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पीडीपी से अलग होने के बाद अमित शाह बोले, बदतर कानून व्यवस्था के कारण लिया फैसला

नई दिल्ली। जम्मू और कश्मीर में पीडीपी से अलग होने के बाद पहली बार भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि कुछ समूह उनकी पार्टी के राज्य के तीनों क्षेत्रों (जम्मू, कश्मीर घाटी और लद्दाख) का न्यायसंगत विकास करने के प्रयासों में बाधा डाल रहे थे। उन्होंने कहा कि बदतर होती कानून-व्यवस्था की वजह से उनकी पार्टी को मजबूरन सहयोगी दल पीडीपी से अलग होना पड़ा। शाह ने बताया कि अलग होने का फैसला 2019 में होने वाले लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए नहीं लिया गया है।

एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में शाह ने कहा कि अगर लोकसभा चुनाव के मद्देनजर यह फैसला लिया गया होता तो ऐसा छह महीने पहले ही हो जाता। भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि राज्य सरकार कश्मीरी पंडितों को राहत प्रदान करने और उनके पुनर्वास के लिए थोड़ा बहुत काम कर रही थी। इसके अलावा पाक अधिकृत कश्मीर से आए लोगों सहित दूसरे मामलें जिनके लिए राज्य सरकार को फंड भेजा गया था उसमें बहुत कम कार्य हो रहे थे। इन चीजों में कोई प्रगति होती हुई दिखाई नहीं दी। हम और कितनी देर तक इंतजार करते?

अमित शाह ने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि महबूबा मुफ्ती की काम करने की भावना नहीं थी लेकिन बहुत से दबावी समूह ने संतुलित विकास के सपने को तोड़ दिया था।’ उन्होंने कहा कि तीन क्षेत्रों जम्मू, कश्मीर और लद्दाख का संतुलित विकास नहीं हो पाया। हालांकि शाह ने साल 2015 में पीडीपी के साथ भाजपा के गठबंधन करने के फैसले का बचाव किया। उन्होंने कहा कि हमारे पास पूरा जनादेश नहीं था जिसकी वजह से इसके अलावा कोई और विकल्प मौजूद नहीं था।

सारे मंत्रियों को बुलाकर अमित शाह ने किया धमाका, कहा गठबंधन खत्म

बता दें कि 19 जून दोपहर 12 बजकर 11 मिनट पर नई दिल्ली में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने महासचिव राम माधव की मौजूदगी में जम्मू कश्मीर के पार्टी प्रदेशाध्यक्ष, पदाधिकारियों और मंत्रियों के साथ बैठक में इन शब्दों के साथ पीडीपी भाजपा गठबंधन को तोड़ने की जानकारी दी।  उस अहम बैठक का हिस्सा रहे भाजपा टीम में शामिल नेताओं जिसमें पूर्व मंत्री भी शामिल हैं न नाम न छापने की शर्त पर अमर उजाला को बताया कि ठीक दोपहर 12 बजे राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के साथ बैठक हुई। उस वक्त सब सामान्य था। पीडीपी से गठबंधन तोड़ने की भनक तक नहीं थी।

इसके बाद उन्होंने भूमिका बनाते हुए पूछा कि जम्मू कश्मीर में सरकार परिदृश्य चिंताजनक होता जा रहा है। पीडीपी का साथ भाजपा के लिए दिक्कत बढ़ाने लगा है। शायद अब यह साथ ठीक नहीं है। उन्होंने मौजूदा भाजपा के मंत्रियों और प्रदेश नेतृत्व से पूछा क्या पीडीपी से गठबंधन तोड़ देना चाहिए। शाह की तरफ से अचानक आई गठबंधन तोड़ने की बात पर मंत्रियों को यकीन नहीं हुआ। हालांकि सभी ने एक स्वर में कहा कि पार्टी और राष्ट्र हित में जो फैसला राष्ट्रीय अध्यक्ष करेंगे वह मंजूर होगा।