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राज्यसभा में दूसरे दिन भी पास नहीं हो सका 3 तलाक बिल, सरकार के पास कल आखिरी मौका

नई दिल्ली। बहुचर्चित तीन तलाक बिल पर राज्य सभा में बहस शुरू हो गई है. सदन में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद और सपा के नरेश अग्रवाल ने बिल को सेलेक्ट कमेटी में भेजने की मांग की है. सपा के नरेश अग्रवाल ने सभापति से कहा कि वह बिल को सेलेक्ट कमेटी के लिए भेजने का प्रस्ताव मंजूर करें ताकि पूरे सदन की राय पता चले.

गुलाम नबी आजाद ने कहा, ‘जो बिल लाया गया है, हम सब उसके खिलाफ हैं. अगर ये बिल मुस्लिम महिलाओं के नाम पर लाया गया है, पर इसमें जो प्रावधान हैं वे मुस्लिम महिलाओं को खत्म करने के लिए लाए गए हैं. उनके पति को जेल में डाल कर, जब तक पति जेल में रहेगा उसका खर्चा कौन देखेगा, उसे कौन खिलाएगा. सरकार ऐसा प्रावधान लाए, सरकार खर्चा देगी, ऐसा प्रावधान देगी.’

इसके जवाब में सदन के नेता अरुण जेटली ने कहा कि लाए गए दोनों प्रस्ताव वैध नहीं है. इसके बाद सदन में हंगामा शुरू हो गया. जेटली ने कहा, ‘जो प्रस्ताव आए वो 24 घंटे पहले आने चाहिए थे, नहीं आए. पहली आपत्ति है कि रिजल्यूशन कहता है कि हम नाम देंगे और बाकी के नाम ले लिए जाएंगे. सेलेक्ट कमेटी एक होनी चाहिए जो हाउस के कैरेक्टर को प्रजेंट करे. दोनों प्रस्ताव हाउस के कैरेक्टर को रिप्रजेंट नहीं करते.’

उन्होंने आगे कहा, ‘सेलेक्ट और ज्वाइंट कमेटी अगर एक तरफा नाम देती है तो यह वैध नहीं है. एक सेलेक्ट कमेटी को विधेयक पर काम करना होता है, विपक्ष के नेता चूंकि कहते हैं कि अपोजिशन के ज्यादातर नेता बिल के खिलाफ हैं जो कि नहीं हैं.’ जेटली ने आगे कहा कि बिल के खिलाफ साजिश करने वालों को कमेटी में कैसे रखा जा सकता है. ये नियम है कि ऐसा करने वाले अपने आप कमेटी से डिक्वालीफाई हो जाते हैं.

सेलेक्ट कमेटी की मांग पर अड़ा है विपक्ष

इस बिल को मोदी सरकार ने लोकसभा में तो आसानी से पास करवा लिया. लेकिन, अब राज्यसभा में इसे पास करवाने के लिए सरकार को एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ रहा है. राज्यसभा में आते ही कांग्रेस समेत विपक्ष ने आंकड़े की ताकत दिखाई और सरकार बैकफुट पर आ गई. बुधवार को बिल पेश तो हुआ, लेकिन चर्चा शुरू नहीं हो सकी. अब गुरुवार को सरकार फिर इस बिल को पास करवाने की जोर-आजमाइश करेगी. तीन तलाक पर शाम साढ़े चार बजे बहस होगी. बहस करीब 4 घंटे तक चलेगी.

राज्यसभा में सरकार के पास संख्या है नहीं और विपक्ष अपने इस रुख पर कायम है कि जो बिल सरकार पास कराना चाहती है उसमें तमाम खामियां हैं और उसको सलेक्ट कमेटी के पास भेजी जाने की सख्त जरूरत है. सरकार के पास इस बिल को पास कराने के लिए सिर्फ 2 दिनों का समय है. शीतकालीन सत्र 5 जनवरी को खत्म हो रहा है. उससे पहले सरकार को जरूरी जीएसटी संशोधन बिल भी पास कराना है, जो लोकसभा में पास हो चुका है.

सरकार बनाम विपक्ष

बुधवार को राज्यसभा में बिल पास करा पाने में असफल होने के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि कांग्रेस पार्टी अप्रत्यक्ष तरीके से ट्रिपल तलाक बिल का विरोध कर रही है. वो चाहते तो इस पर कोई सुझाव दे सकते थे, लेकिन वो सिर्फ इसको टालने की कोशिश में लगे हैं. उन्होंने कहा कि आज संसद के लिए एक सुनहरा मौका था कि सालों से मुस्लिम महिलाओं पर जो अन्याय हो रहा है उसे ठीक किया जाए. लेकिन कांग्रेस पार्टी ने उसे नहीं होने दिया. देश के लोगों की जो इच्छा है वह हो कर रहेगी.

जेटली की बातों से यह बात साफ था कि सरकार गुरुवार को फिर से इस बिल को पास कराने की कोशिश कर सकती है. कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भी कहा कि आज लोगों ने देख लिया है कि कौन लोग मुस्लिम महिलाओं को न्याय मिलने के रास्ते में रोड़े अटका रहे हैं. रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सरकार अपनी तरफ से इस बिल को जल्द से जल्द पास कराने के लिए पूरी ताकत लगाएगी.

विपक्ष की मांगों में है दम!

राज्यसभा में बिल पेश होने के बाद विपक्ष की ओर से दो संशोधन पेश किए गए. जेटली ने ये कहकर इन संशोधनों का विरोध किया कि कांग्रेस परंपरा का पालन नहीं कर रही है और संशोधन के लिए 24 घंटे पहले सूचना देनी होती है लेकिन तीखी बहस के बाद उपसभापति पी जे कुरियन ने इस संशोधनों को वैध माना. इसके बाद विपक्षी सदस्य इन संशोधनों पर वोटिंग की मांग करने लगे लेकिन सत्ता पक्ष की ओर से कुछ सदस्य हंगामा करने लगे. इसपर चेयर ने सदन की कार्यवाही पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी.

लोकसभा में हो चुका है पास

आपको बता दें कि बिल का दोनों सदनों में पास होना जरूरी है, उसके बाद इसे राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा. लोकसभा में यह बिल 28 दिसंबर को पेश किया गया था जो 7 घंटे तक चली बहस के बाद पास हो गया था. बहस के बाद कई संशोधन भी पेश किए गए, लेकिन सदन में सब निरस्त कर दिए गए. इनमें AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी के भी 3 संधोधन थे.