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रामजन्मभूमि के जमीन मामले में बीजेपी चीफ नड्डा और गृहमंत्री शाह ने मांगी रिपोर्ट, संघ की भी नजर

अयोध्या/लखनऊ। अयोध्या में रामजन्मभूमि (RamJanm Bhoomi) पर मंदिर निर्माण के दौरान जमीन का विवाद तूल पकड़ता जा रहा है. आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए इस मुद्दे को लेकर उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में सियासत गर्मा गई है. समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) और आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) लगातार बीजेपी (BJP) को घेरने की कोशिश कर रहे हैं. इस विवाद की गूंज सुनते ही सूत्रों की मानें तो बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा (Jp Nadda) और गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने इस पूरे मामले की तथ्यात्मक जानकारी मांगी है. वहीं बताया जा रहा है कि संघ नेतृत्व ने भी इस पूरे विवाद की रिपोर्ट श्रीराम जन्मभूमि ट्रस्ट से मांगी है.

हालांकि श्रीराम जन्मभूमि भूमि ट्रस्ट की तरफ से पहले ही इस संबंध में सभी तथ्यों के साथ आधिकारिक तौर पर सफाई दी गई है. श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की तरफ से दावा किया गया है कि अभी तक जितनी भी जमीनें खरीदी गई हैं, उनकी कीमत खुले मार्केट से काफी कम हैं. ट्रस्ट के महासचिव और विश्व हिंदू परिषद के नेता चंपत राय की तरफ से आधिकारिक बयान जारी किया गया कि जिस जमीन की खरीद फरोख्त को लेकर आरोप लग रहे हैं, उस जमीन का कई साल पहले रजिस्टर्ड एग्रीमेंट हो गया था. 18 मार्च 2021 को इसका विक्रेताओं ने पहले बैनामा करवाया और फिर उसके बाद ट्रस्ट के साथ एग्रीमेंट किया गया. ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा कि राजनीति के तहत स्कैम का भ्रम फैलाया जा रहा है. आरोप लगाने वालों ने ट्रस्ट से‌ बात भी नहीं की और तथ्यों की जानकारी भी नहीं ली.

दरअसल सपा नेता और पूर्व मंत्री पवन पांडेय ने राम मंदिर निर्माण के लिए खरीदी गई जमीन में घोटाले करने का आरोप लगाया है. इसके बाद आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने चंदे में घोटाले को लेकर ट्रस्ट और बीजेपी सरकार पर जमकर आरोप लगाये.

यूपी विधानसभा चुनाव में अब ज्यादा समय नहीं रह गया है ऐसे में भावनात्मक और आस्था से जुड़ा ये मुद्दा विपक्ष के पास एक बड़े राजनीतिक हथियार के तौर पर सामने आया है. ऐसे में इस मुद्दे की संवेदनशीलता को देखते हुए बीजेपी आलाकमान भी हरकत में आ गया है. सूत्रों के मुताबिक बीजेपी आलाकमान, गृहमंत्री और संघ इस पूरे मुद्दे पर नजर बनाये हुए हैं. और सभी तथ्यात्मक डॉक्यूमेंट्स की जांच के साथ साथ किस तरह जनता के बीच में इस मुद्दे की सही जानकारी ले जानी है इस पर रणनीति तैयार की जाएगी. क्योंकि विपक्षी इस मामले को आगामी विधानसभा चुनाव में बड़ा मुद्दा बना सकता है.