वॉशिंगटन। अमेरिका में राष्ट्रपति पद के रिपब्लिकन उम्मीदवारों में से एक डॉनल्ड ट्रंप ने कहा है कि वह राष्ट्रपति बने तो आतंकियों को टॉर्चर करने के तरीकों पर लगे बैन को हटाने की पहल करेंगे। यह बात उन्होंने आईएस के आतंकियों के संदर्भ में कही है। ट्रंप के मुताबिक टॉर्चर करने के तरीकों पर रोक लगाने से अमेरिका को आईएस के आतंकियों से मुकाबले में रणनीतिक तौर पर नुकसान हो रहा है।
बीते हफ्ते में कई इंटरव्यू और घटनाओं में ट्रंप ने कई सिद्धांतों का खाका पेश किया है। उन्होंने कहा कि अगर ये नियम लागू हो गए तो अमेरिका की विदेश नीति में आधारभूत बदलाव आ जाएगा। उन्होंने कहा है कि डेमोक्रेटिक राष्ट्रपति बराक ओबामा और रिपब्लिकन कांग्रेस के दौर में विदेश नीति पर नियंत्रण लगाया गया।
ट्रंप ने मुंह पर नकाब डालकर उसपर पानी डालने वाले तरीके (वॉटरबोर्डिंग) से टॉर्चर करने के अलावा संदिग्ध आतंकियों की पत्नियों और बच्चों को मारने की भी वकालत की। फिलहाल यह अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन करता है। उन्होंने रविवार को सीबीएस के ‘फेस द नैशन’ नामक कार्यक्रम में कहा, ‘हमें भी उनकी तरह गेम खेलना होगा। अगर इतने सॉफ्ट रहेंगे तो उनसे नहीं जीतने वाले, उनका कोई नियम नहीं है। हमें मजबूत नियम बनाने होंगे ताकि हम उनसे प्रतिस्पर्धा कर सकें।’ एक दिन पहले ही उन्होंने फ्लोरिडा में भी दर्शकों से कहा था कि वह पूछताछ पर लगाम लगाने वाले नियमों के खिलाफ लड़ाई लड़ेंगे।
ट्रंप ने कहा, ‘मुझे लगता है हम बहुत कमजोर और निष्प्रभावी हो गए हैं। इसलिए हम आईएसआईएस को नहीं हरा पा रहे हैं।’ जब उनसे पूछा गया कि क्या इसी वजह से हम आतंकियों से अलग नहीं हैं तो उन्होंने कहा कि हमें उन्हें हराना है। 2009 में ओबामा ने आदेश जारी किया था कि केवल सैन्य अधिकारी ही नहीं बल्कि सभी अमेरिकी सरकारी कर्मचारी पूछताछ के लिए उन तरीकों का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे जो ‘आर्मी फील्ड मैन्युअल’ में नहीं हैं। पिछले साल जून में इसे कई रिपब्लिकन्स ने सभी 44 डेमोक्रेट्स के साथ मिलकर इस प्रस्ताव के समर्थन में 78-21 से वोट किया था। इससे एक महीने पहले ही सीनेट इंटेलिजेंस कमिटी ने रिपोर्ट दी थी कि क्रूरता से पूछताछ करने से कोई फायदा नहीं हो रहा है।