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‘हमारी क्षेत्रीय अखंडता हमारे सैनिकों को सर्वोत्तम हथियारों, उपकरणों और कपड़ों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए यह हमारा ‘संपूर्ण सरकार’ का दृष्टिकोण है: राजनाथ सिंह

भारतीय सेनाएं किसी भी समय किसी भी स्थिति का सामना करने की अपनी तैयारी में कोई कमी नहीं रखना चाहतीं इसके लिए कमांडरों के सम्मेलन में तैयारियों की समीक्षा भी की जा रही है और आगामी चुनौतियों का हल निकालने पर भी ध्यान दिया जा रहा है। सेना का पांच दिवसीय कमांडर सम्मेलन सोमवार को शुरू हुआ था तो वायुसेना का तीन दिवसीय कमांडर सम्मेलन बुधवार को शुरू हुआ। दोनों ही सम्मेलनों में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का संबोधन भी हुआ और उन्होंने अभियानगत तैयारियों की समीक्षा भी की।

थल सेना के कमांडर सम्मेलन में रक्षा मंत्री के संबोधन का जिक्र करें तो राजनाथ सिंह ने कहा है कि चीन से लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर कड़ी निगरानी रखी जाये क्योंकि चीनी सैनिकों की तैनाती को देखते हुए उत्तरी क्षेत्र में स्थिति ‘तनावपूर्ण’ बनी हुई है। सेना कमांडरों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने पूर्वी लद्दाख सीमा गतिरोध का जिक्र किया और किसी भी आकस्मिक स्थिति के लिए सेना में पूर्ण विश्वास व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि हालांकि, शांतिपूर्ण समाधान के लिए चल रही बातचीत जारी रहेगी और पीछे हटना और तनाव कम करना, आगे बढ़ने का सबसे अच्छा तरीका है।

हम आपको बता दें कि सेना के कमांडरों का पांच दिवसीय सम्मेलन सोमवार को दिल्ली में शुरू हुआ था। इसमें चीन और पाकिस्तान के साथ लगी सीमाओं पर देश की राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियों और बल की युद्धक क्षमता में वृद्धि के तौर-तरीकों पर विचार किया जा रहा है। प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान, थल सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे, नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार और वायुसेना प्रमुख एअर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने भी कमांडरों को संबोधित किया।

राजनाथ सिंह ने वर्तमान जटिल वैश्विक स्थिति पर बल दिया जो विश्व स्तर पर सभी को प्रभावित करती है। उन्होंने कहा, “हाइब्रिड युद्ध सहित गैर-परंपरागत और असममित युद्ध भविष्य के पारंपरिक युद्धों का हिस्सा होंगे। वर्तमान में साइबर, सूचना, संचार, व्यापार और वित्त सभी भविष्य के संघर्षों का एक अविभाज्य हिस्सा बन गए हैं।” उन्होंने कहा, ”यह आवश्यक है कि सशस्त्र बलों को रणनीति बनाते और तैयार करते समय इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखना होगा।”

उन्होंने पश्चिमी सीमाओं पर स्थिति का उल्लेख करते हुए सीमा पार आतंकवाद के लिए भारतीय सेना की प्रतिक्रिया की सराहना की। राजनाथ सिंह ने कहा कि हालांकि विरोधी द्वारा छद्म युद्ध जारी है। उन्होंने कहा, “मैं जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के खतरे से निपटने में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल /पुलिस बलों और सेना के बीच उत्कृष्ट तालमेल की सराहना करता हूं।” राजनाथ सिंह ने कहा, ”केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में समन्वित अभियान क्षेत्र में स्थिरता और शांति बढ़ाने में योगदान दे रहे हैं और इसे जारी रहना चाहिए और इसके लिए मैं फिर से भारतीय सेना की सराहना करता हूं।” राजनाथ सिंह ने कहा, “पूर्वोत्तर राज्यों में भी, भारतीय थल सेना द्वारा चलाए गए अभियानों के बाद आंतरिक सुरक्षा स्थिति में काफी सुधार हुआ है।” उन्होंने ‘‘ब्लू हेलमेट ओडेसी- 20वीं शताब्दी में शांति स्थापना के कार्यों की बदलती रूपरेखा’’ शीर्षक से भारतीय सेना संयुक्त राष्ट्र जर्नल का दूसरा संस्करण जारी किया।

सेना कमांडरों का सम्मेलन शीर्ष-स्तरीय द्विवार्षिक कार्यक्रम है जिसका आयोजन हर साल अप्रैल और अक्टूबर में किया जाता है। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए वायुसेना प्रमुख एअर चीफ मार्शल चौधरी ने भारतीय वायुसेना के नए सिद्धांत और सेनाओं के बीच एकीकरण के बारे में बात की। नौसेना प्रमुख ने समुद्री सुरक्षा चुनौतियों और तीनों सेनाओं के बीच बढ़ते तालमेल के संबंध में चर्चा की। वहीं जनरल पांडे ने वर्तमान भू-रणनीतिक परिदृश्य में युद्ध के बदलते चरित्र पर जोर दिया और भारतीय सेना के भविष्य के लिए तैयार बल के रूप में परिवर्तन को रेखांकित किया।

दूसरी ओर, भारतीय वायु सेना के शीर्ष कमांडरों की बात करें तो इस तीन दिवसीय सम्मेलन के पहले दिन राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियों और देश की समग्र हवाई शक्ति को मजबूत बनाने के तरीकों पर चर्चा हुई। अधिकारियों ने बताया है कि सम्मेलन के दौरान कमांडर चीन और पाकिस्तान से लगी सीमाओं पर की सुरक्षा स्थिति और किसी आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए बल की तैयारियों की व्यापक समीक्षा भी कर रहे हैं। बल के कमांडर भारतीय वायुसेना की युद्धक क्षमताओं को बढ़ाने के मकसद से भविष्य की योजनाओं पर भी व्यापक विचार-विमर्श कर रहे हैं। वायुसेना ने एक ट्वीट में कहा, “वायु सेना कमांडरों का सम्मेलन, 2023 एयर चीफ मार्शल वी आर चौधरी के उद्घाटन भाषण के साथ शुरू हुआ। ‘सीमाओं से परे- सुदृढ़ नींव’ विषयक सम्मेलन में कमांडर भविष्य की योजनाओं पर चर्चा करेंगे।”

रक्षा मंत्रालय के अनुसार राजनाथ सिंह ने कहा, “हमारी क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए विषम मौसम और शत्रुतापूर्ण ताकतों का मुकाबला करने वाले हमारे सैनिकों को सर्वोत्तम हथियारों, उपकरणों और कपड़ों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए यह हमारा ‘संपूर्ण सरकार’ का दृष्टिकोण है।” हम आपको याद दिला दें कि भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच पूर्वी लद्दाख में कुछ स्थानों पर तीन साल से गतिरोध कायम है, हालांकि दोनों पक्षों ने व्यापक कूटनीतिक और सैन्य वार्ता के बाद कई क्षेत्रों से सैनिकों को वापस बुलाया है। सूत्रों के अनुसार, सेना कमांडरों को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा, “उत्तरी क्षेत्र में पीएलए (चीनी) सैनिकों की तैनाती के कारण स्थिति तनावपूर्ण है। हमारे सशस्त्र बलों, खासकर भारतीय थल सेना को एलएसी की सुरक्षा के लिए लगातार सतर्कता बरतनी होगी।” रक्षा मंत्री ने देश के सबसे भरोसेमंद और प्रेरक संगठनों में से एक के रूप में भारतीय सेना में अरबों नागरिकों के विश्वास की फिर से पुष्टि की। उन्होंने कहा कि देश की सुरक्षा सरकार की “शीर्ष प्राथमिकता” है। रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान के अनुसार राजनाथ सिंह ने सीमा सड़क संगठन के प्रयासों की सराहना की, जिसके कारण कठिन परिस्थितियों में काम करते हुए पश्चिमी और उत्तरी दोनों सीमाओं में सड़क संचार में व्यापक सुधार हुआ है।