www.puriduniya.com नई दिल्ली। चुनाव आयोग पार्टी CPM को नैशनल पार्टी का दर्जा मिले रहना चाहिए अथवा नहीं इस पर विचार कर सकती है। पश्चिम बंगाल चुनावों में CPM का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा है। इससे पहले 2014 के लोकसभा चुनावों में भी पार्टी का प्रदर्शन खराब रहा था। हालांकि, केरल में लेफ्ट गठबंधन की सत्ता में वापसी जरूर हुई है।
निर्वाचन सदन से जुड़े सूत्रों ने हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा, ‘नैशनल पार्टी का दर्जा मिलने के लिए जरूरी शर्तों में EC कुछ बदलाव कर सकती है। ऐसे विकल्प पर विचार किए जा रहे हैं कि पांच साल पर होने वाले रिव्यू के स्थान हर दो चुनाव के बाद पार्टियों के नैशनल पार्टी का दर्जा मिलने की पात्रता की जांच की जाए।’
EC के एक अधिकारी ने कहा, ‘राज्यों के विधानसभा चुनावों के नतीजे बेहद चौंकाने वाले आ रहे हैं। ऐसे में किसी पार्टी के राष्ट्रीय पार्टी होने की पात्रता की जांच हर पांच साल बाद किए जाने का औचित्य नहीं बनता। दो चुनावों के बाद इसकी रिव्यू की जानी चाहिए कि एक पार्टी राष्ट्रीय पार्टी होने की योग्यता और जरूरी शर्तों को पूरा कर पा रही है अथवा नहीं।’
नैशनल पार्टी का दर्जा होने की वजह से CPM नेताओं को कई सुविधाएं भी मिलती हैं। इसके तहत नैशनल मीडिया पर प्रचार के लिए कुछ समय और 40 VVIP उम्मीदवारों को यात्रा व्यय मिलना शामिल है। अगर लेफ्ट पार्टी के हाथ से यह दर्जा छिनता है तो पार्टी को मिलने वाली इन सुविधाओं से भी वंचित होना पड़ेगा।
चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार एक पार्टी को नैशनल पार्टी का दर्जा देने के लिए कुछ निर्धारित मानदंड हैं। इसके तहत किसी पार्टी के कम से कम 11 सांसद (तीन राज्यों से) लोकसभा में होने चाहिए। या फिर लोकसभा चुनाव में कम से कम चार राज्यों में छह फीसदी वोट शेयर और चार लोकसभा सीट होनी चाहिए। या फिर, चार राज्यों में एक पार्टी के पास स्टेट पार्टी का दर्जा हो तब भी किसी पार्टी को नैशनल पार्टी का दर्जा मिल सकता है।
CPM राज्य की पार्टी होने का मानदंड भी सिर्फ तीन राज्यों बंगाल, त्रिपुरा और केरल में पूरा करती है। 2014 लोकसभा चुनावों में पार्टी को सिर्फ नौ सीटें मिली थीं वहीं वोट शेयर महज 3.25 फीसदी था।
चुनाव आयोग का पैनल BJP, NCP और BSP को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिले रहना चाहिए या नहीं इस पर समीक्षा करेगी। इन सभी पार्टियों ने 2014 लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन किया था। विधानसभा चुनावों में भी CPM और NCP का प्रदर्शन बंगाल और महाराष्ट्र में उल्लेखनीय नहीं रहा है। चुनाव नतीजों के बाद आयोग की तरफ से नोटिस जारी कर इनसे राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा क्यों वापस नहीं लिया जाए, इस पर जवाब देने के लिए कहा गया था।