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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी ने भाजपा का दामन थामा

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी ने शनिवार को भाजपा का दामन थाम लिया। पचौरी के साथ प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष और धार के पूर्व सांसद गजेंद्र सिंह राजूखेड़ी, पिछले विधानसभा में इंदौर से कांग्रेस के इकलौते विधायक रहे संजय शुक्ला, पूर्व विधायक विशाल पटेल, अर्जुन पलिया, सतपाल पलिया और भोपाल जिला कांग्रेस अध्यक्ष कैलाश मिश्रा ने भी भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली। राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा की मध्यप्रदेश से विदाई के तीसरे दिन कांग्रेस को ये बड़ा झटका माना जा रहा है।

सुरेश पचौरी के नजदीकी लोगों का कहना है कि कांग्रेस पार्टी में लंबे समय से हो रही उपेक्षा से पचौरी नाराज चल रहे थे। यही कारण था कि वे हाल ही में राहुल गांधी की भारत न्याय यात्रा जब मध्यप्रदेश में आई, तो वे उसमें शामिल होने नहीं गए। इस दौरान भी उनकी नाराजगी दूर करने कोई वरिष्ठ नेता उनसे मिलने और बात करने तक नहीं गया। इसके अलावा विधानसभा चुनाव के दौरान उनके समर्थकों को नजरअंदाज किया गया। इससे भी वे नाराज चल रहे थे। जबकि 2023 में विधानसभा चुनाव हारने के बाद कांग्रेस नेता संजय शुक्ला दवाब में थे। हाल ही में जिला प्रशासन ने शुक्ला के खिलाफ पुराने मामले में अवैध खनन को लेकर 140 करोड़ रुपये की रिकवरी की फाइल बनाई थी। हालांकि इसका नोटिस जारी हुआ या नहीं ये अभी साफ नहीं है। इसके बाद से ही संजय शुक्ला परेशानी बढ़ गई थी।

मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार ऋषि पांडेय अमर उजाला से कहते है कि मध्यप्रदेश कांग्रेस में कमलनाथ, दिग्विजय सिंह के बाद कोई बड़ा चेहरा था तो वह केवल सुरेश पचौरी थे। प्रदेश में पार्टी एक बड़े ब्राह्मण चेहरे के तौर पर उनकी एक पहचान थी। पचौरी हर पद पर काम करने वाले नेता हैं। वे 24 साल राज्यसभा में रहे। लोकसभा और विधानसभा चुनाव लड़े। करीब 40 साल से वे एमपी की राजनीति में सक्रिय हैं। हर जिले में उनका गुट है। लंबे समय से पार्टी में उनकी उपेक्षा हो रही थी। इससे वे नाराज चल रहे थे।

धार क्षेत्र से आने गजेंद्र सिंह राजूखेड़ी का पार्टी छोड़ना कांग्रेस के लिए बड़ा झटका माना जा सकता है। धार जिले की 8 विधानसभा में छह पर कांग्रेस काबिज है। लोकसभा चुनाव के लिहाज से यह सीट बहुत ही महत्वपूर्ण है। भाजपा इन क्षेत्रों में अंदरुनी कलह से परेशान है। ऐसे में भाजपा गजेंद्र सिंह राजूखेड़ी को अपना उम्मीदवार बना सकती है। आदिवासी नेता राज खूड़ी दो बार इसी सीट से सांसद रह चुके हैं। वे पहली बार 1990 में भाजपा के टिकट पर ही विधायक बने थे। उन्होंने कांग्रेस के कद्दावर नेता शिव भानु सिंह सोलंकी को हराया था। इंदौर से संजय शुक्ला और विशाल पटेल जैसे युवा नेताओं के पार्टी छोड़ने से इंदौर में कांग्रेस खत्म सी हो जाएगी। क्योंकि ये दोनों नेताओं को कांग्रेस के भविष्य के तौर पर देखा जा रहा था। दोनों पूर्व विधायक हर तरह से समृद्ध थे। इनमें संजय शुक्ला ने तो अपने विधायक कार्यकाल में पूरे पांच साल अपने क्षेत्रों के लोगों को कई बार धार्मिक यात्राएं भी करवाई है।

शुक्ला पर था 140 करोड़ की रिकवरी का दबाव

इंदौर एक के पूर्व विधायक संजय शुक्ला इंदौर कांग्रेस के सबसे रईस पूर्व विधायक हैं। शुक्ला के पास 200 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति है। 2023 में विधानसभा चुनाव हारने के बाद जिला प्रशासन ने शुक्ला के खिलाफ पुराने मामले में अवैध खनन को लेकर 140 करोड़ रुपये की रिकवरी की फाइल बनाई थी। हालांकि इसका नोटिस जारी हुआ या नहीं ये अभी साफ नहीं है। लेकिन इसके बाद से ही संजय शुक्ला दबाव में थे। इधर, देपालपुर से कांग्रेस के विधायक रहे विशाल पटेल भी भीतरघात से परेशान थे।

कांग्रेस की राजनीति के संत हैं पचौरी

कांग्रेस नेता सुरेश पचौरी ने 1972 में एक युवा कांग्रेस कार्यकर्ता के रूप में अपना राजनीतिक जीवन शुरू किया और 1984 में राज्य युवा कांग्रेस अध्यक्ष बने। वह 1984 में राज्यसभा के लिए चुने गए और 1990, 1996 और 2002 में फिर से चुने गए। एक केंद्रीय राज्य मंत्री के रूप में उन्होंने रक्षा, कार्मिक, सार्वजनिक शिकायत और पेंशन, और संसदीय मामले और पार्टी के जमीनी स्तर के संगठन कांग्रेस सेवा दल के अध्यक्ष भी रहे। पचौरी ने अपने राजनीतिक करियर में केवल दो बार चुनाव लड़ा। साल 1999 में, उन्होंने भोपाल लोकसभा सीट से भाजपा की उमा भारती को चुनौती दी और 1.6 लाख से ज्यादा वोटों से हार गए। इसके अलावा उन्होंने 2013 के विधानसभा चुनाव में भोजपुर से शिवराज सिंह चौहान सरकार में मंत्री और दिवंगत सीएम सुंदरलाल पटवा के भतीजे सुरेंद्र पटवा के खिलाफ चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए।

मध्यप्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा ने कहा कि भाजपा में पूर्व सीएम कैलाश जोशी को राजनीति का संत कहा जाता था। कांग्रेस की राजनीति में यह पदवी सुरेश पचौरी को मिली है। ऐसे व्यक्ति का कांग्रेस में स्थान नहीं है, इसलिए उनको लगा कि उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जाकर कुछ काम करने की जरूरत है। आज वह भाजपा में शामिल हो रहे हैं। भाजपा में शामिल होने के बाद सुरेश पचौरी ने कहा, भगवान श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन रहा, तो कांग्रेस ने अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल कर इसे ठुकरा दिया। मुझे आघात पहुंचा। कांग्रेस को निमंत्रण पत्र अस्वीकार करने की आवश्यकता नहीं थी।

पचौरी ने कहा कि, मैं स्वामी शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती जी का शिष्य हूं। तत्कालीन पीएम राजीव गांधी ने भेजा कि शंकराचार्य जी से पूछकर आओ की क्या करना है? उन्होंने कहा कि अयोध्या में शिलान्यास हो और मंदिर बने। सितंबर 1999 में राजीव गांधी ने जवाब दिया कि तदनुसार काम हो। फिर हम तत्कालीन गृह मंत्री के साथ गए और वहां शिलान्यास किया। वहां अशोक सिंघल जी भी थे। फिर अब निमंत्रण पत्र अस्वीकार करने की आवश्यकता कहां से पड़ गई। राम मंदिर का ताला खोलना, शिलान्यास होना किस कार्यकाल में हुआ ये बोला जा सकता था।