www.puriduniya.com अहमदाबाद। गुलबर्ग सोसायटी दंगा मामले में विशेष एसआईटी अदालत ने सजा का ऐलान कर दिया है। कुल 24 दोषियों में से 11 को उम्रकैद, 12 को 7 साल की सजा और एक दोषी को 10 साल की सजा सुनाई है। किसी को भी फांसी की सजा नहीं सुनाई गई है। इस मामले में कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी समेत 69 लोगों की हत्या कर दी गई थी।
इससे पहले दो जून को अदालत ने हत्या और अन्य अपराधों के लिए 11 लोगों को दोषी ठहराया था जबकि वीएचपी नेता अतुल वैद्य समेत 13 अन्य हल्के अपराधों के तहत दोषी ठहराए गए थे। अदालत ने इस मामले में 36 अन्य को बरी कर दिया था।
#FLASH Gulbarg Case verdict: 11 accused awarded life imprisonment and remaining 12 to be jailed for seven years.
— ANI (@ANI_news) June 17, 2016
दंगे में मारे गए कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी की पत्नी जाकिया जाफरी ने सजा के इस फैसले पर नाखुशी जताई है। जाकिया जाफरी ने कहा, ‘दोषियों को कम सजा सुनाई गई। एहसान जाफरी को सोसायटी में नंगा दौड़ाकर हाथ-पैर काटकर बीच सड़क पर जला दिया। कानून ने मेरे साथ नाइंसाफी की है। मैं इस सजा से संतुष्ट नहीं हूं। मैं अपने वकील से बात करूंगी। मैं फिर कोर्ट के सामने जाऊंगी। उनसे इंसाफ मांगूंगी।’
Zakia Jafri: After so many people died, that’s all the court could decide? just 12 guilty? I will have to fight this pic.twitter.com/Jr4VDp3fCh
— ANI (@ANI_news) June 17, 2016
सुनवाई के दौरान सुप्रीम द्वारा गठित एसआईटी का प्रतिनिधित्व कर रहे लोक अभियोजक आरसी कोडेकर ने अदालत से कहा था कि 24 दोषियों को मृत्युदंड या आजीवन कारावास से कम सजा नहीं सुनाई जानी चाहिए।
पीड़ितों के वकील एसएम वोरा ने भी आरोपियों के लिए अधिकतम सजा की मांग की और दलील दी कि प्रत्येक अपराध के लिए सजा साथ-साथ नहीं चलनी चाहिए, जिससे वे पूरा जीवन जेल में बिताएं। आरोपी अजय भारद्वाज के वकील ने मृत्युदंड या अधिकतम सजा की मांगों का अपनी दलीलों में यह कहते हुए विरोध किया था कि घटना स्वत: थी और इसके लिए पर्याप्त उकसावा था।
ऐक्टिविस्ट तीस्ता सीतलवाड़ ने इस फैसले का स्वागत किया है, लेकिन दोषियों को मिली कम सदा पर निराशा जताई है। तीस्ता ने कहा कि सभी दोषियों के लिए कम से कम आजीवन करावास की मांग की गई थी। हम इसके खिलाफ ऊंची अदालत में अपील करेंगे।
We welcome the verdict but we are disappointed, on the lesser sentence. : Teesta Setalvad on Gulbarg Case verdict pic.twitter.com/TnTjE0xm4n
— ANI (@ANI_news) June 17, 2016
गुलबर्ग सोसाइटी मामला 28 फरवरी 2002 को हुआ था। उस वक्त नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे। इसने पूरे देश को दहला दिया था क्योंकि तकरीबन 400 लोगों की भीड़ ने अहमदाबाद के केंद्र में स्थित सोसाइटी पर हमला किया था और जाफरी समेत निवासियों की हत्या कर दी थी।