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World Emoji Day 2022: जाने 17 जुलाई को ही क्यों मनाते हैं इमोजी डे

इक्कीसवीं सदी तक आते-आते कम्युनिकेशन एक लंबा सफर तय कर चुका है। मोर्स कोड से लेकर इंस्टेंट मैसेजिंग तक ग्लोबल स्तर पर लोगों के संवाद यानी कम्यूनिकेट करने के तरीके में बड़ा बदलाव आया है। 21वीं सदी के सबसे बड़ी इन्वेंशन के रूप में देखें तो स्मार्टफोन ने शब्दों के साथ कम्यूनिकेट करने की आवश्यकता को लगभग समाप्त कर दिया है। खुशी, आश्चर्य या उदासी व्यक्त करने वाले लंबे वाक्यों को छोटे पीले चेहरों में बदल दिया गया है – जिन्हें हम आम भाषा में इमोजी कहते हैं।

सोशल मीडिया और स्मार्टफोन के इस जमाने में लगभग हर व्यक्ति ने चैटिंग में इमोजी का इस्तेमाल जरूर किया होगा। 2022 में इमोजी हर जगह हैं। हम हर रोज व्हाट्सएप और इंस्टाग्राम पर इनका खूब इस्तेमाल भी करते हैं। इमोजी ने डिजिटल इंटरैक्शन में आने के बाद से कम्यूनिकेशन को आसान बना दिया है। वे कम्यूनिकेट करने का सबसे सुविधाजनक तरीका बन गए हैं क्योंकि इमोजी ने स्पष्ट रूप से शब्दों का उपयोग कम कर दिया है।

इसका प्रभाव कम्यूनिकेशन के सभी प्लेटफॉर्म पर है। इमोजी का प्रभाव इतना अधिक है कि अब इसे मनाने के लिए एक विशेष दिन है। हम बात कर रहे हैं अन्तर्राष्ट्रीय इमोजी डे की। हर साल 17 जुलाई यानी आज के दिन पूरी दुनिया में इमोजी डे मनाया जाता है। चलिए जानते हैं इस इमोजी के जन्म और इससे जुड़ें अनसुने किस्सों के बारे में…
कहां से आई इमोजी की सोच ?
इमोजी को पिक्टोग्राम, लोगोग्राम, आइडियोग्राम या स्माइली भी कहा जाता है। टेक्स्ट मैसेजिंग के इस विजूअल मोड का पता पहली बार 1982 में लगा था, जब कंप्यूटर वैज्ञानिक स्कॉट फहलमैन ने सुझाव दिया था कि 🙂 और 🙁 संभावित रूप से भाषा को रिप्लेस कर सकते हैं। इसे बाद में इमोटिकॉन्स (Emotion और icons) कहा गया। हालांकि, यह विचार नया नहीं था, इसे प्रसिद्ध उपन्यासकार व्लादिमीर नाबोकोव द्वारा खोजा गया था।

नाबोकोव ने एक बार अपने इंटरव्यू में कहा था कि मुझे अक्सर लगता है कि स्माइल के लिए एक विशेष टाइपोग्राफिकल साइन होना चाहिए- यानि एक प्रकार का अवतल चिन्ह जिसका आकार गोल हो। हालांकि अब जो इमोजी हम देखते हैं वो इसका एकदम एडवांस वर्जन है। इमोजी के बढ़ते महत्व को ध्यान में रखते हुए आईओएस और एंड्रॉइड के साथ-साथ व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम जैसे एप्स भी अपने मौजूदा इमोजी में समय-समय पर नए कैरेक्टर एड करते हैं और उनका मॉडिफिकेशन भी कर रहे हैं।

कैसे हुआ इमोजी का जन्म ?
इमोजी के जन्म की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है, क्योंकि शुरुआत में ईमेल भेजने के लिए 250 शब्दों का ही इस्तेमाल किया जा सकता था। कम शब्दों की इस समस्या को सुलझाने के लिए साल 1999 में जापान के एक इंजीनियर शिगेताका कुरीता ने इमोजी को जन्म दिया। उन्होंने इमोजी के 176 सेट तैयार किए थे जो छोटे-छोटे डॉट के रूप में थे। उन्होंने पहला इमोजी टेलीकॉम कंपनी एनटीटी डोकोमो के लिए बनाया था ताकि इमोजी वाली फोटो से लोगों को एट्रेक्ट किया जा सके।
17 जुलाई को ही क्यों मनाते हैं इमोजी डे ?
माना जाता है कि जब पहली बार एपल ने 2002 में अपने iCal कैलेंडर एप्लिकेशन का प्रीमियर किया तब से ही इमोजी लोकप्रिय हो गया था। जबकि 17 जुलाई के दिन ही एपल ने अपने iCal कैलेंडर का कलर वर्जन पेश किया था।

लेकिन 17 जुलाई को अन्तर्राष्ट्रीय इमोजी डे मनाने का श्रेय जेरेमी बर्ज को जाता है। जेरेमी बर्ज को इमोजी इतिहासकार और इमोजीपीडिया वेबसाइट के संस्थापक के रूप में भी जाना जाता है। इमोजीपीडिया को इमोजी का विश्वकोश कहा जाता है क्योंकि यहां इमोजी के कैरेक्टर, उनकी उत्पत्ति, डिजाइन में परिवर्तन और यूज के ट्रेंड के बारे में जानकारी का भंडार उपलब्ध है।

बर्ज ने आईफोन के कैलेंडर इमोजी के आधार पर ही 2013 में इमोजीपीडिया को बनाया था। इसके एक साल बाद यानी 17 जुलाई 2014 को जेरेमी बर्ग ने इमोजी को एक विशेष पहचान दिलाने और इसकी उपलब्धियों को पूरी दुनिया तक पहुंचाने के लिए अन्तर्राष्ट्रीय इमोजी डे मनाने की शुरूआत की और पहला इमोजी डे 2014 में मनाया गया।इस दिन इंस्टेंट मैसेजिंग एप्लिकेशन और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के साथ-साथ एपल और एंड्रॉयड भी नई इमोजी इन्वेंट करते हैं। 2022 में हमारा प्यारा इमोजी आठ साल का हो गया है और साल 2014 से अब तक करीब 3 हजार से ज्यादा इमोजी इन्वेंट किए जा चुके हैं।