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उत्पादन क्षमताओं के विकास के बिना कोई भी देश बड़ी शक्ति नहीं बन सकता है: जयशंकर

जेनेवा

राहुल गांधी की खटाखट पंच लाइन सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर गई थी। यहां तक की कांग्रेस पर निशाना साधने के लिए कई बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी इस शब्द का इस्तेमाल करत हुए देखा गया। जेनेवा में जयशंकर ने कहा कि उत्पादन क्षमताओं के विकास के बिना कोई भी देश बड़ी शक्ति नहीं बन सकता है।

केंद्रीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर इन दिनों विदेश दौरे पर हैं। जर्मनी का दौरा पूरा करने के बाद वे गुरुवार को जेनेवा पहुंचे। शनिवार को यहां एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी पर निशाना साधा। उन्होंने कांग्रेस सांसद पर तंज कसते हुए कहा कि जीवन खटाखट नहीं है, इसके लिए कठिन मेहनत और परिश्रम की आवश्यकता है। बता दें कि राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के सत्ता में आने पर महिलाओं के खातों में तेजी से पैसे ट्रांसफर करने का वादा करते हुए खटाखट शब्द का इस्तेमाल किया था।
जेनेवा में भारतीय समुदाय के सदस्यों से बातचीत करते हुए जयशंकर ने कहा, “जब तक आप बुनियादी ढांचे और मानव संसाधनों का निर्माण नहीं करते, नीतियों को लागू नहीं करते तब तक या कठिन काम है। जीवन खटाखट नहीं है। जीवन मेहनत और लगन से भरा है।” उन्होंने आगे कहा, “जिन्होंने नौकरी की है, मेहनत की है। वह जानता है। यह मेरा आपके लिए संदेश है कि हमें कड़ी मेहनत करनी होगी।”
ट्रेंड में था राहुल गांधी का खटाखट शब्द
राहुल गांधी की खटाखट पंच लाइन सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर गई थी। यहां तक की कांग्रेस पर निशाना साधने के लिए कई बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी इस शब्द का इस्तेमाल करत हुए देखा गया। जेनेवा में जयशंकर ने कहा कि उत्पादन क्षमताओं के विकास के बिना कोई भी देश बड़ी शक्ति नहीं बन सकता है। उन्होंने आगे कहा, “ऐसे भी लोग हैं जो कहते हैं कि हम इसमें असमर्थ हैं। हमें इसका प्रयास भी नहीं करना चाहिए। क्या आप उत्पादन के बिना दुनिया की बड़ी शक्ति बन सकते हैं? क्योंकि ताकत को तकनीक की जरूरत होती है। बिना उत्पात के तकनीक का विकास मुश्किल है।”

हाल ही में राहुल गांधी ने अमेरिका में कहा था कि वैश्विक विनिर्माण में चीन के प्रभुत्व ने देश को बेरोजगारी से बचाया, जिसका सामना भारत समेत कई पश्चिमी देश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पश्चिमी देशों में बेरोजगारी की समस्या है, जो भारत में भी है। लेकिन चीन, वियतनाम जैसे देश ऐसी चुनौतियों का सामना नहीं करते क्योंकि उनके पास उत्पादन केंद्र हैं।