Breaking News

श्री अन्ना का अर्थ है छोटे किसानों की समृद्धि का प्रवेश द्वार है: पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ने आज ग्लोबल मिलेट्स (श्री अन्न) कॉन्फ्रेंस के उद्घाटन कार्यक्रम में हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष 2023 पर एक डाक टिकट और सिक्के का अनावरण भी किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि ग्लोबल मिलेट्स (श्री अन्न) कॉन्फ्रेंस जैसे आयोजन न सिर्फ वैश्विक सामान के लिए जरूरी हैं, बल्कि वैश्विक सामान में भारत की बढ़ती जिम्मेदारी का भी प्रतीक हैं। उन्होंने कहा कि जब हम किसी संकल्प को आगे बढ़ाते हैं, तो उसे सिद्धि तक पहुंचाने की जिम्मेदारी भी उतनी ही अहम होती है। मुझे खुशी है कि आज विश्व जब ‘international millet year’ मना रहा है, तो भारत इस अभियान की अगुवाई कर रहा है।

मोदी ने कहा कि बाजरे को अब ‘श्री अन्ना’ के नाम से जाना जाता है। यह सिर्फ भोजन या कृषि तक ही सीमित नहीं है। श्री अन्ना अब भारत के संपूर्ण विकास का माध्यम बन रहे हैं। श्री अन्ना का अर्थ है छोटे किसानों की समृद्धि का प्रवेश द्वार है। उन्होंने कहा कि हमारे युवा साथी किस प्रकार के नए-नए स्टार्टअप लेकर इस क्षेत्र में आए हैं, ये भी अपने आप में प्रभावित करने वाला है। ये सभी भारत की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है। उन्होंने कहा कि श्री अन्ना को वैश्विक आंदोलन बनाने के लिए हमने अथक प्रयास किया है। 2018 में हमने मोटे अनाज को पोषक अनाज घोषित किया था। इसे हासिल करने के लिए हमने किसानों को जागरूक किया और बाजार में रुचि पैदा की।

प्रधानमंत्री ने साफ तौर पर कहा कि ‘श्री अन्न’ केवल खेती या खाने तक सीमित नहीं हैं, जो लोग भारत की परंपराओं से परिचित हैं, वह ये भी जानते हैं कि हमारे यहां किसी के आगे ‘श्री’ ऐसे ही नहीं जुड़ता है। जहां ‘श्री’ होती हैं वहां समृद्धि भी होती है और समग्रता भी होती है। उन्होंने कहा कि भारत में बाजरा मुख्य रूप से 12-13 राज्यों में उगाया जाता है। हालांकि, इन राज्यों में प्रति व्यक्ति घरेलू खपत 2-3 किलोग्राम प्रति माह से अधिक नहीं थी। आज यह बढ़कर 14 किग्रा प्रति माह हो गया है। उन्होंने कहा कि ‘श्री अन्न’ भी भारत में समग्र विकास का माध्यम बन रहा है, इसमे गांव भी जुड़ा है और गरीब भी जुड़ा है। श्री अन्न यानी देश के छोटे किसानों के समृद्धि का द्वार। श्री अन्न यानी देश के करोड़ों लोगों के पोषण का कर्णधार। श्री अन्न यानी देश के आदिवासी समाज का सत्कार।