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गोरखपुर कांड: मंत्री आशुतोष टंडन को नहीं हटाना चाहती योगी सरकार

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार गोरखपुर के अस्पताल में बच्चों की मृत्यु के मामले के लिए अपने चिकित्सा शिक्षा मंत्री आशुतोष टंडन को हटाना नहीं चाहती क्योंकि उसका मानना है कि टंडन ने कोई गलती नहीं की है। टंडन बीजेपी के वरिष्ठ नेता और लखनऊ के पूर्व सांसद लालजी टंडन के बेटे हैं। किसानों को कर्ज माफी के प्रमाणपत्र बांटने के लिए गुरुवार को लखनऊ में आयोजित एक कार्यक्रम में आशुतोष टंडन पहली कतार में बैठे थे। इस कार्यक्रम में गृह मंत्री राजनाथ सिंह, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनकी कैबिनेट के वरिष्ठ मंत्री मौजूद थे।

उत्तर प्रदेश सरकार के सूत्रों ने बताया कि गोरखपुर मामले का दोष ऑक्सिजन डीलर, पुष्पा सेल्स पर डाला जा सकता है, जिसे तत्कालीन समाजवादी पार्टी सरकार ने 2014 में 8 सालों के लिए नियुक्त किया था। पुष्पा सेल्स गोरखपुर के BRD हॉस्पिटल और ऑक्सिजन की सप्लाई करने वाली कंपनी INOX के बीच एजेंट के तौर पर काम कर रही थी और इसके बदले में उसे कमीशन का भुगतान किया जा रहा था। राज्य के चीफ सेक्रटरी की अगुवाई में हो रही जांच में इस पर ध्यान दिया जा रहा है।

BRD हॉस्पिटल टंडन के मंत्रालय के तहत आता है। पुष्पा सेल्स की ओर से टंडन को 9 अगस्त को लिखा गया एक पत्र पिछले कुछ दिनों से चर्चा का विषय बना हुआ है। इसमें पुष्पा सेल्स ने टंडन को जानकारी दी थी कि उसे अभी तक 68 लाख रुपये की अपनी बकाया रकम नहीं मिली है। राज्य सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘पुष्पा सेल्स ने हॉस्पिटल को 10 अगस्त को ऑक्सिजन की सप्लाई बंद क्यों की, जबकि उसने 31 जुलाई के लीगल नोटिस में बकाया रकम चुकाने के लिए 15 दिन का समय दिया था। BRD हॉस्पिटल ने टंडन को बकाया रकम के बारे में पत्र लिखा था। पत्र मिलने के एक दिन के अंदर टंडन ने 5 अगस्त को हॉस्पिटल को 2 करोड़ रुपये भेजे थे, जो हॉस्पिटल को 7 अगस्त को मिल गए थे, लेकिन उसने 11 अगस्त तक रकम का भुगतान नहीं किया।’

उन्होंने बताया कि 9 अगस्त को लिखे गए पत्र को पहुंचने में कुछ दिन लगे होंगे और मंत्री के लिए प्रत्येक पत्र पर व्यक्तिगत तौर पर कार्रवाई करना संभव नहीं है। अधिकारी ने कहा, ‘टंडन और मुख्यमंत्री ने 9 अगस्त को BRD हॉस्पिटल का दौरा किया था, लेकिन किसी ने भी उन्हें पूछने पर भी किसी समस्या के बारे में नहीं बताया।’

राज्य में बीजेपी के एक पदाधिकारी ने कहा कि मुख्यमंत्री ने पिछले सप्ताह एक संवाददाता सम्मेलन में बताया था कि पुष्पा सेल्स की ओर से 9 अगस्त को लिखे गए पत्र का कोई मतलब नहीं था क्योंकि राज्य सरकार ने इससे चार दिन पहले ही हॉस्पिटल को फंड जारी कर दिया था। इस मामले में अगले सप्ताह तक एफआईआर दर्ज कराई जा सकती है और इसमें पुष्पा सेल्स और हॉस्पिटल के कम से कम आधा दर्जन डॉक्टरों पर आरोप लगाया जा सकता है।