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क्या आप जानते हैं कि इंदिरा गांधी को गिरफ़्तार कर एक हफ़्ते के लिए तिहाड़ जेल में डाला गया था?

देश पर आपातकाल थॊप कर देश के संविधान का अपमान करनेवाली इंदिरा गांधी को 19 दिसंबर 1978 में गिरफ़्तार किया गया था और उन्हें  एक हफ़्ते के लिए जेल में भी रहना पड़ा था। आपातकाल का वह दौर बेहद दर्दनाक था। अपने राजनैतिक स्वार्थ के आपूर्ती के लिए इंदिरा गांधी ने अपने पद का दुरुपयॊग किया था और जनता को परेशानी में डाल दिया था। देश के लॊकतंत्र का काला अद्याय है आपातकाल जो कांग्रेस की नेता इंदिरा गांधी की देन है। हम में से कई लोग यह नहीं जानते की मोरारजी सरकार ने इंदिरा गांधी को गिरफ़्तार करवाकर तिहाड़ जेल में एक हफ़्ते के लिए चक्की पीसने के लिए भॆज दिया था।

मॊरारजी देसाई की सरकार के गठन के बाद पार्टी में इंदिरा गांधी को गिरफ़्तार करने की मांग उठी थी। हालांकि मोरारजी देसाई इंदिरा गांधी के गिरफ़्तारी के वक्तव्य से सहमत नहीं थे क्यों कि उनका मानना था कि देश की जनता ने इंदिरा गांधी और उनकी पार्टी को हराकर उन्हें पर्याप्त सजा दे दी है। लेकिन चरण सिंह इंदिरा गांधी के गिरफ़्तारी की मांग कर रहे थे और वे श्रीमती गांधी को गिरफ़्तार करवाने में सफल भी हॊ गये। मोरारजी देसाई के सभी कैबिनेट मंत्रियों ने इंदिरा के विरुद्द न सिर्फ कमीशन नियुक्त करने बल्कि उन पर मुकदमा चलाए जाने की भी मांग करने लगे। अंततः मोरारजी देसाई को अपने मंत्रियों की बात माननी ही पड़ी।

इंदिरा गांधी के ऊपर आपातकाल के दौरान विरॊधियों की जेल में ही हत्या करने की साज़िश और संसदीय विशेषाधिकार के हनन करने के आरॊप के चलते गिरफ़्तार किया गया। 19 दिसंबर 1978 में इंदिरा को सदन से निलंबित कर गिरफ़्तार करने का प्रस्ताव पारित किया गया। इंदिरा संसद भवन में गिरफ्तारी के आदेश मिलने तक टिकी रहीं। अंततः रात के आठ बजकर 47 मिनट पर उन्हें स्पीकर के दस्तखत वाला अरेस्ट ऑर्डर दिया गया। असाधारण योग्यता और नैतिक साहस वाले सी बी आई के अधिकारी एन. के. सिंह इंदिरा को गिरफ़्तार कर तिहाड़ जेल ले गये। एन.के .सिंह ने इंदिरा के बेटे संजय गांधी और वी.सी.शुक्ला को उसी साल किस्सा कुर्सी के केस में गिरफ़्तार किया था। इससे पहले 1977 में जीप घॊटाले में इंदिरा गांधी के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई थी। तब एन.के.सिंह ही उन्हें गिरफ़्तार करने गये थे। लेकिन साक्ष्य न मिलने के वजह से उस समय इंदिरा गांधी कानून के शिकंजे से बच निकली थीं।

1980 में जब एक बार फिर इंदिरा गांधी लोकसभा चुनाव जीती और प्रधानमंत्री बनीं तब एन. के. सिंह को सी बी आई से बाहर करवा दिया था। बाद में वी.पी सिंह के सरकार ने सिंह को वापस एजेन्सी में बुलाया था। इंदिरा गांधी के गिरफ़्तारी के बाद उन्हें तिहाड़ के वार्ड नंबर 19 में रखा गया था। इस गिरफ्तारी के बाद कुल एक हफ्ते के लिए इंदिरा गांधी दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद रही थीं। उस वक्त उनकी बहुरानी सोनिया गांधी खुद खाना लेकर तिहाड़ जेल जाती थी। इंदिरा के गिरफ़्तारी के खिलाफ कांग्रेस ने प्रदर्शन करना शुरू किया। जनता के मन में सरकार के खिलाफ ज़ेहर भरना शुरू कर दिया। इंदिरा के गिरफ़्तारी को राजनैतिक रंजिश बता कर जनता को गुमराह किया गया। इस काम में आज भी कांग्रेस माहिर है लेकिन फर्क इतना है की अब जनता अधिक समझदार हो गयी है।

जब कांग्रेस सत्ता में रहती है तो वह कभी कुछ भी कर सकती है और अपने विरॊधियों की आवाज़ दबाने के लिए वह संविधान से छेड़छाड़ भी कर सकती है। खुद को संविधान से भी बड़ा माननेवाला गांधी परिवार अपने विरॊधियों को परास्त करने के लिए असंवैधानिक कार्य करता है तब उसे कुछ गलत नहीं लगता। लेकिन जब गांधी परिवार के सदस्यों के ऊपर मुकदमा चलाया जाता है तब उन्हें वह राजनैतिक रंजिश लगता है। इंदिरा गांधी के गिरफ़्तारी के समय में भी कांग्रेस ने यही किया और जनता के मन में इंदिरा के प्रति सहानुभुती उत्पन्न किया। कांग्रेस के नेताओं ने देश भर में अशांती फैलाई। यहां तक की एयर इंडिया के एक हवाई जहाज़ का भी उन्होंने अपहरण कर लिया।

देश भर में दंगों के आसार को देखते हुए इंदिरा गांधी को 26 दिसंबर1978 को जेल से रिहा किया गया। एक बात तो माननी पड़ेगी की कम से कम एक हफ़्ते के लिए ही सही इंदिरा गांधी को तिहाड़ जेल की सलाखों के पीछे डाला गया था। वैसे तो 60 साल से देश के साथ गद्दारी, जनता के पैसों की चॊरी और देश में जातिवाद का विष बॊ कर देश के टुकड़े टुकड़े करनेवाले परिवार को तो उम्र कैद की सज़ा होनी चाहिए।