लखनऊ/गोरखपुर। आक्सीजन से हुई मौते के हंगामे के बाद भी बीआरडी मेडिकल कालेज में मासूमों की मौत का सिलसिला थमता नहीं दिख रहा है। नवजात बच्चों के लिए बनाया गया मेडिकल कालेज के एनआईसीयू में पिछले आठ माह में 1089 बच्चों की मौत का आंकड़ा दहशत के भाव से भर देने वाला है। लेकिन अपने बच्चों को खोने वाले दम्पत्तियों को इतनी संख्या में होने वाली मौतों का न तो कोई स्पष्ट कारण समझ आ रहा न ही वहां मिलने वाला उपचार।
साल 2017 मे जनवरी से अगस्त तक का केवल आंकड़ा करा देखे तो एनआईसीयू में करीब 2500 नवजात भर्ती किए गए जिनमें से 1089 नवजात तभी बाहर आए जब उनकी मौत हो गई। मरने वाले यह उन बच्चों का आंकड़ा हैं जिनके पैदा होने की खुशियां भी उनका परिवार नहीं मना पाता। इन बच्चों की उम्र एक दिन से 30 दिन है।
हालांकि आक्सीजन से हुई मौतों के दौरान मेडिकल कालेज का निरीक्षण करने आए स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा था कि अगस्त माह में तो मेडिकल कालेज में मौते होती ही हैं।
आंकड़ों में देखे बच्चों के जन्म की लुटती खुशियां
महीना मौतें
जनवरी – 147
फरवरी- 117
मार्च- 141
अप्रैल- 114
मई- 127
जून- 125
जुलाई- 095
अगस्त- 223
संक्रमण तो नहीं ले रहा मासूमों की जान?
मेडिकल कालेज के एनआईसीयू में संक्रमण तो बच्चों की मौत की वजह नहीं बन रहा? यह बड़ा सवाल है जिसका जवाब बड़ी आसानी से जिम्मेदार यह कह कर देते हैं कि विसंक्रमित किया जाता है। लेकिन यह कब और कैसे होता है, क्योंकि वार्ड में तो हमेशा बच्चे भर्ती रहते हैं, उन्हें वार्ड को विसंक्रमित करने के दौरान कही और शिफ्ट करने का स्थान भी नहीं है।
अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त है नियोनेटल वार्ड
बाबा राघवदास मेडिकल कालेज का नियोनेटल वार्ड अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त है। आईसीयू में जीवन रक्षा प्रणाली लगाई गई है। त्रि-स्तरीय आक्सीजन आपूर्ति की सुविधा है। विशेषज्ञ डाक्टर एवं स्टाफ की देख रेख में उपचारार्थ बच्चों को रखा जाता है। लेकिन इस सभी सुविधाओं से युक्त एनआईसीयू छोटे बच्चों का जीवन बचाने में असक्षम साबित हो रहा है। एनआईसीयू में भर्ती होने वाले 35 से 40 प्रतिशत नवजात वापस बाहर की दुनिया नहीं देख पा रहे हैं।
72 घंटे में 61 मासूमों की मौत
रविवार से मंगलवार तक 72 घंटों में गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज के बालरोग विभाग के एनआईसीयू और पीआईसीयू में पिछले 72 घंटों में 61 बच्चों की मौत हो गई है। मुख्यमंत्री द्वारा खबर का संज्ञान लिए जाने के बाद बुधवार की शाम मण्डल आयुक्त अनिल कुमार, जिलाधिकारी राजीव रौतेला, एडीएम सिटी रजनीश चंद्र, एडी हेल्थ डा. पुष्कर आनंद, पुलिस अधीक्षक गणेश साहा ने मेडिकल कालेज पहुंच प्राचार्य डा. केपी सिंह और अन्य चिकित्सकों से बात की। फिलहाल बीते 24 घंटे में ही 25 बच्चों ने दम तोड़ दिया। मरने वालों में इंसेफेलाइटिस के 11 मरीज शामिल हैं। यही वो अस्पताल है जहां 10 अगस्त को ऑक्सीजन की कमी की वजह से 36 बच्चों की जान गई थी।