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शिक्षामित्र मामले से सरकार का कोई लेना देना नहींः योगी सरकार

लखनऊ । शिक्षामित्रों के समायोजन रद होने का मुद्दा जब उत्तर प्रदेश विधान परिषद में गूंजा तो सरकार ने पहले मामले में रास्ता तलाशने का आश्वासन दिया था लेकिन आज इस मुद्दे से पल्ला झाड़ लिया। उत्तर प्रदेश सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा कि शिक्षामित्रों का समायोजन रद होने पर राज्य सरकार को कोई लेना-देना नहीं है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी प्रदेश के सभी शिक्षा मित्रों से सड़कों पर प्रदर्शन नहीं करने की अपील की और कहा कि शिक्षामित्रों के सहयोजन में ही फाल्ट था।

इलाहाबाद में पत्रकारों से बातचीत में सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा कि सरकार ने समायोजन रद नहीं किया, बल्कि कुछ लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की थी, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है। इसके लिए पिछली सरकार जिम्मेदार है। अखिलेश यादव के कार्यकाल में अनेक अनियमितताएं हुईं, जिसे कोर्ट ने रद कर दिया। हमारी सहानुभूति हर शिक्षामित्र के साथ है, लेकिन शिक्षा व्यवस्था ठीक से चले, यह सरकार की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि प्राथमिक विद्यालयों में पढऩे वाले 50 प्रतिशत बच्चों को गुणा-भाग नहीं आता, उसके लिए कौन जिम्मेदार है, यह चिंतनीय प्रश्न है। सरकार बच्चों का भविष्य बर्बाद नहीं कर सकती।

शिक्षा मित्रों के सहयोजन में ही फाल्टः योगी

उल्लेखनीय है कि गुरुवार को नेता सदन डॉ. दिनेश शर्मा ने विधान परिषद में कहा था कि शिक्षामित्रों के मामले में सरकार ऐसा रास्ता तलाश रही है जिससे कि उनका हित संरक्षित रहे और सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अनुपालन भी हो। आज विधान भवन में अपने संबोधन के दौरान योगी आदित्यनाथ ने शिक्षा मित्रों से सड़कों पर प्रदर्शन नहीं करने को कहा है। उन्होंने कहा कि सरकार संवेदनशील है। हम इस समस्या के निष्कर्ष पर लगेंगे। सीएम ने कहा कि शिक्षा मित्रों के सहयोजन में ही फाल्ट था। इसी कारण हाई कोर्ट और सुप्रीमो कोर्ट ने इस समायोजन को निरस्त किया है।

सपा के अहमद हसन ने सदन में कहा कि समाजवादी सरकार ने शिक्षामित्रों के समायोजन को रद करने के हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में उनकी लड़ाई लड़ी। वहीं शिक्षामित्रों को लेकर सरकार की नीयत ठीक नहीं है। पलटवार करते हुए डॉ. दिनेश शर्मा ने उनसे सवाल किया कि ऐसा क्यों है कि सपा सरकार में हुईं 90 फीसद नियुक्तियां कोर्ट ने रद कर दीं। जानते हुए भी नियमों का पालन न कर सपा सरकार बेरोजगार युवाओं को दिग्भ्रमित कर रही थी। शिक्षामित्र मामले में भी सपा सरकार ने जानबूझ कर त्रुटि की, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने उजागर किया। फिर उन्होंने कहा कि यह शिक्षामित्रों के जीवन का प्रश्न है। इसमें राजनीति नहीं करनी चाहिए। सरकार उनके लिए राह तलाश रही है। उन्होंने शिक्षामित्रों से धैर्य व संयम बनाए रखे की अपील की। सरकार के जवाब से असंतुष्ट सपा सदस्यों ने सदन से बहिर्गमन किया था।