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निर्माता विवेक अग्निहोत्री ने दिया एक नए विवाद को जन्म-कहा भोपाली माने होमोसेक्सुअल, दिग्विजय सिंह ने साधा निशाना

द कश्मीर फाइल्स के निर्माता विवेक अग्निहोत्री ने नए विवाद को जन्म दे दिया है। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि आम भोपालवासी खुद को भोपाली कहलवाना नहीं चाहता। भोपाली का मतलब होमोसेक्सुअल से लिया जाता है। इस पर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह समेत कई कांग्रेस नेताओं ने अग्निहोत्री पर हमला बोला है।
एक इंटरव्यू में अग्निहोत्री ने एक सवाल के जवाब में भोपाल की मिसाल देकर विवाद का न्योता दे दिया। उन्होंने कहा कि मैं भोपाल में बड़ा हुआ हूं पर भोपाली नहीं हूं। भोपाली के मायने अलग होते हैं। अगर किसी के बारे में कहा जाता है कि यह भोपाली है तो उसका मतलब है कि यह होमोसेक्सुअल है। नवाबी शौक वाला व्यक्ति है। इस इंटरव्यू का वीडियो वायरल हो गया है। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा कि विवेक अग्निहोत्री जी यह आपका अपना निजी अनुभव हो सकता है। यह भोपाल के आम निवासी का नहीं है। मैं भी भोपाल और भोपालियों के संपर्क में 77 से हूं, लेकिन मेरा तो यह अनुभव कभी नहीं रहा। आप कहीं भी रहें “संगत का असर तो होता ही है”।
दिग्विजय सिंह का इशारा संघ के नेताओं पर लगने वाले समलैंगिकता के आरोपों की ओर था। कांग्रेस के एक अन्य प्रवक्ता ने तो सीधे-सीधे इसे संघ और भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से जोड़ दिया। केके मिश्रा ने कहा कि राजधानी भोपाल जिसने देश को राष्ट्रपति, कई ख्यात नेता, लेखक, शायर दिए हों,जहां राज्यपाल, मुख्यमंत्री, सीएस, डीजीपी सहित कई गणमान्य रहते हों,वहीं पले-बढ़े “द कश्मीर फाइल्स” के निर्माता विवेक अग्निहोत्री उस शहर को “समलैंगिकों की पहचान”बता रहे हैं! सीएम साहब आपके पास बैठे इस व्यक्ति के कथन से आप सहमत हैं? (पूर्व मंत्री) राघवजी भाई या संघ प्रचारक प्रदीप जोशी आदि के सामने आए प्रकरणों के बाद विवेक अग्निहोत्री ने कुछ कहा हो तो मैं खामोश हूं! पर समूचे भोपाल को समलैंगिकों का शहर बताना उचित है? गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा जी, क्या अन्य फिल्म निर्माताओं के अनुरूप कार्यवाही होगी या हम सभी?? कथित हिंदूवादी भी चुप हैं?

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा ने कहा कि विवेक अग्निहोत्री की भोपाल के प्रति सोच सुनकर आज मामाजी का हमेशा गाया जाना वाला गाना याद आ गया… “आदमी हूं, आदमी से प्यार करता हूं” और राघव जी, प्रदीप जोशी से लेकर तमाम भाजपा और आरएसएस के नेता याद आ गए। जो व्यक्ति मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के लोगों को खुलेआम मज़ाक़ उड़ा रहा है , भोपाल की पहचान होमोसेक्सुअल बता रहा है, उसका प्रदेश के मुखिया शाल ओढ़कर, गुलदस्ता देकर सम्मान कर रहे हैं। शायद यह भी उनकी राय से सहमत होंगे… हिम्मत दिखाते, मिलने से मना करते, माफी मंगवाते…