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पुलिस एनकाउंटर में मारा गया 2.5 लाख रुपये का इनामी बदमाश बलराज भाटी

नोएडा। दिल्ली से सटे नोएडा के सेक्टर 49 में पुलिस और बदमाशों के बीच हुए एनकाउंटर में कुख्यात बदमाश बलराज भाटी को मार गिराया गया. उसके उपर ढाई लाख रुपये का इनाम था. हरियाणा एसटीएफ, यूपी एसटीएफ और नोएडा पुलिस ने इस संयुक्त ऑपरेशन को अंजाम दिया है. एनकाउंटर के समय दो बदमाश फरार होने में कामयाब रहे. पुलिस उनकी तलाश कर रही है.

जानकारी के मुताबिक, सोमवार को पुलिस को सूचना मिली कि कुख्यात बदमाश बलराज भाटी अपने साथियों के साथ नोएडा की तरफ किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने आ रहा है. इसके बाद हरियाणा एसटीएफ, यूपी एसटीएफ और नोएडा पुलिस ने बलराज को पकड़ने के लिए जाल बिछाया. ओखला बैराज के पास बलराज की कार आती दिखी, तो रुकने का इशारा किया.

पुलिस को देखते ही बलराज भाटी वहां से भागने लगा. नोएडा सेक्टर-49 इलाके में पुलिस ने बलराज को घेर लिया. बलराज भागते हुए एक मकान की छत पर चढ़ गया. वहां से पुलिस के ऊपर गोलियां चलाने लगा. बदमाशों के पास एके-47 थी. इसके जवाब में यूपी एसटीएफ, हरियाणा एसटीएफ और नोएडा पुलिस ने भी गोलियां चलाई. इसमें बलराज घायल हो गया.

उसके दो साथी गोली चलाते हुए वहां से फरार हो गए. पुलिस ने बलराज को अस्पताल पहुंचाया, जहां उसकी मौत हो गई. बलराज भाटी उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा और यूपी सहित कई राज्यों में वॉन्टेड था. वह सुंदर भाटी गैंग के लिए काम करता था. पिछले काफी समय से पुलिस को बलराज भाटी की तलाश थी. इसी बीच सूचना मिलने पर पुलिस ने उसे मार गिराया.

पुलिस के मुताबिक, इस एनकाउंटर में हरियाणा एसटीएफ सहित तीन पुलिसकर्मियों को गोली लगी है. दो राहगीरों को भी गोली लगी है. सभी घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है. बलराज का हर जगह आतंक था. हत्या और लूट जैसी दर्जनों वारदात उसके नाम पर दर्ज हैं. अब पुलिस की टीम बलराज के फरार दो साथियों की तलाश में जुट गई है.

1982 में हुआ था पहला एनकाउंटर

एनकाउंटर यानी मुठभेड़ शब्द का इस्तेमाल हिंदुस्तान और पाकिस्तान में 20वीं सदी में शुरू हुआ. एनकाउंटर का मतलब बदमाशों के साथ पुलिस की मुठभेड़ होता है. एनकाउंटर को सरकारी क़त्ल भी कहते हैं. हिंदुस्तान में पहला एनकाउंटर 11 जनवरी 1982 को मुंबई के वडाला कॉलेज में हुआ था. मुंबई पुलिस ने गैंगस्टर मान्या सुरवे को छह गोलियां मारी थी.

सवालों के घेरे में रहा मुंबई एनकाउंटर

कहते हैं कि पुलिस गोली मारने के बाद उसे गाड़ी में डाल कर तब तक मुंबई की सड़कों पर घुमाती रही, जब तक कि वो मर नहीं गया. इसके बाद उसे अस्पताल ले गई. आज़ाद हिंदुस्तान का ये पहला एनकाउंटर ही विवादों में घिर गया था. इसके बाद महाराष्ट्र में कई एनकाउंटर हुए. कई एनकाउंटर स्पेशलिस्ट पैदा हुए, लेकिन हर बार सवाल बने रहे.

12 सालों में 1241 फर्जी एनकाउंटर

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की एक रिपोर्ट के मुताबिक एक जनवरी 2005 से लेकर 31 अक्टूबर 2017 तक यानी पिछले 12 सालों में देश भर में 1241 फर्जी एनकाउंटर के मामले सामने आए. इनमें से अकेले 455 मामले यूपी पुलिस के खिलाफ़ थे. मानवाधिकार आयोग के मुताबिक इन्हीं 12 सालों में यूपी पुलिस की हिरासत में 492 लोगों की भी मौत हुई.