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कच्चातीवु द्वीपका मुद्दा उठाया जाना प्रधानमंत्री का यह बेहद गैर.जिम्मेदाराना और इतिहास को गंभीर रूप से विकृत करने वाला कदम: जयराम रमेश

नयी दिल्ली। कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान कच्चातीवु द्वीप का मुद्दा उठाने के लिए सोमवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधते हुए इसे ‘‘अत्यंत गैरजिम्मेदाराना’’ कदम बताया और कहा कि इससे श्रीलंका के साथ भारत के रिश्ते बिगड़ने का खतरा पैदा हो गया। कांग्रेस ने सवाल किया कि क्या मोदी और उनके सहयोगी श्रीलंका के साथ इतना बड़ा विवाद पैदा करने के लिए माफी मांगेंगे। रमेश ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट साझा कर इस बात का जिक्र किया कि रविवार शाम हुए शपथ ग्रहण समारोह में श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे मौजूद थे।

उन्होंने कहा, ‘‘कच्चातिवु मुद्दे को याद करें जिसे चुनाव प्रचार के दौरान एक तिहाई प्रधानमंत्री ने गढ़ा था और तमिलनाडु में भाजपा के लिए समर्थन हासिल करने के मकसद से उनके सहयोगियों ने इसे उठाया था।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह बेहद गैर-जिम्मेदाराना और इतिहास को गंभीर रूप से विकृत करने वाला कदम था। इससे श्रीलंका के साथ हमारे रिश्ते पटरी से उतरने का खतरा पैदा हो गया।’’ रमेश ने तमिलनाडु में ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) गठबंधन की एकतरफा जीत का हवाला देते हुए कहा कि राज्य की जनता ने करारा जवाब दिया।

उन्होंने कहा, ‘‘तमिलनाडु के मछली पकड़ने वाले समुदायों की चिंताओं को स्थायी आधार पर सौहार्दपूर्ण ढंग से हल करने की आवश्यकता है।’’ रमेश ने कहा, ‘‘क्या मोदी जी और उनके सहयोगी हमारे पड़ोसी के साथ इतना बड़ा विवाद पैदा करने के लिए माफी मांगेंगे, खासकर तब जब वह ‘‘पड़ोसी प्रथम’’ नीति का दावा करते हैं?’’

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दावा किया था कि अतीत में प्रधानमंत्री रहे कांग्रेस के नेताओं ने कच्चातीवु द्वीप के प्रति उदासीनता दिखाई और कानूनी नजरिए के विपरीत होने के बावजूद भारतीय मछुआरों के अधिकारों को छीन लिया। जयशंकर की इस टिप्पणी से पहले मोदी ने एक मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा था कि नए तथ्यों से पता चला है कि कांग्रेस ने कच्चातीवु द्वीप को ‘‘संवेदनहीन तरीके से’’ श्रीलंका को सौंप दिया था।