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नीतीश कुमार नाक भी रगड़ ले फिर भी भाजपा का दरवाज़ा उनके लिए कभी नहीं खुलेगा: सुशील मोदी

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सोमवार को पटना में भारतीय जनसंघ के विचारक पंडित दीनदयाल उपाध्याय की 107वीं जयंती समारोह में शामिल हुए, जिसके बाद एनडीए में उनकी वापसी को लेकर चर्चा तेज हो गई। कुमार की हालिया कार्रवाइयों ने उनके भविष्य के राजनीतिक कदमों के बारे में कई सवाल और अटकलें खड़ी कर दी हैं, खासकर चुनावों से पहले। हालांकि, जनता दल (यूनाइटेड) नेता ने एनडीए में अपनी वापसी की अटकलों पर पूर्ण विराम लगाते हुए कहा कि वह विपक्ष को एकजुट करने के लिए काम कर रहे हैं और यह एक बड़ी उपलब्धि होने वाली है। वहीं, भाजपा भी इन कयासों को विराम लगाने की कोशिश कर रही है।

भाजपा सांसद सुशील मोदी ने कहा कि नीतीश कुमार नाक भी रगड़ ले फिर भी भाजपा का दरवाज़ा उनके लिए बंद हो चुका है… वे अब एक राजनीतिक बोझ हो चुके हैं और जो बोझ बन चुका है उसको ढ़ोने का काम भाजपा क्यों करेगी। बिहार के नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि उन्हें (नीतीश कुमार को) कौन वापस ले जा रहा है? बिहार के लोग उन्हें स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं और उनके साथ वालों का डूबना तय है।” वहीं, नीतीश कुमार ने कहा कि आपको पता है कि हमने विपक्षी गठबंधन को एकजुट किया है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि कौन क्या बोलता है, वह मुझे पता नहीं। उन्होंने कहा कि कौन क्या बोलता है, इससे हमें मतलब नहीं है, हम हर रोज की तरह काम कर रहे हैं।

महिला बिल का किया था समर्थन

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुधवार को कहा कि वह संसद और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के आरक्षण के समर्थन में हैं, पर इसमें अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी), अन्य पिछड़ी जाति (ओबीसी) और आर्थिक रूप से पिछड़ी जाति (ईबीसी) के लिए पर्याप्त प्रतिनिधित्व के प्रावधान होने चाहिए। उन्होंने पत्रकारों से बातचीत के दौरान केंद्र से जनगणना कराकर महिला आरक्षण विधेयक के प्रस्तावों को लागू करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ने और जाति जनगणना की उनकी लंबे समय से जारी मांग पर विचार करने का आग्रह किया। नीतीश ने कहा, ‘‘मैं महिला आरक्षण के समर्थन में रहा हूं। उन्हें प्रतिनिधित्व का आश्वासन क्यों नहीं दिया जाना चाहिए? जब मैं संसद का सदस्य था तब मेरे भाषण इसको लेकर मेरे रुख की गवाही देंगे।’’