Breaking News

नोट में लगेगी सिर्फ एक चिप और ब्लैक मनी मिनटों में हो जाएगी ट्रैक, जानिए कैसे

नई दिल्ली। पीएम नरेंद्र मोदी की 500 और 1000 के नोट बैन करने की घोषणा के बाद अब ये भी साफ़ हो गया है कि जल्दी ही आपके हाथ में नई तकनीक से लैस 500 और 2000 के नोट होंगे। इन नोट की तस्वीरें सोशल मीडिया पर काफी पहले ही वायरल हो गयी थीं। मंगलवार को RBI ने भी इन नोट को जारी करने की ऑफिशियल घोषणा कर इसकी एक तस्वीर भी जारी कर दी। कहा जा रहा है कि ये पाने तरह के दुनिया के पहले नोट होंगे जिन्हें सैटेलाईट के सिग्नल के जरिए ट्रैक किया जा सकेगा।

View image on Twitterक्या ये संभव है कि नोट में चिप लगी हो

इसका जवाब है हां, ऐसा बिलकुल संभव है कि ऐसा नोट बनाया जाए जिसमें ऐसी चिप लगी हो जिसके सहारे उसे ट्रैक किया जा सके। इस चिप को तकनीकी भाषा में nano-GPS chips (NGC) कहा जाता है। लेकिन हम आपको बता दें कि ये कोई चिप नहीं बल्कि एक ‘सिग्नल रिफ्क्लेक्टर’ है।

कैसे काम करेगा ये सिग्नल रिफ्लेक्टर
अब आप पूछेंगे कि एक GPS चिप और सिग्नल रिफ्लेक्टर में क्या फर्क होता है- इसका जवाब है कि ज्यादातर चिप को काम करने के लिए बेहद ही कम सही लेकिन ऊर्जा की ज़रुरत होती है लेकिन एक सिग्नल रिफ्लेक्टर को किसी भी तरह की ऊर्जा की ज़रुरत नहीं होती। इस पर एक ख़ास कोड मौजूद होता है जब सिग्नल से इस ख़ास कोड का सिग्नल भेजा जाता है तभी ये सिग्नल रिफ्लेक्टर उसे रिफ्लेक्ट कर वापस सैटेलाईट तक भेज देती है। इससे नोट की लोकेशन का सही-सही पता लगाया जा सकता है।

जानकारों के मुताबिक अगर इसकी सबसे एडवांस्ड तकनीक का इस्तेमाल किया जाए तो ये ज़मीन के 120 मीटर नीचे मौजूद होने के बावजूद सिग्नल रिफ्लेक्ट कर सकता है। ये तब और भी ज्यादा अच्छे तरीके से काम कर सकता है जब कई सारे नोट एक साथ मौजूद हो, यानी इसे ऐसे समझिए कि एक साथ जारी हुए कई सारे नोट सीरियल नंबर में भी आगे पीछे ही होंगे और जब इन सबके लिए एक साथ सिग्नल भेजा जाएगा तो जो सिग्नल रिफ्लेक्ट होकर आएगा वो एक सिंगल नोट से आने वाले सिग्नल के मुकाबले ज्यादा मजबूत होगा।

क्यों इस पर जताया जा रहा है शक
एक तरफ कुछ लोग इसे मोदी सरकार का बढ़िया कदम बताकर तारीफ कर रहे हैं तो दूसरी तरफ कुछ लोगों ने इस तकनीक के मौजूद होने पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं। आपको बता दें कि दुनिया में मौजूद सबसे छोटे साइज़ के GPS  रिसीवर को GPS Nano Spider के नाम से जाना जाता है। ये करीब 4x4x2।1 मिलीमीटर का होता है। इसे जासूसी के लिए इस्तेमाल किया जाता है और ये मेटल डिटेक्टर को धोखा देने में सक्षम है। इसे आसानी से किसी के भी सामान में भी डाला जा सकता हैं और इसके सहारे आप उस आदमी को ट्रैक कर सकते हैं।

असल में एक नोट की लागत को कभी भी उसकी बाज़ार में कीमत से ज्यादा नहीं किया जा सकता। अगर इस तरह की डिवाइस का इस्तेमाल नोट में किया जाता है तो अनुमान के मुताबिक इसकी कीमत 50 रुपए से भी ज्यादा होगी। हर नोट में इसे लगाना काफी महंगा होगा क्योंकि करेंसी को सुरक्षित बनाने के लिए सरकार पहले ही हर एक नोट पर बहुत ज्यादा खर्च कर रही है।

काले धन से निपटने में कैसे सक्षम
अगर नोट में इस तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है तो एक जगह पर ज्यादा करेंसी इकठ्ठा होने पर इसका पता लगाया जा सकेगा। अगर बड़ी संख्या में और लंबे समय तक कहीं पैसों की लोकेशन ट्रैक हुई तो तुरंत आयकर विभाग को सूचना दी जाएगी। इसमें बैंक और दूसरे फाइनेंशियल इस्टीट्यूट को नहीं गिना जाएगा।