पाकिस्तान का राजनीतिक इतिहास बताता है कि वहां कोई भी प्रधानमंत्री अब तक पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया है। शायद इसलिए वर्तमान प्रधानमंत्री इमरान खान का सिंहासन भी डोलने लगा है। अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा और मतदान से पहले इमरान खान की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही हैं। मुश्किलों के बढ़ते जाने के बीच इमरान कभी भारत की सराहना कर रहे हैं तो कभी चीन की। कभी अमेरिका को आंखें दिखा रहे हैं तो कभी यूरोपीय संघ को। इमरान कभी कश्मीर राग अलाप रहे हैं तो कभी अपने ही देश के विपक्ष को कोस रहे हैं। लेकिन यह सब उनके काम नहीं आने वाला है क्योंकि खबरें हैं कि पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने ओआईसी कांफ्रेंस के बाद इमरान खान को इस्तीफा देने के निर्देश दे दिये हैं। यह तो सभी जानते हैं कि पाकिस्तान के बारे में यह स्थापित सत्य और तथ्य है कि वहां जो सेना प्रमुख कहे वही सही।
तीन सहयोगी दलों ने इमरान खान का साथ छोड़ा
इसके अलावा इमरान खान अभी अपनी पार्टी के सांसदों के बागी होते जाने की समस्या से तो जूझ ही रहे थे अब उनका साथ तीन सहयोगी दलों ने भी छोड़ दिया है। पाकिस्तान में सबको लग रहा है कि इमरान खान एक डूबता हुआ जहाज हैं इसीलिए उनके साथ खड़ा हर कोई बस कूद कर अपनी जान बचाने में लगा हुआ है। इमरान खान की पार्टी पीटीआई के साथ सरकार में शामिल तीन बड़े सहयोगी दलों- मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट पाकिस्तान, पाकिस्तान मुस्लिम लीग (क्यू) और बलूचिस्तान आवामी पार्टी ने अलग होने का फैसला किया है जिससे विपक्ष का जोश बढ़ गया है। माना जा रहा है कि इस सब हालात को देखते हुए इमरान खान अविश्वास प्रस्ताव से पहले ही अपने इस्तीफे का ऐलान कर सकते हैं।
इमरान पर लगा जुर्माना
इमरान खान की मुश्किलें तब और बढ़ गयीं जब पाकिस्तान के शीर्ष चुनाव निकाय ने खैबर-पख्तूनख्वा में स्थानीय सरकार के चुनाव से पहले, स्वात में एक रैली को संबोधित करके चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन करने के लिए प्रधानमंत्री इमरान खान पर 50,000 रुपये का जुर्माना भी ठोक दिया। ‘एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ की खबर के अनुसार, पाकिस्तान निर्वाचन आयोग (ईसीपी) ने 15 मार्च को इमरान खान को स्वात में एक सार्वजनिक रैली को संबोधित करने से रोक दिया था, लेकिन प्रधानमंत्री ने निर्देशों की अनदेखी की और एक दिन बाद एक रैली को संबोधित किया। नई आचार संहिता के अनुसार, सार्वजनिक पद पर आसीन कोई भी व्यक्ति उन जिलों का दौरा नहीं कर सकता है जहां चुनाव हो रहे हैं। हम आपको बता दें कि खैबर पख्तूनख्वा में स्थानीय निकाय चुनाव का दूसरा चरण 31 मार्च को होगा।
पाकिस्तान निर्वाचन आयोग ने आचार संहिता के उल्लंघन के लिए इमरान खान को दो बार नोटिस जारी किया था। आखिरी नोटिस 21 मार्च को खैबर पख्तूनख्वा के मलकंद इलाके में एक राजनीतिक रैली को संबोधित करने के लिए भेजा गया था। पाकिस्तान निर्वाचन आयोग ने खैबर पख्तूनख्वा में स्थानीय निकाय के चुनाव के दूसरे चरण के दौरान प्रधानमंत्री इमरान खान पर बैठकों में भाग लेने पर प्रतिबंध भी लगा दिया है।
पाकिस्तान छोड़कर भागे इमरान के करीबी
वहीं प्रधानमंत्री पद से छुट्टी का काउंटडाउन शुरू होते ही इमरान के सहयोगी देश छोड़कर भागने लगे हैं। पाकिस्तानी मीडिया की रिपोर्टों के मुताबिक, इमरान खान के पूर्व सलाहकार शहजाद अकबर, मुख्य सचिव आजम खान और पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस गुलजार अहमद देश छोड़ कर जा चुके हैं। पाकिस्तान में इस तरह की भी खबरें हैं कि इमरान खान की सरकार में शामिल आधा दर्जन मंत्री भी देश छोड़कर जा सकते हैं। यही नहीं इमरान खान के बारे में कहा जा रहा है कि पद छोड़ने के बाद वह भी अपने बच्चों के पास लंदन चले जायें तो कोई बड़ी बात नहीं होगी।
इमरान के पास कितना समर्थन?
हम आपको बता दें कि क्रिकेट से राजनीति में आए इमरान खान को हटाने के लिए विपक्ष को 342 सदस्यीय नेशनल असेंबली में 172 वोटों की जरूरत है। इमरान की पार्टी के सदन में 155 सदस्य हैं और सरकार में बने रहने के लिए उन्हें कम से कम 172 सांसदों की जरूरत है। उनकी पार्टी बहुमत के लिए कम से कम छह राजनीतिक दलों के 23 सदस्यों का समर्थन ले रही है। प्रधानमंत्री के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान से पहले सत्तारुढ़ पार्टी के करीब 24 बागी सांसद खुलकर विरोध में उतर आए हैं, जबकि सरकार ने विपक्षी दलों पर सांसदों की खरीद-फरोख्त के आरोप लगाये हैं।
25 मार्च को इमरान के भाग्य का फैसला होगा
जहां तक पाकिस्तानी राजनीति में चल रही उठापटक की बात है तो हम आपको बता दें कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर विचार के लिए नेशनल असेम्बली की बैठक शुक्रवार को आहूत की जाएगी। वर्ष 2018 में प्रधानमंत्री पद संभालने के बाद से इमरान की यह सबसे कठिन राजनीतिक परीक्षा होगी। उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के करीब 100 सांसदों ने आठ मार्च को नेशनल असेम्बली सचिवालय को अविश्वास प्रस्ताव दिया था। इसमें आरोप लगाया गया है कि इमरान खान के नेतृत्व वाली पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी की सरकार देश में आर्थिक संकट और मुद्रास्फीति के लिए जिम्मेदार है। देखना होगा कि इमरान खान अविश्वास प्रस्ताव का सामना करते हैं या पहले ही इस्तीफा दे देते हैं।