लखनऊ विदेश में निर्यात होने वाले मांस और उससे निर्मित उत्पादों पर हलाल प्रमाण पत्र जारी होता रहा है। स्थिति यह हुई की धीरे-धीरे तेल, साबुन, घी सहित सभी उत्पादों पर हलाल प्रमाणन की मुहर लगाने लगी।
उत्तर प्रदेश में किसी भी उत्पाद पर हलाल प्रमाणन पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी गई है। यह पाबंदी खाद्य उत्पाद के साथ ही दवाओं पर भी लागू होगी। ऐसे उत्पाद के निर्माण, भंडारण, वितरण एवं विक्रय पर पूरी तरह से प्रतिबंध रहेगा। इतना जरूर है कि विदेश भेजे जाने वाले उत्पाद के लिए छूट रहेगी। इस संबंध में खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग की अपर मुख्य सचिव अनीता सिंह ने आदेश जारी कर दिया है। सभी खाद्य एवं औषधि निरीक्षकों को निरंतर निगरानी के निर्देश दिए गए हैं।
निर्यात के लिए रहेगी छूट
यदि राज्य में कार्यरत कोई निर्यातक अपने खाद्य उत्पाद अथवा दवा को उन देशों के लिए तैयार करता है, जहां हलाल प्रमाणन युक्त खाद्य उत्पाद ही स्वीकार किए जाते हैं तो उसे छूट दी जाएगी। वह दूसरे देश के लिए तैयार होने वाले उत्पाद का निर्माण, भंडारण एवं वितरण कर सकेगा।
क्या है नियमावली
प्रदेश की नियमावली में हलाल प्रमाणीकरण का कोई नियम नहीं है। सिर्फ गुणवत्ता, पैकिंग, लेबलिंग सही होनी चाहिए। नए आदेश के बाद यदि कोई हलाल प्रमाणीकरण युक्त दवाओं, प्रसाधन सामग्री व खाद्य सामग्री तैयार करता है अथवा भंडारण व वितरण करता है तो उसके खिलाफ अधिनियम 1940 व तत्संबंधी नियमावली के अधीन कार्रवाई की जाएगी। इसके तहत तीन साल का कारावास, एक लाख रुपये जुर्माना, और नियम 18 ए के तहत छह का कारावास अथवा 25 हजार का जुर्माना हो सकता है।
क्या कहते हैं जिम्मेदार
यदि कोई भी कंपनी उत्तर प्रदेश में हलाल प्रमाण पत्र का प्रदर्शन करते हुए अपने उत्पाद बेचती है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इस पर प्रदेश में पूरी तरह से पाबंदी लगा दी गई है। खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग की नियमावली में किसी भी उत्पाद पर हलाल प्रमाण पत्र की जरूरत नहीं है।- अनिता सिंह, अपर मुख्य सचिव खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन।
क्या बोला मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड
हलाल प्रमाणपत्र गैरकानूनी नहीं है। इस्लाम में कई चीजें ऐसी हैं, जिनका खाना प्रतिबंधित है। बाजार में मिलने वाली वस्तु के हलाल प्रमाण पत्र से मुस्लिम समुदाय को उसे खरीदने में आसानी होती है। वहीं हलाल प्रमाण पत्र देने वाली संस्थाएं भी मान्यता प्राप्त हैं।- डॉ. कासिम रसूल इलियास, प्रवक्ता, आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ।
हमें पता हो कि क्या हराम है
क्या हमें खाना है, क्या चीज हमें इस्तेमाल करनी है। यह तमाम चीजें इस्लाम के दायरे में होनी चाहिए। जो चीज हम इस्तेमाल कर रहे हैं, वह हलाल है या हराम है। इन सब बातों की हमें जानकारी होनी चाहिए। अब यह बात सामने आई है, जहां पर हलाल सर्टिफिकेशन में या किसी भी चीज में हलाल है या हराम को बताने में पाबंदी लगाई जा रही है। लगता है बड़े पैमाने पर एक्सपोर्ट में और इकोनॉमी में नुकसान होगा। यह हमारे मुल्क की इकोनॉमी के लिए और मुसलमान के लिए बेहतर नहीं है।-सुफियान निजामी, प्रवक्ता, दारुल उलूम फरंगी महली।