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सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार की याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा, इस पर रोक जरूरी: दिल्ली सरकार

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र को नोटिस जारी कर राष्ट्रीय राजधानी में सेवाओं के नियंत्रण पर अध्यादेश के खिलाफ आम आदमी पार्टी (आप) के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार द्वारा दायर याचिका पर अपना रुख पूछा। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की पीठ ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया। पीठ ने दिल्ली सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी से अपनी याचिका में संशोधन करने और मामले में उपराज्यपाल को एक पक्ष के रूप में जोड़ने के लिए भी कहा।

आप सरकार ने अपनी याचिका में कहा कि ये कार्यकारी आदेश का असंवैधानिक अभ्यास था जिसने सुप्रीम कोर्ट और संविधान की मूल संरचना को ओवरराइड करने का प्रयास किया। दिल्ली सरकार ने अध्यादेश को रद्द करने के साथ ही इस पर अंतरिम रोक लगाने की भी मांग की है। दिल्ली सरकार की ओर से पेश अभिषेक सिंघवी ने दिल्ली सरकार के साथ काम करने वाले 400 विशेषज्ञों की नियुक्ति समाप्त करने पर भी रोक लगाने की मांग की। इस पर सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता ने तर्क दिया कि विधायकों के पति-पत्नी और आप पार्टी के कार्यकर्ताओं को पदों पर नियुक्त किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह केंद्र को 437 सलाहकारों को हटाने पर जवाब दाखिल करने के लिए समय देगा। मामले की सुनवाई अगले सोमवार, 17 जुलाई को तय की गई है।

आप सरकार ने अपनी याचिका में कहा कि ये कार्यकारी आदेश का असंवैधानिक अभ्यास था जिसने सुप्रीम कोर्ट और संविधान की मूल संरचना को ओवरराइड करने का प्रयास किया। दिल्ली सरकार ने अध्यादेश को रद्द करने के साथ ही इस पर अंतरिम रोक लगाने की भी मांग की है। दिल्ली सरकार की ओर से पेश अभिषेक सिंघवी ने दिल्ली सरकार के साथ काम करने वाले 400 विशेषज्ञों की नियुक्ति समाप्त करने पर भी रोक लगाने की मांग की। इस पर सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता ने तर्क दिया कि विधायकों के पति-पत्नी और आप पार्टी के कार्यकर्ताओं को पदों पर नियुक्त किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह केंद्र को 437 सलाहकारों को हटाने पर जवाब दाखिल करने के लिए समय देगा। मामले की सुनवाई अगले सोमवार, 17 जुलाई को तय की गई है।