी’ भी है। लोकतंत्र हमारी रगों में है, हमारी संस्कृति में है। सदियों से यह हमारे काम का अभिन्न हिस्सा रहा है। स्वभाव से हम एक ‘डेमोक्रेटिक सोसाइटी’ हैं।

मिलेट्स को लेकर फिर किया जिक्र
पीएम मोदी ने आंध्र पर्देश के नांदयाल जिले के रहने वाले के.वीं रामा सुब्बा रेड्डी का जिक्र मन की बात में किया है। उन्होंने बताया कि मिलेट्स के लिए अच्छी खासी सैलरी वाली नौकरी उन्होंने छोड़ दी। मां के हाथों से बने मिलेट्स के पकवानों का स्वाद कुछ ऐसा रचा-बसा था कि इन्होंने अपने गांव में बाजरे की प्रोसेसिंग यूनिट ही शुरू कर दी।

वहीं महाराष्ट्र में अलीबाग के पास केनाड गांव का भी बताया गया की रहने वाली शर्मीला ओसवाल जी पिछले 20 सालों से मिलेट्स की पैदावार में यूनिक तरीके से योगदान दे रही हैं। वो किसानों को स्मार्ट एग्रिकल्चर की ट्रेनिंह दे रही हैं। उनके प्रयासों से सिर्फ Millets की उपज बढ़ी है। ओडिशा की Milletpreneurs आजकल खूब सुर्खियों में हैं। आदिवासी जिले सुंदरगढ़ की करीब डेढ़ हजार महिलाओं का सेल्फ हेल्प ग्रुप, ओडिशा मिलेट्स मिशन से जुड़ा है।

क्लाइमेट चेंज पर कही बड़ी बात
उन्होंने कहा कि आज पूरी दुनिया में क्लाइमेट चेंज और बायोडायवर्सिटी के संरक्षण की बहुत चर्चा होती है। इस दिशा में भारत के ठोस प्रयासों के बारे में हम लगातार बात करते रहे हैं। हमारे देश में अब रामसर साइट्स की कुल संख्या 75 हो गई है, जबकि 2014 के पहले देश में सिर्फ 26 रामसर साइट्स थी।