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शौचालय में कही पूवाल तो कहीं रखी जा रही लकड़ी

मऊ। स्वच्छ भारत मिशन को पांच साल पूरे हो चुके हैं, मगर गांवों को खुले में शौच मुक्त बनाने का सपना अब तक साकार नहीं हो पाया है। अभियान के तहत गांव-गांव शौचालय तो बनवा दिए गए, लेकिन इन शौचालयों का उपयोग सुनिश्चित कराने की सुध किसी को नहीं है। आलम यह है कि शौचालयों में कहीं कबाड़ रखा जा रहा है तो कहीं उपले और लकड़ी हैं। तमाम शौचालय अब भी अधूरे पड़े हैं।लोग दरवाजे की जगह कपड़े का पर्दा डालकर काम चला रहे हैं।
कोपागंज ब्लॉक के मुहम्मदपुर बाबूपुर गांव में दर्जनों शौचालय बनाए गए हैं। गांव ओडीएफ हो चुका है, मगर यहां बने शौचालय की हालत खस्ता है। कहीं शौचालय में कपड़े का पर्दा लगाकर काम चला रहे हैं। तों कही दरवाजा तक नही लग सका है।कही अगल-बगल घास-फूस देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कहीं छत तक नही लगा है। कि काफी समय से उसका इस्तेमाल नहीं हुआ है। गांव के कई अन्य शौचालयों का भी यही हाल है। कई ऐसे लोग हैं, जिन्हें पात्रता सूची के बाद भी शौचालय नहीं मिला है। लिहाजा वह खुले में शौच जाने के लिए विवश हैं। बावजूद गांव को खुले में शौच मुक्त घोषित कर दिया गया है।
इस संन्दभ में एडीओ पंचायत कोपागंज विजय शंकर सिंह ने बताया की मामला संज्ञान में नहीं है। इसके बारे में सचिव व ग्राम प्रधान से आप सम्पर्क करें।