एक रिपोर्ट के अनुसार, दिनभर में पंद्रह सिगरेट पीने से भी भयावह है अकेलापन. समय रहते इस अकेलेपन से जूझ रहे व्यक्तियों का ज़िंदगी प्रकाशमय नहीं किया गया, तो जिंदगी में सूनेपन की विकलांगता पसर जाएगी.
हाल ही में ब्रिटेन ने अकेलापन मंत्री का प्रस्ताव पेश किया है. क्या वाकई इसकी आवश्यकताहिंदुस्तान में भी है? जब प्यार, दोस्ती, अपनापन खरीदा नहीं जा सकता, तो क्या अकेलेपन से स्वयं उबरा जा सकता है? शायद हां. एक प्रयास की जा सकती है. कुछ राष्ट्रों ने इस भयावह स्थिति से निबटने का उपचार जरूरी किया है. मसलन, नीदरलैंड में विद्यार्थियों को प्रति हफ्ते 30 घंटे बुजुर्गों वनिवासियों के साथ व्यतीत करने होते हैं, ताकि एकाकी नागरिकों में कौशल विकसित किया जाए वजीने की उमंग का पुनः सृजन किया जाए.
इसी तर्ज पर सिंगापुर में कुछ वर्ष पहले सेवानिवृत्त लोगों को कार्य पर वापस लौटने के मौका दिए जा रहे हैं. कारण सेवानिवृत्त होने पर लोगों में जीने का मकसद खो जाता है व अंधेर कोठरी में बंद वे अकेलेपन का शिकार हो जाते हैं.
कई लोग जब तनाव में रहते हैं, तो वे अपनी स्वास्थ्य पर भी ध्यान नहीं दे पाते हैं. कई तो इस कदर डिप्रेस्ड हो जाते हैं कि खाना-पीना तक छोड़ देते हैं. इतना जान लें कि इस संसार में दुखी सिर्फ आप ही नहीं, बल्कि आप जैसे कई लोग भी हैं. लेकिन दुख से निपटने का यह उपाय कतई नहीं उचित ठहराया जा सकता है. एम्स के मनोरोग विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डाॅ। राजेश सागर कहते हैं, ‘देेश में एक हजार में से सात आदमी ऐसे हैं, जो तनाव में आकर नशीली चीजों की ओर उन्मुख होते हैं.