नई दिल्ली। परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (NSG) की सदस्यता के भारत के प्रयासों में चीन द्वारा प्रक्रियागत बाधाएं खड़ी करने की बात को स्वीकार करते हुए सरकार ने बुधवार को कहा कि वह चीन के साथ मतभेदों को दूर करने का प्रयास कर रही है। साथ ही उसने स्पष्ट किया कि भारत परमाणु अप्रसार संधि (NPT) पर कभी दस्तखत नहीं करेगा, हालांकि वह निरस्त्रीकरण के लिए प्रतिबद्ध है।
लोकसभा में बुधवार को सुप्रिया सुले, सौगत बोस के पूरक प्रश्न के जवाब में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा, ‘मैंने पहले भी कहा था, आज भी कह रही हूं, सदन में कह रही हूं कि चीन ने प्रक्रियागत विषयों को उठाया था। चीन ने कहा था कि NPT पर हस्ताक्षर नहीं करने वाला देश NSG का सदस्य कैसे बन सकता है। इस तरह से चीन ने प्रक्रियागत बाधा खड़ी की।’
चीन के बहाने कांग्रेस को घेरे में लेते हुए सुषमा ने कहा, ‘एक बार कोई नहीं माने तो हम यह नहीं कह सकते कि वह कभी नहीं मानेगा। हमारे कांग्रेस के मित्र GST पर नहीं मान रहे हैं। अन्य सभी दल मान गए हैं। केवल कांग्रेस नहीं मान रही है। हम मनाने में लगे हैं।’ विदेश मंत्री ने कहा, ‘लेकिन कांग्रेस एक बार नहीं माने तो क्या हम यह कहें कि वे कभी नहीं मानेंगे। हम मनाने में लगे हैं, हो सकता है कि GST इसी सत्र में पास हो जाए। सुषमा स्वराज ने कहा कि 2008 में असैन्य परमाणु संबंधी जो छूट हमें मिली थी, उसमें NPT का सदस्य बने बिना ही इसे आगे बढ़ाने की बात कही गई थी।
उन्होंने स्पष्ट किया, ‘हम एनपीटी पर कभी हस्ताक्षर नहीं करेंगे। लेकिन इसके लिए हमारी पूर्ण प्रतिबद्धता है। हम इसके लिए पूर्व की सरकार को भी श्रेय देते हैं। 2008 के बाद से छह वर्ष इस प्रतिबद्धता को पूर्व की सरकार ने पूरा किया और इसके बाद वर्तमान सरकार इस प्रतिबद्धता को पूरा कर रही है।’ विदेश मंत्री ने कहा कि NSG की सदस्यता के लिए भारत ने आधा अधूरा नहीं बल्कि भरपूर प्रयास किया।
क्या है एनपीटी?
दुनिया में परमाणु हथियारों को रोकने के मकसद से 1 जुलाई, 1968 से नॉन प्रॉलिफरेशन ट्रीटी यानी परमाणु अप्रसार संधि की शुरुआत हुई थी। हालांकि इसे लागू 1970 में किया गया था। इसका उद्देश्य हथियारों के प्रसार पर रोक के साथ ही परमाणु परीक्षण पर भी लगाम लगाना है। अब तक इस संधि पर 190 देश हस्ताक्षर कर चुके हैं। इनमें अमेरिकी, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और चीन जैसे परमाणु संपन्न देश भी शामिल हैं, जबकि भारत, इस्राइल, उत्तर कोरिया और पाकिस्तान जैसे प्रमुख संप्रभुता संपन्न देशों ने इस पर साइन नहीं किए हैं। इस संधि का प्रस्ताव आयरलैंड ने रखा था और सबसे पहले हस्ताक्षर करने वाला राष्ट्र है फिनलैंड। इस संधि के तहत परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र उसे ही माना गया है जिसने 1 जनवरी 1967 से पहले परमाणु हथियारों का निर्माण और परीक्षण कर लिया हो।