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PNB घोटाला: 25 लाख लिमिट के बावजूद बैंक मैनेजर ने 1 करोड़ के 13,501 लेनदेन को दी मंजूरी

नई दिल्ली। पंजाब नेशनल बैंक घोटाले में बैंक द्वारा कराई गई इंटरनल इंक्वायरी (अंदरूनी जांच) में बड़ी गड़बड़ियां उजागर हुई हैं. बैंक की 4 सदस्यीय जांच कमेटी की  रिपोर्ट में मुंबई के ब्रैडी हाउस ब्रांच के मैनेजर गोकुलनाथ शेट्टी की जालसाजी और धोखाधड़ी का खुलासा हुआ है. रिपोर्ट में कहा गया कि अधिकार नहीं होने के बाद भी शेट्टी ने बड़े संदिग्ध तौर पर बड़े लेनदेन (ट्रांजैक्शन) को मंजूरी दी.

टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के अनुसार रिपोर्ट में कहा गया कि, इस घोटाले का एक मुख्य आरोपी गोकुलनाथ शेट्टी, जो अब रिटायर हो चुका है, वो सवालों के घेरे में आने के बावजूद भी जांच के दायरे से बचने में कामयाब रहा. लेनदेन मामलों को मंजूरी देने के लिए शेट्टी को ‘असीमित’ अधिकार हासिल थे. जबकि वो सिर्फ 10 लाख से 25 लाख तक के लेनदेन को ही पास करने के लिए अधिकृत था.

बैंक की इस ब्रांच में 7 साल तक नौकरी करने वाले गोकुलनाथ शेट्टी ने इस दौरान 1 करोड़ रुपए या इससे अधिक के 13,501 लेनदेन को मंजूरी दी. रिपोर्ट में कहा गया कि 2017 में यह पाया गया कि शेट्टी ही इंट्रियां बनाता था और उन्हें देखता था. अगर ब्रांच के अन्य कर्मचारी डेली मॉनीटरिंग सिस्टम रिपोर्ट की जांच करते तो उसकी यह धोखाधड़ी पकड़ में आ जाती.

PNB BANK

अगर डीएमएस (डेली मॉनीटरिंग सिस्टम) रिपोर्ट की जांच होती तो उसपर संदेह पैदा हो जाता. बैंक के इस जूनियर कर्मचारी को बैंक के सॉफ्टवेयर तक पहुंचने के लिए पूरे अधिकार दिए गए थे. साथ ही वो बड़े लेनदेन को भी वेरीफाई (सत्यापित) करता था. इससे उसपर किसी का शक नहीं जाता था. जांच अधिकारियों ने कहा, यदि किसी अन्य ने लेनदेन को मंजूरी दी होती तो वरिष्ठ अधिकारियों के दखल से इस अनाधिकृत लेनदेन का पता लगाया जा सकता था.

बता दें कि इसी साल फरवरी में नीरव मोदी और उसके मामा मेहुल चोकसी पर पंजाब नेशनल बैंक के कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत से 13 हजार करोड़ रुपए के घोटाला का पर्दाफाश हुआ था.

हालांकि महाघोटाला सामने आने से पहले ही आरोपी नीरव मोदी और मेहुल चोकसी देश छोड़कर फरार हो चुके थे. सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय ने उनके खिलाफ 2-2 एफआईआर दर्ज किए हैं. भगोड़े नीरव मोदी के प्रत्यर्पन के लिए जांच एजेंसियों ने मुंबई के एक विशेष अदालत में अर्जी दाखिल की है.