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सुदर्शन न्यूज के जनता मार्च को दिल्ली पुलिस ने कहा ‘अवैध धरना’: लोगों ने पूछा- शाहीन बाग में कहाँ थे?

हरियाणा के फरीदाबाद में निकिता तोमर की हत्या के बाद हर जगह सख्त कानून बनाए जाने की माँग उठ रही है। ऐसे में हिंदू लड़कियों पर होते अत्याचारों के मद्देनजर जागरूकता फैलाने के लिए सुदर्शन टीवी प्रमुख ने एक शांतिपूर्ण प्रदर्शन का आयोजन किया था। 1 नवंबर को दिल्ली के इंडिया गेट पर इसी आयोजन में कई लोग इकट्ठा हुए।

हालाँकि, इस बीच सुदर्शन टीवी एडटिर इन चीफ सुरेश चव्हाणके ने दिल्ली पुलिस पर इस प्रदर्शन में बाधा डालने का आरोप लगा दिया। चैनल ने एक वीडियो शेयर करते हुए बताया कि कैसे इंडिया गेट पर एकत्रित हुए हिंदू प्रदर्शनकारियों के शांतिपूर्ण प्रदर्शन पर दिल्ली पुलिस ने अवैध बल का इस्तेमाल किया। शेयर की गई वीडियोज में कुछ महिला अधिकारियों को हिंदू महिला प्रदर्शनकारी को उठा कर बस में बिठाते देखा जा सकता है।

सुदर्शन टीवी के चीफ एडिटर ने यह भी दावा किया कि उनके पत्रकार गौरव मिश्रा को भी दिल्ली पुलिस ने गैर कानूनी रूप से हिरासत में लिया, क्योंकि उन्होंने भगवा रंग का शर्ट पहना था। सुरेश चव्हाणके ने लिखा, “भगवा पहनना दिल्ली पुलिस के लिए गुनाह है?  इंडिया गेट पर जब हमारे रिपोर्टर गौरव मिश्रा कवर कर रहे थे तो पुलिस ने उन्हें भी डिटेन कर लिया। एक पुलिस वाले ने कहा, तुमने भगवा शर्ट क्यों पहना हुआ है? तुम प्रदर्शन करने आए हो?”

उल्लेखनीय है कि एक ओर जहाँ सुदर्शन न्यूज ने एक ट्वीट में यह भी आरोप लगाया कि जनता मार्च पर हमले का आदेश देने वाले दिल्ली पुलिस अधिकारी का नाम सरफराज है। वहीं दिल्ली पुलिस ने इन आरोपों के मद्देनजर सफाई जारी की है। साथ ही अपने ऊपर लग रहे आरोपों को झूठा बताते हुए खारिज किया।

पुलिस का कहना है कि उन्होंने प्रदर्शनकारियों को सिर्फ़ जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करने के लिए कहा था। लेकिन चैनल सीआरपीसी 144 और डीडीएमए दिशानिर्देशों के तहत प्रतिबंधात्मक आदेशों का उल्लंघन करके इंडिया गेट के पास मानसिंह रोड पर इकट्ठा होकर आगे बढ़ा। इसलिए कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए दिल्ली पुलिस ने कुछ प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया और अन्य लोगों को अवैध धरने से हटा दिया।

बता दें कि, सुदर्शन टीवी के एक आयोजन पर दिल्ली पुलिस की कार्रवाई देखकर कई लोगों में रोष भी है। लोगों का पूछना है कि आखिर जिस तरह से इंडिया गेट पर सुदर्शन टीवी के साथ खड़े प्रदर्शनकारियों को हटाया गया, वैसे ही समान बल का प्रयोग शाहीन बाग में क्यों नहीं किया गया था।

सोशल मीडिया पर यूजर्स ने दिल्ली पुलिस का यह रवैया देखकर उनपर आरोप लगाया कि जब मुस्लिम प्रदर्शनकारी लंबे समय से शाहीन बाग में रोड ब्लॉक करके बैठे थे, तब दिल्ली पुलिस ने अवैध रूप से एकत्रित भीड़ को उठाने के लिए क्या किया। इसके बाद हिंदू विरोधी दंगो को रोकने में कथित विफलता पर भी सवाल उठाया और पूछा कि आखिर वो आज तक मौलाना साद को क्यों नहीं पकड़ पाए।

ज्ञात हो कि पिछले दिनों हरियाणा में निकिता तोमर की हत्या के बाद से हिंदू लड़कियों की सुरक्षा को लेकर लगातार आवाजें उठ रही हैं। निकिता पर तौसीफ नाम का युवक लगातार धर्म परिवर्तन के लिए दबाव बना रहा था, लेकिन जब उसने उसकी बात नहीं मानी तो वह उसे उसके कॉलेज के बाहर गोली मार कर फरार हो गया। इस घटना के बाद कई संगठनों ने लव जिहाद जैसे मामलों पर कड़े कानून को बनाने की अपील सरकार से की थी और इसी घटना के बाद सुदर्शन न्यूज ने भी जनता मार्च निकालकर जागरूकता फैलाने का फैसला किया था।