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सोनिया गांधी फिर मुसीबत में, यौन शोषण के आरोपी की मदद में हो सकता है मुकदमा

नई दिल्ली। चुनावी मौसम में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की मुसीबत बढ़ सकती है। तहलका से जुड़े एक बड़े खुलासे के बाद उन पर मुकदमा दर्ज होने का खतरा मंडरा रहा है। मामला है यौन शोषण के आरोपी तहलका के संपादक रहे तरुण तेजपाल को बचाने का।  2014 के लोकसभा चुनाव में रायबरेली से भाजपा प्रत्याशी रहे सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील अजय अग्रवाल ने सोनिया गांधी पर एफआईआर दर्ज करने की मांग की है।  दरअसल हाल में एक अंग्रेजी टीवी चैनल ने खुलास किया था कि तेजपाल के खिलाफ जांच को रोकने के लिए  साल 2004 में तत्कालीन वित्त मंत्री पी. चिदंबरम को सोनिया गाँधी ने पत्र लिखा था। इस पत्र में सोनिया ने तहलका न्यूज़ पोर्टल के फाइनेंशियल प्राइवेट फर्म फर्स्ट ग्लोबल के खिलाफ जांच रुकवाने के भी निर्देश जारी किये थे।

तरुण तेजपाल की तहलका पत्रिका से जुड़ी कंपनी फर्स्ट ग्लोबल के खिलाफ कुछ गड़बड़ी की मिली शिकायतों पर केंद्रीय एजेंसियां जांच कर रहीं थीं। जिस पर तरुण तेजपाल ने यूपीए सरकार बनने पर सोनिया गांधी से गुहार लगाई थी कि भाजपा नेताओँ के खिलाफ पूर्व में किए गए स्टिंग के चलते उनके खिलाफ शिकायतें हुई हैं। जिनकी जांच के नाम पर केंद्रीय एजेंसियां परेशान कर रहीं। टीवी चैनल के खुलासे के मुताबिक सोनिया गांधी के पत्र का असर ये हुआ था कि 6 दिनों के बाद ही  चल रही जांच हटा ली गई थी. 2004 में सत्ता में आने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रवर्तन निदेशालय को मिलने के लिए बुलाया था। सोनिया ने पी चिदंबरम को ये निर्देश दिए थे कि तहलका मामले को सुलझाने की प्राथमिकता दी जाए ताकि इस बात की तसल्ली की जा सके कि इस केस में किसी भी प्रकार का अनुचित या गैरकानूनी काम नहीं किया गया है। इस पत्र के मिलने के 4 दिन बाद ही यूपीए सरकार ने ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स का गठन किया था और 2 दिन बाद फर्स्ट गलोबल पर चल रही जांच हटा ली गई थी।

क्या है अजय अग्रवाल की मांग

भाजपा नेता और सुप्रीम कोर्ट के वकील अजय अग्रवाल ने सोनिया गांधी के खिलाफ तहरीर दी है। नई दिल्ली के डिप्टी कमिश्‍नर से यह मांग करते हुए उन्हें पत्र लिखा है। जिसमें दो मीडिया चैनल का हवाला देते हुए अजय अग्रवाल ने इस मामले को बेहद गंभीर बताते हुए कार्रवाई की मांग की है। वरिष्‍ठ वकील के मुताबिक, बिना किसी संवैधानिक पद पर रहते हुए सोनिया का यह निर्देश गैर-कानूनी है।