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आरक्षण खत्म करने वाले बयान पर राहुल गांधी को चिराग पासवान की दो टूक, बोले-आरक्षण समाप्त करना तो दूर, सोचना भी अपराध है

लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी की तरफ से जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय में आरक्षण को दिए बयान ने नया सियासी पारा चढ़ा दिया है। मायावती के बाद अब चिराग पासवान की तरफ से भी राहुल गांधी पर निशाना साधा गया है। चिराग ने कहा कि आरक्षण समाप्त करना तो दूर, सोचना भी अपराध है राहुल गांधी जी। चिराग पासवान ने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर लिखा कि आज राहुल गांधी के बयान से कांग्रेस पार्टी की मानसिकता का पर्दाफाश हुआ है। कांग्रेस चाहती है, और उनकी प्राथमिकताओं में यह रहा है कि बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर जी द्वारा दिए गए आरक्षण को समाप्त कर दिया जाए। संवैधानिक व्यवस्था को सुचारू रूप से जारी रखने के लिए आरक्षण जरूरी है। ऐसे में आरक्षण को समाप्त करना तो दूर, कोई उस प्रावधान से छेड़छाड़ करने की भी नहीं सोच सकता।

चिराग पासवान ने कहा कि मैं विश्वास दिलाता हूं कि जबतक मैं, और मेरी पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) है तबतक न तो आरक्षण को कोई खतरा है और न ही संविधान को। कांग्रेसी मानसिकता वाले लोग जनता को गुमराह करने के लिए ऐसे बयानों का इस्तेमाल करते आए हैं। आरक्षण का मुद्दा कांग्रेस का चुनावी जुमला है, जिससे हम सबको सावधान रहने की जरूरत है। केंद्र में लंबे अरसे तक सत्ता में रहने के बावजूद कांग्रेस ना तो जातीय जनगणना करा पाई और ना ही ओबीसी आरक्षण को ही लागू कर पाई। इससे स्पष्ट है कि कांग्रेस की सोच शुरू से आरक्षण विरोधी रही है। आरक्षण समाप्त करने की साजिश का दोषारोपण ये दूसरों पर करते हैं, जबकि हकीकत यह है कि ये मानसिकता इन लोगों की ही है। दोनों गठबंधनों में कितना फर्क है कि एक ओर नेता प्रतिपक्ष आरक्षण समाप्त करने की सोच रखते हैं तो दूसरी तरफ एनडीए के सर्वमान्य नेता आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आरक्षण के सभी प्रावधान को वैसे ही लागू रखने के लिए कृतसंकल्प हैं।

लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने जातीय सहमति की वकालत की और कहा कि कांग्रेस पार्टी निचली जातियों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति जानना चाहती है। जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय में जाति जनगणना की आवश्यकता को समझाते हुए राहुल ने कहा किहम इन जातियों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को समझना चाहते हैं। तीसरा घटक, जो मुझे लगता है कि बहुत महत्वपूर्ण है, वह यह है कि हम भारत के संस्थानों-मीडिया, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा-स्वामित्व, इन सेवाओं को प्रदान करने वाली संरचना और इन संस्थानों में भारत की भागीदारी को भी समझना और जांचना चाहते हैं। ये एक संस्थागत सर्वेक्षण, एक सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण और एक जनगणना है। उन्होंने कहा कि जब भारत एक निष्पक्ष देश होगा तो कांग्रेस पार्टी आरक्षण खत्म करने के बारे में सोचेगी, जो अभी नहीं है।