नई दिल्ली। देश ने आज अपना 67 वां गणतंत्र दिवस धूमधाम से मनाया। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने राजपथ पर राष्ट्रीय ध्वज को फहराकर इसकी शुरूआत की। इस मौके पर फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद मुख्य अतिथि रहे। गणतंत्र दिवस की परेड देखकर ओलांद भी मंत्रमुग्ध हुए बिना नहीं रह सके। ओलांद के भारत दौरे का आज आखिरी दिन है।
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमर जवान ज्योति पर पहुंचकर शहीदों को श्रद्धांजलि दी। इसके बाद राजपथ पर गणतंत्र दिवस का कार्यक्रम शुरू हुआ। यह कार्यक्रम करीब 96 मिनट तक चला। इस बार के कार्यक्रम में पिछले बार की तुलना में लगभग 25 मिनट के समय की कटौती की गई है। भारत माता के जयघोष के साथ परेड का समापन हो चुका है।
21 तोपों की सलामी के साथ फहराया गया तिरंगा
राजपथ पर 21 तोपों की सलामी के साथ तिरंगा फहराया गया। राष्ट्रपति ने लेफ्टिनेंट अंबिका नौटियाल की मदद से तिरंगा फहराया। परेड के अंत में आसमान में तिरंगे गुब्बारे छोड़े गए, जो ‘विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊंचा रहे हमारा…’ के प्रतीक हैं। परेड की कमान दिल्ली क्षेत्र के जनरल ऑफिसर कमांडिंग, लेफ्टिनेंट जनरल राजन रविंद्रन ने संभाली। दिल्ली क्षेत्र मुख्यालय के चीफ ऑफ स्टॉफ मेजर जनरल राजेश सहाय परेड में सेकेंड-इन-कमांड हैं।
परेड में दिखी भारत की सांस्कृतिक झलक
राजपथ पर न केवल भारत की ताकत दिखी बल्कि सांस्कृतिक विरासत की कहानी भी दिखी। दुनिया को ये संदेश देने की कोशिश की गयी कि आजादी भले ही 67 साल पहले मिली हो लेकिन भारत किसी से कम नहीं है। राजपथ पर मनमोहक झांकियों के जरिए गणतंत्र को जुदा अंदाज में सलामी दी गई।
इन झांकियों के जरिए दुनिया को बताने की कोशिश है कि ये देश अलग अलग रूपों वाला देश है। अलग अलग अलग बोलियां हैं। अलग अलग वेशभूषा, अलग अलग खान-पान, लेकिन लोगों की आत्मा एक है। लोग पहले हिंदुस्तानी हैं। देश के हर राज्यों की अलग अलग खूबियां है और जब ये एक हो जाते हैं तो दुनिया के सामने भारत अपने बड़े स्वरूप में नजर आता है।
राजपथ पर दिखी पूरे भारत की झलक
17 राज्यों और 6 केंद्रीय मंत्रालयों एवं विभागों की झांकियों में देश की विभिन्न ऐतिहासिक, स्थापत्य और सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित किया। गोवा, गुजरात, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, असम की झांकियों में विविध विषयों के साथ विभिन्न क्षेत्रों में देश की प्रगति को दर्शाया। इसी प्रकार से संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ‘डिजिटल इंडिया’, पंचायत राज मंत्रालय ‘सशक्त महिला और सशक्त पंचायती राज समाज’, पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय ‘स्वच्छ भारत अभियान’ पर अपनी-अपनी झांकियों में सरकार की महत्वपूर्ण योजनाओं के कुछ कार्यक्रमों में हो रहे त्वरित विकास को दिखाया।
महिला कैडेटों के नायाब प्रदर्शन
राजपथ पर महिला कैडेटों ने राष्ट्रपति को सलामी दी और ये सिद्ध कर दिया कि भारतीय महिलाएं अब रक्षा के क्षेत्र में कदमताल करने के लिए तैयार हैं। वो मुश्किल से मुश्किल हालात में देश के लिए जान न्योछावर करने की माद्दा रखती हैं।
डीआरडीओ ने अपनी झांकी के जरिए ये दिखाया कि देश की सुरक्षा के लिए वो लगातार अनुसंधान को बढ़ावा दे रहे हैं।
परेड में भारत की ताकत भी दिखी
इस अवसर पर भारतीय सेना की मिसाइल दागने की क्षमता रखने वाले टी-90 भीष्म टैंक, पैदल सेना के युद्धक वाहन बीएमपी-II (सारथ), ब्रहमोस, मिसाइल प्रणाली का स्वचालित मोबाइल लॉचर, आकाश हथियार प्रणाली, स्मर्च लांचर वाहन और एकीकृत संचार इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली (आईसीईडब्ल्यूएस) भी प्रमुख आकर्षण हैं।
परेड में नौसेना की झांकी
इस वर्ष भारतीय नौसेना की झांकी को ‘समुंद्री सुरक्षा और स्वदेसीकरण के माध्यम से भारत का सशक्तिकरण’ विषय के साथ प्रस्तुत किया। झांकी में कोच्चि शिपयार्ड लिमिटेड में निर्माणाधीन नवीन युद्धक विमान वाहक (विक्रांत) पर उड़ान अभियानों और मझगांव डॉक लिमिटेड, मुंबई द्वारा स्वदेश में निर्मित पनडुब्बी ‘कलवारी’ को ‘मेड इन इंडिया’ के टैग के साथ प्रदर्शित किया। अमर जवान ज्योति पर प्रज्ज्वलित एक अनंत लौ अपनी मातृ भूमि की सेवा में सशस्त्र सेनाओं के सैनिकों के सर्वोच्च बलिदान के अदम्य साहस को प्रदर्शित करती है। अमर जवान ज्योति पर एक अमर जवान, भूमि की ओर मुख किये एक राइफल और एक जवान का हैलमेट एक प्रतीक स्वरूप में प्रदर्शित है।
वायुसेना ने भी दिखाई ताकत
गणतंत्र दिवस का शुभारंभ 3 एमआई-35 हेलिकॉप्टरों, 3 सी-130जे सुपर हरक्युलिस युद्धक विमान से किया गया। सी-17 ग्लोब मास्टर, 2 एसयू-30 भी और 5 जगुआरों विमानों ने नायाब करतब दिखाए। इसके अलावा 5 मिग-29 एयर सुप्रियोरिटी युद्धक विमान और एसयू-30 एमकेआई युद्धक विमानों ने आकाश में त्रिशूल बनाते हुए उड़ान भरा।
परेड का भव्य समापन भारतीय वायु सेना के विमानों की अनूठी उड़ान हुआ। उड़ान का समापन एसयू-30 एमकेआई के सलामी मंच से गुजरने के बाद हुआ। समारोह में राष्ट्रीय गान के साथ-साथ गुब्बारों को आकाश में छोड़ा गया।