भारत के मुख्य न्यायाधीश धनंजय वाई चंद्रचूड़ ने शुक्रवार को इस बात पर जोर दिया कि सुप्रीम कोर्ट को “तारीक पे तारीख” (तारीख पर तारीख) वाली अदालत नहीं बनना चाहिए, उन्होंने खुलासा किया कि वकीलों ने पिछले दो महीनों में 3,688 मामलों में स्थगन मांगा, जबकि इनमें से अधिकांश तत्काल सुनवाई के लिए मामलों का उल्लेख किया गया था। सीजेआई ने अदालत में मौजूद वकीलों को संबोधित करते हुए कहा कि हम नहीं चाहते कि यह तारीक पे तारीख अदालत बने। इससे इस अदालत पर नागरिकों का भरोसा टूटता है। इतने सारे मामलों को स्थगित करने के लिए कहा जा रहा है, इससे इस अदालत की अच्छी छवि नहीं बनती है।
सीजेआई ने कहा कि वकीलों ने कम से कम 2,361 मामलों का उल्लेख सुनवाई की जल्द तारीख तय करने के लिए किया था, लेकिन जब वे संबंधित पीठों के सामने आए तो उनमें से अधिकतर को टालने का अनुरोध किया गया। सीजेआई ने आगे कहा कि स्थगित मामलों की संख्या इस अवधि में सूचीबद्ध मामलों की संख्या से लगभग तीन गुना है। मामलों में तेजी लाने का उल्लेख किया जाता है लेकिन फिर उन्हीं मामलों में स्थगन की मांग की जाती है।