नई दिल्ली। वित्तमंत्री अरुण जेटली द्वारा सोमवार को पेश किए गए बजट में कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) से निकासी पर टैक्स लगाने के प्रस्ताव को लेकर काफी विवाद होने पर सरकार ने आंशिक रूप से फैसले को पलट दिया है, लेकिन सरकार का कहना है कि यह वापसी नहीं, स्पष्टीकरण है।
राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि इस साल 1 अप्रैल के बाद जब भी कोई व्यक्ति ईपीएफ से निकासी करता है, सिर्फ ब्याज की रकम पर टैक्स लगाया जाएगा।
राजस्व सचिव ने कहा, “मूलधन पर टैक्स नहीं लगेगा, और निकासी के समय वह करमुक्त ही रहेगा… हमने जो कहा था, वह यह है कि 1 अप्रैल के बाद दिए गए अंशदान पर जो ब्याज मिलेगा, उसकी 40 प्रतिशत राशि करमुक्त होगी, तथा शेष 60 प्रतिशत पर टैक्स लगेगा… यही नहीं, अगर यह अंशदान पेंशन योजनाओं में निवेश कर दिया जाता है, तो ब्याज की 60 प्रतिशत राशि भी करमुक्त होगी…”
सोमवार को पेश किए गए बजट में कहा गया था कि 1 अप्रैल, 2016 के बाद ईपीएफ से की गई निकासी पर 60 प्रतिशत राशि करयोग्य होगी, जबकि 40 प्रतिशत राशि करमुक्त रहेगी। मौजूदा समय में संपूर्ण राशि करमुक्त है।
इसके बाद जनसाधारण तथा राजनैतिक दलों ने सरकार पर इस कदम के लिए जमकर बरसना शुरू कर दिया, और ट्विटर पर #RollBackEPF टॉप ट्रेंड बन गया, जिसके बाद मंगलवार सुबह बीजेपी सांसदों की बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा की गई।
सूत्रों का कहना है कि अब इस बात का फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे कि क्या सरकार को बजट में घोषित इस फैसले को वापस ले लेना चाहिए। सूत्रों ने यह भी कहा कि बजट प्रस्ताव को पूरी तरह वापस लिया जाना मुमकिन नहीं होगा, लेकिन सरकार देश के 6.5 करोड़ से भी ज़्यादा वेतनभोगियों को इस कदम से लगने वाले झटके को कम करने के रास्ते तलाश कर रही है।
फिलहाल, सरकार भले ही उम्मीद कर रही है कि मंगलवार सुबह राजस्व सचिव द्वारा दी गई सफाई से लोगों का गुस्सा शांत हो जाएगा, लेकिन विपक्षी दलों ने संकेत दिए हैं कि वे निर्णय को पूरी तरह वापस लिए जाने के पक्ष में हैं।
वित्तमंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को बीजेपी सांसदों की बैठक में कहा कि सरकार लोगों को रिटायरमेंट के बाद निश्चित आय पाने की व्यवस्था करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहती है, तथा चाहती है कि ईपीएफ तथा राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) में समानता हो।
कांग्रेस नेता शशि थरूर ने सरकार के बजट में उठाए कदम का जोरदार विरोध करते हुए सोमवार को ही कहा था, “लोग पीएफ का पैसा पेंशन योजनाओं में डालने के लिए नहीं निकालते हैं, बल्कि तब निकालते हैं, जब उनके लिए बहुत ज़रूरी हो जाता है…”
जाने-माने वित्त विशेषज्ञ तथा सेंटर फॉर इन्वेस्टमेंट एजुकेशन एंड लर्निंग के प्रबंध निदेशक उमा शशिकांत ने ट्वीट किया, “हमारे पैसे को चाहे हम जमा रखें, चाहे निकालें और मर्ज़ी के मुताबिक खर्च करें… निकासी के वक्त ईपीएफ पर टैक्स लगाना, और जबरन पेंशन योजना में पैसा डलवाना दोनों ही खराब आइडिया हैं…”