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अखिलेश यादव ने उपचुनावों को लेकर भाजपा के खिलाफ तीखा हमला किया

लखनऊ। लोकसभा चुनावों में मिली व्यापक सफलता के बाद समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश में होने वाले उपचुनावों को लेकर भाजपा के खिलाफ तीखा हमला किया है। अखिलेश यादव ने भाजपा को अपनी नीतियों पर चलने को मजबूर करते हुए आरक्षण और पीडीए जैसे मुद्दों पर हमला किया है। उन्होंने भाजपा की नीतियों पर कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि भाजपा की ‘बांटने की राजनीति’ खुद बंट चुकी है। उन्होंने पन्ना प्रमुखों की चर्चा करते हुए भाजपा पर कटाक्ष किया और उपचुनाव से पहले भाजपा पर 25 सवालों की एक लंबी सूची भी जारी की है।

अखिलेश यादव ने भाजपा पर आरोप लगाया कि वह अपनी हार के बाद हताशा में है और अब बूथ स्तर पर अपने संगी-साथियों को व्यवस्था संभालने के लिए भेज रही है। उनका कहना है कि भाजपा की ऐतिहासिक पराजय के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं में भरोसे की कमी हो गई है, और पार्टी के भीतर आपसी मतभेद उभरकर सामने आए हैं। अखिलेश ने कहा कि भाजपा का ‘संगी-साथी’ पक्ष हार के कारणों को छुपाने की कोशिश कर रहा है, जबकि सच्चाई यह है कि भाजपा ने हार स्वीकार कर ली है और अब भविष्य के प्रति चिंतित है। उन्होंने कहा कि भाजपा के कार्यकर्ता अब दूसरों पर आरोप लगाकर अपनी स्थिति को बेहतर करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन इससे उन्हें कोई लाभ नहीं होने वाला है।

अखिलेश यादव ने भाजपा के पन्ना प्रमुखों की चर्चा की और कहा कि जिन पन्ना प्रमुखों की बात भाजपा करती थी, वे अब इतिहास बन गए हैं। भाजपा के गिने-चुने कार्यकर्ता अब हताश हैं और सोचते हैं कि जब समाज का 90% हिस्सा पीडीए के साथ है, तो वे किसके पास जाकर वोट मांगें और अपने विरोधी बनने का ठप्पा क्यों स्वीकार करें। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा के कार्यकर्ता अब उन दलों में ठिकाना ढूंढ़ रहे हैं जो वास्तव में जनता के साथ हैं, क्योंकि भाजपा में किसी की कोई सुनवाई नहीं है और ऐसे दलों में मान-सम्मान मिलने की उम्मीद भी नहीं है।

 

अखिलेश ने कहा कि जनता अब पीडीए की एकता और एकजुटता के साथ खड़ी है क्योंकि पीडीए की सकारात्मक राजनीति लोगों को जोड़ती है और समाज के भले के लिए काम करती है। उन्होंने भाजपा की आलोचना करते हुए कहा कि भाजपा के लिए चुनावी जीत और सत्ता प्राप्ति ही मुख्य उद्देश्य है, जबकि जनता के हितों को पूरी तरह से नजरअंदाज किया गया है। इसके विपरीत, पीडीए का उद्देश्य समाज का कल्याण है और यही कारण है कि समाज का वंचित और शोषित वर्ग भी पीडीए में अपना भविष्य देख रहा है।

 

अखिलेश यादव ने भाजपा पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा ने कई मुद्दों पर जनता से झूठे वादे किए और उन्हें पूरा नहीं किया। उन्होंने सवाल उठाया कि भाजपा ने छुट्टा जानवरों से निजात दिलवाने का झूठा वादा क्यों किया, किसानों की भूमि हड़पने के लिए काले कानून क्यों लाए, और किसानों को लाभकारी एमएसपी क्यों नहीं दिया। इसके अलावा, उन्होंने संविधान की समीक्षा और उसे बदलने की बात करने, 69000 में आरक्षण का हक मारने, लेटरल भर्ती का षड्यंत्र रचने, और अग्निवीर सैन्य भर्ती से युवाओं का भविष्य बर्बाद करने जैसे गंभीर आरोप भी लगाए।

अखिलेश ने भाजपा की नीतियों की आलोचना करते हुए कहा कि भाजपा ने पुलिस भर्ती में हेराफेरी की, नीट व अन्य पेपर लीक करवाए, महंगाई को बढ़ने दिया, 15 हजार खाते में देने का झूठ बोला, नोटबंदी व जीएसटी से काम-कारोबार तबाह किया, नजूल व वक्फ भूमि को हड़पने की कोशिश की, और लाखों लोगों के घर-मकान-दुकान पर बुलडोजर चलवाया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा ने महिलाओं के शोषण करने वालों को राजनीतिक प्रश्रय दिया, मजदूरों की मजदूरी में बढ़ोतरी नहीं की, और गरीबों के नाम पर चल रही योजनाओं में भ्रष्टाचार होने दिया।

 

अखिलेश ने भाजपा पर प्रेस की अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला करने और बैंकों में पेनल्टी लगाकर जनता की बचत का पैसा हड़पने का भी आरोप लगाया। उन्होंने शिक्षा और सेहत को निजी हाथों में देने और समाज के प्रेम, सौहार्द, भाईचारे को खत्म करने की साजिश करने की बात भी उठाई।

 

अखिलेश यादव ने यह भी कहा कि भाजपा के संगी-साथियों को गाँव-गलियों में जाकर जनता के सवालों का जवाब देना होगा। उन्होंने कहा कि जनता भाजपा के संगी-साथियों से सवाल पूछेगी और ये सवाल उनके चुनावी अभियान को प्रभावित करेंगे। अखिलेश ने यह भी स्पष्ट किया कि जो जनता के साथ नहीं है, उसके साथ बातचीत की कोई आवश्यकता नहीं है।

 

अखिलेश यादव की ये टिप्पणियाँ भाजपा के खिलाफ उनकी तीखी रणनीति का हिस्सा हैं और उपचुनावों में उनकी पार्टी की स्थिति को मजबूत करने के प्रयास के रूप में देखी जा रही हैं। उपचुनावों के नजदीक आते ही, यह स्पष्ट हो रहा है कि समाजवादी पार्टी ने भाजपा के खिलाफ एक व्यापक और आक्रामक रणनीति तैयार की है, जिससे भाजपा की चुनावी संभावनाओं को चुनौती दी जा सके।