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तीन तलाक से 2०19 में भाजपा को मिलेगा खाद-पानी

राजेश श्रीवास्तव

लखनऊ । मंगलवार भारतीय जनता पार्टी के लिए इस्लामी मुद्दे के बावजूद मंगलकारी साबित हुआ। सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक के मुद्दे को असंवैधानिक करार देकर भाजपा की मानो मुराद पूरी कर दी। हालांकि यह फैसला पहले से ही लगभग तय माना जा रहा था। जिस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस मुद्दे पर मुखर थे। उससे साफ था कि फैसला कुछ भी हो लेकिन तीन तलाक को संवैधानिक दर्जा तो नहीं ही मिलेगा। हुआ भी यही।

तीन तलाक ऐसा मुद्दा था जिसे उठाकर भाजपा ने उत्तर प्रदेश में दस फीसद मुस्लिम वोट हासिल किये थे। शायद यह भाजपा के लिए ऐतिहासिक क्षण होगा जब उसके किसी फैसले पर मुस्लिम महिलाओं में जश्न की स्थिति है। तीन तलाक का मुद्दा पिछले कुछ सालों से बार-बार चर्चा में आ रहा है। ख़ासतौर पर 2०14 में बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए के केंद्र में आने के बाद से यह मुद्दा और ज्यादा उभर कर चर्चा में आया। मुस्लिम समाज के एक वर्ग से भी इस व्यवस्था को खत्म करने की आवाज तेज होने लगी थी।

दरअसल, तीन तलाक का मुद्दा बीजेपी ने अपने घोषणा पत्र में शामिल किया था। जब सरकार बनी, उसके बाद से ये मुद्दा लगातार उठता रहा। सरकार की तरफ से कहा गया था, ‘ट्रिपल तलाक के प्रावधान को संविधान के तहत दिए गए समानता के अधिकार और भेदभाव के खिलाफ अधिकार के संदर्भ में देखा जाना चाहिए।’ साथ ही केंद्र ने कहा, ‘लैंगिक समानता और महिलाओं के मान सम्मान के साथ समझौता नहीं हो सकता।’ हजारों मुस्लिम महिलाओं की जिन्दगी पर बुरा असर डाल रही इस कुप्रथा के मुद्दे को योगी ने पिछले दिनों ठीक इसी अर्थ में वहीं से उठाया जहां मोदी ने भुवनेश्वर में इसे छोड़ा था।

पुस्तक लोकार्पण कार्यक्रम में यूपी के मुख्यमंत्री ने राजनीतिक नेताओं, सामाजिक संगठनों और तथाकथित प्रगतिशील लोगों की इस विषय पर उनकी चुप्पी पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि वे उसी तरह दोषी हैं जैसे महाभारत काल में द्रौपदी का चीरहरण होते वक्त चुप रहने वाले बुजुर्ग दरबारी दोषी था। देश की सबसे बड़ी आबादी वाले सूबे के मुखिया योगी लम्बे समय से धार्मिक-आध्यात्मिक नेता रहे हैं। वे इस बात को जानते हैं कि समकालीन परिस्थिति की तुलना शास्त्रों में वर्णित ऐतिहासिक परिस्थिति से करने पर ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ेंगे। योगी महाभारत में द्रौपदी के चीरहरण की तुलना राहुल गांधी, अखिलेश यादव, मायावती, नीतीश कुमार और दूसरे नेताओं की चुप्पी से करने पर उन्हें इतनी आसानी से गलत नहीं ठहराया जा सकता।

उत्तर प्रदेश के लिए तीन तलाक बना बड़ा मुद्दा उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने ‘तीन तलाक’ का मुद्दा बड़े जोर-शोर से उठाया। जानकारों के मुताबिक, इसका फायदा बीजेपी को हुआ जब यूपी चुनाव में बड़ी संख्या में मुस्लिम महिलाओं का वोट मिला। आंकड़ों के मुताबिक 2०12 के विधानसभा चुनावों में जहां 7% मुस्लिमों ने बीजेपी को वोट दिया तो वहीं 2०14 के लोकसभा चुनावों में 1०% मुस्लिमों ने भाजपा को वोट दिया। यह आंकड़ा सीएसडीएस-लोकनीति के हवाले से दिया गया है। गौरतलब है कि पार्टी ने वादा किया था कि एक बार सत्ता में आ जाने के बाद यूपी सरकार सुप्रीम कोर्ट में तीन तलाक के मुद्दे पर इस रूप में हस्तक्षेप करेगी कि ये मसला लैंगिक भेदभाव और समानता के अधिकार का है। मोदी के आक्रामक तेवर का मकसद देशभर में बीजेपी के दूसरे और तीसरे दर्जे के नेताओं के बीच ये संदेश देना था कि यह सबसे प्रासंगिक सामाजिक और राजनीतिक मुद्दा है।

जिसे सुप्रीम कोर्ट में अंतिम सुनवाई से पहले सही संदेश के साथ और एक सामाजिक आंदोलन के तौर पर उठाने की जरूरत है। तीन तलाक के मामले में बीजेपी के विरोधी राजनीतिक दलों जैसे कांग्रेस, सपा, बसपा और दूसरी पार्टियों का रुख या तो अस्पष्ट है या फिर उन्होंने चुप्पी साध रखी है। जिनका दावा है कि यह मामला शरीयत के हिसाब से इस्लामिक रवायत है और इसलिए इसे समुदाय के लोगों पर छोड़ देना सबसे अच्छा होगा। बीजेपी का रुख इनके रुख से ठीक उल्टा है। मुस्लिम महिलाएं हुईं मुखर जबसे बीजेपी ने यूपी चुनाव जीता है, तीन तलाक के खिलाफ बड़ी संख्या में मुस्लिम महिलाएं सामने आ रही हैं।

उनके इस मजबूत रुख ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और धर्मगुरुओं को सुरक्षात्मक बना दिया है। मोदी और योगी इस मुद्दे पर सूझबूझ भरी राजनीति कर रहे हैं। अपने मजबूत हिन्दुत्व छवि के बावजूद निडर होकर खुद को सुधारवादी नेता के तौर पर रखते हुए ये नेता रूढ़िवादी इस्लामिक परंपरा पर प्रहार कर रहे हैं। वे मुस्लिम महिलाओं के लिए संवैधानिक बराबरी की मांग कर रहे हैं। यह मुद्दा उनके नारे ‘सबका साथ, सबका विकास’ के साथ मेल भी खा रहा है।