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फांसी के 85 साल बाद बेगुनाह साबित होंगे भगत सिंह!

Bhagat-Singhलाहौर। महान स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह की फांसी के 85 साल बाद एक पाकिस्तानी कोर्ट में बुधवार को ब्रिटिश पुलिस ऑफिसर सॉन्डर्स के मर्डर केस में सुनवाई हुई। भगत सिंह को औपनिवेशिक सरकार ने फांसी दे दी थी। इस मामले में लाहौर हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस इजाजुल अहसान ने जस्टिस खालिद महमूद खान की अध्यक्षता में एक डिविजन बेंच गठित की है।

इस मामले में आखिरी सुनवाई जस्टिस शुजात अली खान ने मई 2013 में की थी। तब उन्होंने इस केस को चीफ जस्टिस के पास के इस मामले में बड़ी बेंच गठित करने के लिए भेज दिया था। भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन के चेयरमैन वकील इम्तियाज राशिद कुरैशी ने नवंबर में लाहौर हाई कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई के लिए याचिका दाखिल की थी। याचिका में कुरैशी ने कहा है कि भगत सिंह स्वतंत्रता सेनानी थे और उन्होंने अविभाजित भारत को आजादी दिलाने के लिए लड़ाई लड़ी थी।

यह याचिका भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु द्वारा कथित रूप से ब्रिटिश पुलिस ऑफिसर जॉन पी. सॉन्डर्स की हत्या करने के मामले में है। भगत सिंह को इसी मामले में ब्रिटिश शासकों ने 23 मार्च, 1931 को फांसी पर लटका दिया था। भगत सिंह पर ब्रिटिश शासन के खिलाफ साजिश रचने का आरोप तय किया गया था। याचिका में उन्होंने कहा है कि पहले भगत सिंह को आजीवन कैद की सजा सुनाई थी लेकिन बाद में केस को बढ़ाचढ़ाकर उन्हें फांसी दे दी गई।

याचिकाकर्ता ने कहा है कि भगत सिंह की इज्जत आज भी पूरे उपमहाद्वीप में है। उन्होंने कहा कि इनकी इज्जत न केवल सिखों के बीच बल्कि मुसलमानों के साथ पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिना ने भी दो बार उन्हें श्रद्धांजलि दी थी। उन्होंने कहा कि यह मामला राष्ट्रीय महत्व का है और इसकी सुनवाई पूरी बेंच करे। उन्होंने कहा है भगत सिंह को राजकीय सम्मान मिलना चाहिए।

2014 में लाहौर पुलिस ने 1928 में सॉन्डर्स की हुई हत्या की एफआईआर की ऑरिजनल कॉपी मुहैया कराई थी। इस कॉपी में भगत सिंह का नाम नहीं है जबकि इसी मामले में भगत सिंह को फांसी दी गई थी। भगत सिंह की फांसी के 83 साल बाद लाहौर पुलिस ने अनारकली पुलिस स्टेशन से कोर्ट के आदेश के बाद सॉन्डर्स की हत्या में दर्ज हुई एफआईआर की कॉपी खोजी थी।

एफआईआर की कॉपी उर्दू में लिखी गई थी। यह मामला 17 दिसंबर 1928 को शाम में 4.30 बजे अनारकली पुलिस स्टेशन पर दर्ज हुआ था। यह केस आईपीसी के सेक्शन 302, 1201 और 190 के तहज दर्ज हुआ था। याचिकाकर्ता वकील कुरैशी ने कहा है कि ट्राइब्यूनल के स्पेशल जज ने भगत सिंह को जब फांसी की सजा सुनाई तब इस मामले के 450 गवाहों को नहीं सुना गया। उन्होंने कहा कि इस मामले में भगत सिंह के वकीलों को दलील का मौका तक नहीं दिया गया था। कुरैशी ने कहा कि मैं सॉन्डर्स की हत्या में भगत सिंह को बेगुनाह साबित करूंगा।