www.puriduniya.com पटना। बिहार के मुख्यमंत्री और जदयू अध्यक्ष नीतीश कुमार ने शनिवार को स्पष्ट किया कि वह प्रधानमंत्री पद के दावेदार नहीं हैं, लेकिन गैर-बीजेपी दलों में एकजुटता की कोशिश करते रहेंगे।
पटना के श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में आयोजित जेडीयू की राष्ट्रीय परिषद की बैठक के दौरान नीतीश को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष निर्वाचित किए जाने पर औपचारिक मुहर लगाई गई।
नीतीश ने कहा कि हम जब गैर-बीजेपी दलों की एकजुटता की बात करते हैं तो हम पर कितना प्रहार हो रहा है। ‘संघ मुक्त भारत’ के पक्षधर पार्टियों को एकजुट होने वाले बयान पर क्या-क्या नहीं कहा जा रहा है। नीतीश ने कहा, हम नेतृत्व या सर्वोच्च पद (प्रधानमंत्री) की दावेदारी कहां कर रहे हैं। हम तो लोगों से सिर्फ एकजुट होने के लिए कह रहे हैं और इसके लिए कोशिश करते रहेंगे…लोकतंत्र में लोगों को एकजुट करना क्या गुनाह है।
‘एकजुटता की कोशिश करते रहेंगे’
नीतीश ने कहा कि विलय को लेकर बहुत सारी बातें की जाती हैं। विलय, गठबंधन, तालमेल अथवा आपसी समझ हो जो कुछ भी संभव है वह हो, जितनी अधिक से अधिक संभावना है। एकजुटता का प्रयास किया जाना चाहिए और यह काम वह करते रहेंगे, क्योंकि उनका इसमें कोई अपना स्वार्थ नहीं है। उन्होंने कहा कि वे मीडिया के लोगों से हाथ जोडकर विनम्र प्रार्थना करना चाहते हैं कि हम गरीब घर में पैदा हुए हैं। बिहार को आगे ले जाने की कोशिश कर रहे हैं..पहले बीजेपी वाले भी उन्हें पीएम मेटेरियल कह दिया करते थे, आज भी आपलोग कहलवा देते हैं। कृपया करके इतना अन्याय न करें। हमने न तो बिहार के साथ कभी अन्याय किया है और न ही राष्ट्रीय स्तर पर कोई जिम्मेदारी मिली है, तो किसी पद पर आसीन (सांसद या मंत्री) होकर अन्याय किया है।
कौन नेता बनेगा, यह वक्त की बात
नीतीश ने कहा कि महागठबंधन की रणनीति से वे (बीजेपी) चारों खाने चित हुए हैं। इसी रणनीति से देश में वे चारों खाने चित होंगे। यही तो हम कह रहे हैं। कौन नेता बनेगा यह तो समय की चीज है। इसलिए कृपा करके इस बहस को मत गलत रूप दीजिए। उन्होंने कहा कि जेडीयू की आवाज में इतना नैतिक बल और दम है, तो इसमें परेशानी क्यों हो रही है।
नीतीश ने कहा कि संघ (आरएसएस) की राजनीतिक शाखा बीजेपी जिस प्रकार की राजनीति कर रही है और जिस प्रकार से देश को चलाने की कोशिश कर रहे हैं, उसके कारण आज देश के सामने चुनौती खड़ी हुई है। उसका सभी गैर-बीजेपी दलों को एकजुट होकर मुकाबला करना होगा।
बीजेपी भूल गई चुनावी वादे
उन्होंने आरोप लगाया कि वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में कालाधन वापस लाने, किसानों को उनकी लागत से डेढ़ गुना उनके फसल का दाम दिए जाने तथा युवाओं को रोजगार दिए जाने साहित अन्य कई वादों को बीजेपी भूल गई और उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कह दिया कि ये तो ‘जुमला’ था। न कालाधन आया, न युवाओं को रोजगार मिल रहा है और न ही किसानों को उनकी लागत पर 50 प्रतिशत जोड़कर उनकी फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य मिल रहा है।
उन्होंने कहा कि देश की आर्थिक स्थिति बहुत ही खराब है। बैंकों की हालत खस्ता है। किस तरह से उनका पैसा डूब रहा है। बड़े-बड़े लोगों ने उनका पैसा ले लिया। एक उदाहरण सामने आया है। ऐसे अनेकों होंगे जो कि बैंक की राशि लेकर बैठे हुए हैं।