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शांतिपूर्ण माहौल के लिए जाने जाना वाला जम्मू आतंकवादियों द्वारा किए गए हमलों की एक श्रृंखला से दहल गया

जम्मू-कश्मीर में हाल के दिनों में बढ़ी आतंकी गतिविधियों को देखते हुए मोदी सरकार विपक्ष के निशाने पर है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक दलों ने सेना के जवानों पर हुए आतंकी हमले की निंदा करते हुए आरोप लगाया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार इस केंद्र शासित प्रदेश में राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक त्रासदी बनी हुई है। कांग्रेस ने कहा है कि केंद्र सरकार को आतंकवाद के खिलाफ पूर्ण पैमाने पर युद्ध शुरू करना चाहिए। राहुल गांधी ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा है कि आतंकी हमलों पर कठोर कार्रवाई करनी होगी, खोखले भाषणों से काम नहीं चलने वाला है। वहीं जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुक अब्दुल्ला ने कहा है कि आतंकवाद पाकिस्तान को बर्बाद कर देगा। जब आतंकवाद बंद होगा तब बातचीत शुरू होगी। दोनों चीजें एक साथ नहीं चल सकती। उन्हें इस बारे में सख़्त कदम उठाने चाहिए।

संयुक्त तलाशी अभियान

 

उधर, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले में आतंकवादी हमले में पांच जवानों की मौत से उन्हें ‘गहरा दुख’ हुआ है। राजनाथ ने कहा कि आतंकवाद विरोधी अभियान जारी है और सैनिक क्षेत्र में ‘शांति एवं व्यवस्था कायम करने’ के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम आपको बता दें कि सेना के गश्ती दल पर घात लगाकर हमला करने वाले आतंकवादियों को पकड़ने के लिए आज एक व्यापक संयुक्त तलाश अभियान शुरू किया गया है। अधिकारियों ने बताया कि जमीनी खोज दल हेलीकॉप्टर और यूएवी निगरानी के साथ तलाश अभियान चला रहे हैं। इसमें खोजी कुत्तों और ‘मेटल डिटेक्टर’ की मदद भी ली जा रही है। इस क्षेत्र में घने जंगलों में तलाश अभियान चलाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि सेना, पुलिस और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) ने माचेडी, बदनोत, किंडली और लोहई मल्हार इलाकों में घेराबंदी की और तलाश अभियान शुरू किया।

विदेशी हो सकते हैं आतंकवादी

 

ऐसा माना जा रहा है कि तीन से चार आतंकवादियों ने हमले को अंजाम दिया जिनमें ज्यादातर विदेशी थे। वे उसी समूह का हिस्सा हैं जो बसनगढ़ हमले में शामिल थे। बसनगढ़ के पनारा गांव में 28 अप्रैल को आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में एक ग्राम रक्षा प्रहरी मोहम्मद शरीफ की मौत हो गयी थी। हम आपको याद दिला दें कि सुरक्षा बलों ने जून में कठुआ जिले के बानी, डग्गर और किंडली इलाकों के ऊपरी क्षेत्रों में एक समूह की गतिविधियों का पता लगाया था और तलाश अभियान चलाया था।

 

पुलिस की सतर्क नजर बनी हुई है

 

पुलिस महानिदेशक आरआर स्वैन उधमपुर जिले के बसंतगढ़ से लगे घने वन क्षेत्र में आतंकवाद-रोधी अभियान की व्यक्तिगत रूप से निगरानी कर रहे हैं, जहां पूर्व में कई मुठभेड़ हुई हैं। यह वन क्षेत्र उधमपुर जिले के बसंतगढ़ से लगा हुआ है। बसंतगढ़ के पनारा गांव में 28 अप्रैल को आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में ग्राम रक्षा प्रहरी मोहम्मद शरीफ की मौत हो गई थी। अधिकारियों ने कहा कि ऐसी आशंका है कि सीमा पार से घुसपैठ करने के बाद आतंकवादियों ने भीतरी इलाकों तक पहुंचने के लिए इस मार्ग का इस्तेमाल किया था।

 

दहल गया है जम्मू

 

देखा जाये तो जम्मू क्षेत्र, जो अपने शांतिपूर्ण माहौल के लिए जाना जाता है, हाल के महीनों में आतंकवादियों द्वारा किए गए हमलों की एक श्रृंखला से दहल गया है। ये हमले सीमावर्ती जिले पुंछ, राजौरी, डोडा और रियासी में हुए हैं। आतंकी गतिविधियों में हालिया वृद्धि उनके पाकिस्तानी आकाओं द्वारा आतंकवाद को फिर से बढ़ावा देने के प्रयासों का परिणाम है। डोडा जिले के गंदोह इलाके में हाल ही में हुए हमले के बाद सुरक्षा एजेंसियां हाई अलर्ट पर हैं, जहां 26 जून को मुठभेड़ में तीन विदेशी आतंकवादी मारे गए थे। गोलीबारी की घटना में राजौरी जिले के मंजकोट इलाके में सेना के एक शिविर को निशाना बनाया गया, जिसमें एक सैनिक घायल हो गया था। सबसे दुखद घटनाओं में से एक 9 जून को हुई थी जब आतंकवादियों ने रियासी जिले के शिव खोड़ी मंदिर से तीर्थयात्रियों को ला रही एक बस पर हमला किया, जिसमें नौ लोगों की जान चली गई और 41 अन्य घायल हुए। ये घटनाएं क्षेत्र में बढ़ती हिंसा की उस प्रवृत्ति को रेखांकित करती है जिसमें सुरक्षा बलों के वाहनों, खोज दलों और सैन्य काफिलों पर हमलों में नागरिक और सुरक्षाकर्मी दोनों हताहत हुए हैं। इससे पहले मई में, आतंकवादियों ने पुंछ जिले में भारतीय वायुसेना के काफिले पर घात लगाकर हमला किया था, जिसमें एक सैनिक की मौत हो गई थी और कई अन्य घायल हो गए थे।

 

पाकिस्तानी ड्रोन मंडराया

 

हम आपको यह भी बता दें कि जम्मू-कश्मीर में पुंछ जिले के कृष्णा घाटी सेक्टर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर सेना के जवानों ने एक पाकिस्तानी ड्रोन पर गोलियां चलाईं। अधिकारियों ने आज बताया कि हालांकि, ड्रोन सोमवार देर रात को कुछ देर तक भारतीय क्षेत्र के ऊपर मंडराने के बाद पाकिस्तान लौट गया। उन्होंने बताया कि नियंत्रण रेखा पर तैनात भारतीय सैनिकों ने रात करीब सवा नौ बजे एक पाकिस्तानी ड्रोन को 1,000 मीटर से अधिक की ऊंचाई पर मंडराता हुआ देख उसे मार गिराने के लिए अगले 10 मिनट में पांच गोलियां चलाईं, जिसके बाद ड्रोन पाकिस्तान लौट गया। अधिकारियों के मुताबिक, आधे घंटे से भी अधिक समय बाद एक पाकिस्तानी ड्रोन को फिर से भारतीय क्षेत्र में घुसते हुए देखा गया और उस पर दो गोलियां चलाई गईं, जिसके बाद वह भी पाकिस्तानी सीमा की ओर लौट गया। अधिकारियों ने बताया कि सैनिकों ने सुबह होते ही सीमा पर स्थित गांवों में तलाश अभियान चलाया, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पाकिस्तानी ड्रोन ने भारतीय क्षेत्र में कोई हथियार या मादक पदार्थ न गिराए हों। हम आपको बता दें कि जम्मू-कश्मीर पुलिस ने हथियार और मादक पदार्थ गिराने के लिए सीमा पर उड़ रहे ड्रोन के बारे में कोई भी सूचना देने पर तीन लाख रुपये का नकद पुरस्कार देने की घोषणा की है।