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गिलानी के नजदीकी जहूर अहमद वटाली से सुरक्षा एजेंसियों को चौंकाने वाली जानकारियां मिली

गिलानी के नजदीकी वटाली से NIA के हाथ लगा टेरर फंडिंग का ‘कच्चा चिट्ठा’

नई दिल्ली। घाटी में टेरर फंडिंग के मामले में गुरुवार को गिरफ्तार किए गए श्रीनगर के कारोबारी और कट्टरपंथी हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी के नजदीकी जहूर अहमद वटाली से सुरक्षा एजेंसियों को चौंकाने वाली जानकारियां मिली हैं। वटाली पर आरोप है कि उसने जम्मू-कश्मीर में आतंकियों, अलगाववादियों और पत्थरबाजों को फंड्स उपलब्ध कराए। यह भी शक है कि वटाली के कश्मीर घाटी के अलगाववादी नेताओं के अलावा सीमा पार खुफिया एजेंसी के अधिकारियों, सैन्य अफसरों और कई राजनेताओं तक से रिश्ते हैं।

5 डायरियों ने खोला राज 
वटाली पर आरोप है कि उसने अपने कई बिजनस का इस्तेमाल पाकिस्तान से फंड हासिल करने के लिए फ्रंट के तौर पर किया। बाद में उसने इन पैसों को संगठित तरीके से अलगाववादियों को पहुंचाया। ऐसा करने के लिए उसने अपने बैंक खातों के हिसाब में हेरफेर की। सूत्रों के मुताबिक, वटाली की गिरफ्तारी की बड़ी वजह बनी उसकी पांच डायरियां, जिससे एनआईए अफसरों को ‘जानकारियों का खजाना’ हाथ लगा है। इन डायरियों में इस बात की डिटेल्स हैं कि सालों से विभिन्न माध्यमों-कैश, हवाला या दूसरे ट्रांसफर के जरिए किस तरह वटाली को पैसे मिले और बाद में उससे यह पैसे कैसे दूसरों को दिए गए।

पाक खुफिया एजेंसी से वटाली के जुड़े तार।
ये डायरियां वटाली के कैशियर गुलाम मोहम्मद बट के घर से बुधवार को बरामद की गई थीं। इनसे मिले सबूतों के तार गिलानी जैसे हुर्रियत नेताओं से जुड़ते हैं। बता दें कि एनआईए अब पूछताछ के लिए गिलानी को जल्द ही तलब करने वाली है। डायरियों को ‘जानकारी का खजाना’ करार दे रहे एक एनआईए अफसर ने बताया, ‘ये जम्मू-कश्मीर टेरर फंडिंग की बैलेंस शीट्स जैसी हैं। वो टेरर फंडिंग, जिसमें वटाली की मुख्य भूमिका है।’

यूरोप से लेकर यूएई तक कारोबार 
वटाली बेहद रसूख वाला कारोबारी माना जाता है। वह श्रीनगर से ट्रिसन फार्म्स ऐंड कंस्ट्रक्शन नाम की कंपनी चलाता है। इसके अलावा, वह जम्मू-कश्मीर के विभिन्न हिस्सों, दिल्ली और मुंबई में भी कई बिजनस चलाता है। वटाली के पास दिल्ली के ग्रेटर कैलाश, सैनिक फार्म्स, चितरंजन पार्क, डीएलएफ गुड़गांव और कालकाजी के अलावा लंदन में भी प्रॉपर्टीज हैं। सूत्रों की मानें तो उसका कारोबार यूएई से लेकर यूरोप तक फैला है। उसकी कई कंस्ट्रक्शन और ट्रेडिंग कंपनियां हैं। एक एनआईए अधिकारी ने बताया, ‘1990 से ही वह अपने कारोबार का इस्तेमाल हुर्रियत नेताओं के फंड को मैनेज करने में फ्रंट के तौर पर कर रहा है।’

आईएसआई और पाकिस्तानी सेना से जुड़े तार 
एनआईए वटाली के पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई से लिंक की भी जांच कर रहा है। माना जा रहा है कि वह भारतीय मूल के कई पाकिस्तानी नागरिकों के अलावा वर्तमान और रिटायर्ड पाकिस्तानी आर्मी और आईएसआई अफसरों के नियमित संपर्क में रहा है। इंटेलिजेंस ब्यूरो के सूत्रों के मुताबिक, वटाली ने कथित तौर पर अपनी कंपनी ट्रिसन ग्रुप ऑफ कंपनीज के जरिए आईएसआई के दिए पैसों को अलगाववादियों गतिविधियों के लिए उपलब्ध कराया। माना जाता है कि हुर्रियत लीडर अब्दुल गनी लोन के ड्राइवर रहने के दौरान ही वटाली ने आईएसआई से रिश्ते कायम कर लिए थे। पाकिस्तानी सेना के कुछ अहम अफसर जिनके वटाली से लिंक होने की बात सामने आई है, उनमें आईएसआई के ब्रिगेडियर मीर हाफिज सोहेल, पूर्व आईएसआई अफसर रिटायर्ड ब्रिगेडियर जावेद अजीज खान और रिटायर्ड मेजर जनरल राशिद कुरैशी के नाम शामिल हैं।

सीमा पार के नेताओं से सीधा संपर्क 
2011 में वटाली के बेटे की शादी में पाक अधिकृत कश्मीर के पूर्व पीएम सुल्तान महमूद चौधरी भी पहुंचे थे। वटाली के सीमा पार के राजनेताओं से लिंक के भी पुख्ता सबूत मिले हैं। वह पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के पूर्व सीएम सरदार अतीक खान के अलावा सुल्तान महमूद चौधरी और फेडरेशन ऑफ पाकिस्तान चैंबर्स ऑफ कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्रीज के वाइस प्रेजिडेंट हाजी तारिक शफी के नियमित और सीधे संपर्क में रहा है। सितंबर 2011 में उसने अतीक खान, चौधरी और शफी को अपने बेटे की शादी में भी बुलाया था।

दागी रहा है वटाली का इतिहास 
वटाली को अगस्त 1990 में जम्मू-कश्मीर की पुलिस ने कश्मीर में आतंकियों की मदद करने और अन्य देश विरोधी गतिविधियों के आरोप में पकड़ा था। उस वक्त उसे यासीन मलिक, सज्जाद गनी लोन, बिलाल लोन और अन्य अलगाववादियों के साथ कस्टडी में लिया गया था। वह आठ महीनों तक जेल में रहा। 1991 में रिहा होने के बाद उसे अगस्त 1994 में फिर पकड़ा गया। उस पर पाकिस्तानी आतंकी संगठन अल बुर्क के साथ वित्तीय लिंक के शक में पकड़ा गया। 2005 में सुरक्षा एजेंसियों को जानकारी मिली कि वटाली आईएसआई से घाटी के अलगाववादियों के बीच पैसों के लेनदेन में बिचौलिए का काम कर रहा है। 2009 में वटाली पर अवैध कब्जे और मारपीट का आरोप लगा, जिसके बाद उस पर श्रीनगर के एक पुलिस स्टेशन में एफआईआर भी दर्ज हुई। एनआईए का कहना है कि वटाली पर जानकारी रहते कैंसल हो चुके अवैध पासपोर्ट पर यात्रा करने का भी आरोप है। अधिकारी ने बताया, ‘कैंसल हो चुके पासपोर्ट को सरेंडर करने के बजाय उसने कानून का उल्लंघन करते हुए पिछले साल 21 मार्च को विदेश यात्रा की। जब दोबारा से उसने ऐसी कोशिश की तो दिल्ली में अधिकारियों ने उसका पासपार्ट जब्त कर लिया।’