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सुखद वैवाहिक जीवन का राज: जाने वो 4 बातें जिससे रिश्तों पर बढ़ती है नजदीकियां

चाणक्य यानि कौटिल्य भारतीय इतिहास के सबसे महान दार्शनिक, सलाहकार और शिक्षक में से एक है। उन्होंने चंद्रगुप्त मौर्य को सत्ता में आने और भारतीय इतिहास के सबसे महान राजाओं में से एक बनाने में मदद की। आचार्य चाणक्य की पुस्तक, जिसे वर्तमान में चाणक्य नीति-शास्त्र के रूप में जाना जाता है , भारतीय इतिहास में कई राजाओं को प्रेरित करती है। चाणक्य नीति शास्त्र में 17 अध्याय हैं और प्रत्येक अध्याय में जीवन, दोस्ती, कर्तव्य, प्रकृति, पत्नी, बच्चों, धन, व्यवसाय और अन्य सभी चीजों के बारे में उल्लिखित है जो मानव जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। कौटिल्य नीति सभी के लिए है, और कोई भी इसे पढ़ सकता है और अपने जीवन को सफल बना सकता है। आचार्य चाणक्य के नीति शास्त्र के अनुसार पति और पत्नी एक दूसरे के पूरक होते हैं। यदि उनमें से एक भी अपना हाथ खींच लेता है तो परिवार बिखरने से लगता है। घर में क्लेश आरंभ हो जाती है। आचार्य चाणक्य के अनुसार परिवार की सुख-शांति पति-पत्नी के मधुर रिश्तों पर टिकी होती है। कहते हैं कि जिस घर में पति-पत्नी के बीच आपसी सामंजस्य नहीं होता वहां से लक्ष्मी तक रुष्ट होकर चली जाती हैं। ऐसे में पति और पत्नी दोनों को हई कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। आइए जानते हैं क्या है वो खास बातें।

एक दूसरे की आवश्यकता को समझें
आचार्य चाणक्य के अनुसार पति और पत्नी को एक पार्टनर के तौर पर ही नहीं बल्कि एक दूसरे के मित्र बनकर भी रहना चाहिए। अच्छे दोस्त वही होते हैं जो एक दूसरे का ध्यान रखें, अच्छे और बुरे दोनों समय में। एक दूसरे की सभी आवश्यताओं को समझें। यदि ऐसा होता है तो पति पत्नी के रिश्ते में मजबूती आती है।

प्रतियोगिता की भावना न रखें
आचार्य चाणक्य के अनुसार पति और पत्नी एक दूसरे के पूरक होने चाहिए, प्रतियोगी नहीं। पति-पत्नी एक गाड़ी के दो पहिये माने जाते हैं। एक खराब हुआ तो दूसरा अकेले गृहस्थी की गाड़ी नहीं खींच सकती। कोई भी काम पूरा करना है तो पति पत्नी को प्रतियोगी बनकर नहीं बल्कि एक टीम बनकर काम करना चाहिए। इससे उन्हें सरहाया भी जाएगा।

धैर्यवान बनें
आचार्य चाणक्य अपने नीति शास्त्र में कहते हैं कि यदि व्यक्ति सफल वैवाहिक जीवन चाहता है तो इसके लिए आवश्यक है कि पति और पत्नी दोनों ही धैर्य बनाकर रखें। जीवन में कोई भी परिस्थिति आ जाए, पति और पत्नी दोनों को धैर्यता के लिए पति और पत्नी दोनों में धैर्य का होना बहुत जरूरी है। जीवन में पड़ने वाली विपरीत परिस्थितियों में धैर्य रखने वाले पति-पत्नी ही अपने जीवन को आगे बढ़ा पाते हैं।

गोपनीयता का ध्यान रखें
आचार्य चाणक्य अपने नीति शास्त्र में बताते हैं पट्टी और पत्नी के बीच कुछ राज रहने चाहिए। दोनों को ही इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उनका राज किसी तीसरे व्यक्ति तक न पहुंचे, अन्यथा पति-पत्नी में दरार आने की पूरी संभावना है। पति या पत्नी के बीच होने वाली बातों को अपने तक ही सीमित रखने वाले हमेशा सुखी रहते हैं।