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सुप्रीमकोर्ट ने 2000 में लाल किले पर हुआ हमले के दोषी आतंकवादी मोहम्मद आरिफ की मौत की सजा को बरकरार रखा

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सन 2000 में लाल किले पर हुआ हमले के मामले में लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी मोहम्मद आरिफ की मौत की सजा को बरकरार रखा हैं। सुप्रीम कोर्ट ने मोहम्मद आरिफ के अपराध को देखते हुए उसकी सजा को बरकरार रखा। लंबे समय से मौत की सजा को कम करने की मांग की जा रही थी।

साल 2000 में लाल किला हमले के मामले में लक्षर-ए-तैयबा (एलईटी) के आतंकवादी मोहम्मद आरिफ को दोषी पाया गया था। उसको मौत की सजा देने का निर्णय सुनाया गया था।

2000 में हुए हमले में सेना के दो जवानों और एक नागरिक की जान चली गई थी। मोहम्मद आरिफ द्वारा दायर पुनर्विचार याचिका को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उनकी मौत की सजा की पुष्टि की।

हमले के तीन दिन बाद आरिफ को गिरफ्तार किया गया था। सितंबर 2007 में दिल्ली उच्च न्यायालय ने उनकी मौत की सजा की पुष्टि की थी।